
Rajasthan News: आईआईटी जोधपुर के निदेशक ने उन पर चार दिन पहले हुए हमले को लेकर पुलिस पर बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि यह हमला एक सोची-समझी साजिश थी, जिसमें जोधपुर का सर्किल इंस्पेक्टर और हैदराबाद के एक आईपीएस की भी मिलीभगत थी. हमलावर अपने बैग में एक धारदार हथियार लेकर मुझे मारने आया था, उस हथियार को पुलिस ने गायब करवा दिया ताकि हमलावर बच सके.
'निदेशक पर हमला सुनियोजित'
दरअसल, बीते मंगलवार को आईआईटी परिसर में डायरेक्टर और एसोसिएट प्रोफेसर के बीच मारपीट हुई थी. इस मामले में पुलिस ने एसोसिएट प्रोफेसर को गिरफ्तार कर लिया था. हालांकि पुलिस पर यह भी आरोप लगा कि आईआईटी रजिस्ट्रार की ओर से दी गई रिपोर्ट को दर्ज करने में पुलिस ने देरी की. अब निदेशक प्रो अविनाश अग्रवाल ने शनिवार को कहा कि यह पूरी तरह से पूर्व-नियोजित और पेशेवर निगरानी में किया गया सुनियोजित हमला था. हमले से पहले और बाद की हर गतिविधि सुनियोजित और सुनियोजित थी.
हमलावर ने मुझसे मिलने से पहले निदेशक कार्यालय के सुरक्षा गार्ड से झगड़ा किया था. उसने अपने साथ एक बैग लाने की जिद की, जिसे सुरक्षा गार्ड ने मना कर दिया और इस बात पर उनके बीच तीखी बहस हुई. बाद में पता चला कि बैग में एक धारदार हथियार था, जिसे बाद में करवड़ पुलिस स्टेशन ने "उच्च अधिकारियों" के निर्देश पर उसे बचाने के लिए फेंक दिया. ऐसा लगता है कि या तो मुझे मार डालना था या फिर इतना बड़ा विवाद खड़ा करना था कि मुझे आईआईटी जोधपुर से बेदखल कर दिया जाए.
हैदराबाद में तैनात IPS अफसर पर उठी अंगुली
प्रोफेसर अग्रवाल के मुताबिक, आईआईटीजे ने पुलिस को बुलाया, लेकिन पुलिस को सूचित किए जाने से पहले ही पुलिस अधिकारी हमलावर के फोन पर कॉल कर रहे थे. एक फोन हैदराबाद में तैनात 1993 बैच के एक आईपीएस अधिकारी का था और दूसरा करवड़ पुलिस स्टेशन के सर्कल इंस्पेक्टर का. इससे पता चलता कि यह घटना पूर्व-नियोजित थी और कुछ पुलिस अधिकारियों द्वारा सुनियोजित थी. आरोपी को बिना गिरफ्तारी के तीन घंटे में रिहा कर दिया गया और अगले आठ घंटों तक संस्थान की एफआईआर दर्ज नहीं की गई. परिसर लौटने के बाद, हमलावर ने शेखी बघारी कि उसने निदेशक पर हमला किया था और फिर से हमला करेगा.
जांच के लिए आए एसपी ने हमसे एक घंटे तक बात की, सबूत इकट्ठा किए और घटनास्थल का दौरा किया. वह दो घंटे तक अपने "अधिकारियों" से निर्देश लेते रहे. आईआईटी दिल्ली से स्नातक होने के बावजूद, उनका पूरा शरीर का हाव-भाव बहुत ही स्पष्ट था. अंततः, आईआईटी जोधपुर के रजिस्ट्रार की रिपोर्ट पर, पुलिस ने रात 8 बजे कई खामियों वाला एक बेहद कमजोर मामला दर्ज किया.
'हमले का उद्देश्य मुझे पद से हटाना'
हमलावर को स्थानीय पुलिस ने रात लगभग 10 बजे परिसर से उठाया, लेकिन अगले दिन दोपहर 2 बजे ही गिरफ्तार किया, ताकि तारीख बदल जाए और सीसीएस नियमों से जुड़े किसी भी नतीजे से बचने के लिए उसकी गिरफ्तारी उसी दिन 14 घंटे से भी कम समय में दिखाई जा सके. इतनी बारीक और विस्तृत योजना बनाई गई थी. मेरे खिलाफ उसकी एफआईआर तब दर्ज की गई, जब वह अभी भी गिरफ्तार था.
प्रो. अग्रवाल का कहना है कि उन्हें यह पता चला है कि एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी (हमलावर से संबंधित) थे और मुझ पर हमले की पूरी योजना इस आईएएस अधिकारी और दो आईपीएस अधिकारियों (सेवानिवृत्त आईएएस के मित्र) द्वारा बनाई गई थी. इसका उद्देश्य मुझे सबक सिखाना और मुझे मेरे पद से हटाना था. इसके साथ ही जयपुर के प्रताप नगर स्थित कोचिंग हब में आईआईटी जोधपुर के जयपुर परिसर के प्रस्ताव को पटरी से उतारना भी प्रतीत होता है, क्योंकि इसका निर्माण साजिश के केंद्र में रहे उक्त आईएएस अधिकारी (आरएएस प्रमोटी) ने तब करवाया था, जब वह हाउसिंग बोर्ड, जयपुर के अध्यक्ष थे.