
Rajasthan News: भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान (Fighter Jet) मिग 21 ने बीकानेर के नाल एयरबेस से अपनी अंतिम उड़ान भरी. वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह खुद नाल पायलट सीट पर बैठे और इस यादगार पल के साक्षी बने. अब मिग 21 विमानों को 26 सितंबर को चंडीगढ़ में अंतिम विदाई दी जाएगी. एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने 18-19 अगस्त को नाल एयरबेस से मिग-21 में उड़ान के बाद कहा कि यह साल 1960 के दशक में अपनी शुरुआत से ही वायुसेना का सबसे शक्तिशाली लड़ाकू विमान रहा है.
60 से अधिक देशों में इस्तेमाल
यह इतिहास में सबसे अधिक, बड़े पैमाने पर बनाए गए सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों में से एक है, जिसके 11,000 से ज्यादा विमान 60 से अधिक देशों में इस्तेमाल किए जा चुके हैं. वायुसेना प्रमुख ने कहा कि मिग-21 के साथ मेरा पहला अनुभव 1985 में रहा, जब मैंने तेजपुर में इसका टाइप-77 संस्करण उड़ाया. यह फुर्तीला, अत्यधिक गतिशील और डिजाइन में सरल था, हालांकि इसके लिए कुछ शुरुआती प्रशिक्षण की आवश्यकता थी.
तेजस, राफेल और सुखोई का युग
'इंटरसेप्टर' के रूप में मिग-21 के काम का जिक्र करते हुए वायुसेना प्रमुख ने कहा कि इसे ‘इंटरसेप्ट' करने के लिए बनाया गया था और इस भूमिका में इसने भारत की उल्लेखनीय सेवा की, लेकिन हर चीज का समय और स्थान होता है. तकनीक अब पुरानी हो चुकी है और उसका रखरखाव मुश्किल है. अब समय आ गया है कि तेजस, राफेल और सुखोई-30 जैसे नए मंच की ओर बढ़ा जाए.

नाल एयरबेस से मिग-21 में IAF चीफ ने भरी उड़ान
पाकिस्तान को धूल चटा चुका मिग-21
एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा कि 83 विमानों के अनुबंध पर पहले ही हस्ताक्षर हो चुके हैं. वायुसेना के प्रवक्ता विंग कमांडर जयदीप सिंह ने कहा कि इस विमान ने 1965 के युद्ध में भाग लिया था और 1971 की लड़ाई में विशेष रूप से 14 दिसंबर को ढाका में राज्यपाल के आवास पर हुए हमले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. राज्यपाल ने अगले दिन इस्तीफा दे दिया और 16 दिसंबर को पाकिस्तान ने आत्मसमर्पण कर दिया और उसके 93,000 सैनिकों ने हथियार डाल दिये.
2019 में F-19 को मार गिराया
इसके बाद 1999 में ऑपरेशन सफेद सागर के तहत कारगिल में भी इस विमान ने करामात दिखाई, जब मिग-21 ने भारतीय इलाके में घुसपैठ कर रहे एक पाकिस्तानी अटलांटिक विमान को मार गिराया. 2019 में यह फिर सुर्खियों में आया जब इसने एक एफ-16 को मार गिराया. समय के साथ मिग-21 को उन्नत किया गया, जिनमें से सबसे हालिया ‘बाइसन संस्करण' है जो आधुनिक रडार और मिसाइलों से लैस है. भारतीय वायुसेना मौजूदा समय में इस जेट के दो स्क्वाड्रन संचालित करती है जिन्हें अगले महीने चरणबद्ध तरीके से हटा दिया जाएगा.
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