विज्ञापन

SIR अभियान ने 45 साल पहले खोए बेटे को मिलाया, 1300 किलोमीटर दूर जी रहा था गुमनाम जिंदगी

SIR के जरिए एक मां को बिछड़ा बेटा मिला है जबकि बिछड़े बेटे को उसका परिवार 45 साल बाद मिला है. अब यह मामला काफी चर्चाओं में है.

SIR अभियान ने 45 साल पहले खोए बेटे को मिलाया, 1300 किलोमीटर दूर जी रहा था गुमनाम जिंदगी

Rajasthan News: देशभर भर में एसआईआर को लेकर तरह-तरह की चर्चाओं का दौर जारी है. वोटर लिस्ट संशोधन अभियान को लेकर तमाम सवाल उठाए जा रहे हैं. लेकिन इस बीच SIR से जुड़ा एक अनोखा मामला सामने आया है. दरअसल, SIR के जरिए एक मां को बिछड़ा बेटा मिला है जबकि बिछड़े बेटे को उसका परिवार 45 साल बाद मिला है. अब यह मामला काफी चर्चाओं में है. यह मामला भीलवाड़ा का है जहां सूरज गांव के मझरे से करीब 45 साल पहले लापता हुआ बेटा 1300 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ में गुमनामी की जिंदगी जी रहा था. तभी वोटर लिस्ट संशोधन (SIR) अभियान के चलते परिजनों से बिछड़ उदय सिंह 45 साल बाद बुधवार शाम को अपने गांव पहुंचा.

तीन दशक से बिछड़े बेटे को तलाश रहे परिजन युवक को देखकर भावुक हो गए. जबकि मां के आखों के आंसू नहीं थम रहे. दूर दराज के रिश्तेदार बिछड़े बेटा मिलने की सूचना मिलने पर मिलने आ रहे हैं. डेढ़ सौ घरों की बस्ती वाले ग़ांव में अलग माहौल है. उदय सिंह के गांव लौटने पर जिससे दूल्हे का स्वागत होता है वैसे घोड़ी पर बिठाकर स्वागत किया गया और बिंदोरी निकाली गई.

उदय सिंह रावत को कैसे मिला परिवार

उदय सिंह रावत साल 1980 में अचानक घर से लापता हो गए. तब से परिजन उनकी तलाश में लगे थे, लेकिन बेटे का कोई सुराग नहीं मिला. वहीं उदय सिंह राजस्थान से छत्तीसगढ़ पहुंच गए और एक निजी कंपनी में गार्ड की नौकरी करने लगे. इस दौरान उदय सिंह का एक सड़क एक्सीडेंट भी हुआ था, जिसमें उन्हें सिर पर चोट लगी थी. इस वजह से उनकी याददाश्त चली गई और घर-परिवार की यादें भी धुंधली हो गई. लेकिन जब SIR अभियान शुरू हुआ तो दस्तावेज को लेकर जिज्ञासा हुई. उदय सिंह को अपने गांव का नाम सुराज याद था और अपनी जाति याद थी.

Latest and Breaking News on NDTV

वोटर फॉर्म की जानकारी लेने पहुंचे भीलवाड़ा

उदय सिंह जैसे-तैसे बुधवार को भीलवाड़ा के सुराज गांव स्थित स्कूल में वोटर फॉर्म की जानकारी लेने पहुंचे. उनके द्वारा दी गई जानकारी और रिकॉर्ड मिलान के समय स्कूल के शिक्षक को शक हुआ तो उसने परिजनों को सूचना दी. परिजन जैसे ही स्कूल पहुंचे तो उदय सिंह और उनका परिवार आश्चर्यचकित हो गए. क्योंकि 45 साल बीत गए थे तो पहचान करना मुश्किल हो गया था. ऐसे में उदय ने परिवार की पर्सनल यादों और बचपन की बातें बताईं, तो यकीन हो गया कि सामने उनका ही भाई खड़ा है. पहचान की अंतिम पुष्टि तब हुई जब मां चुनी देवी रावत ने बेटे के माथे व सीने पर पुराने घावों के निशान देखे. तो मां को विश्वास हो गया कि वह उसका ही बेटा है.
मिल गया मां का लाल

बेटे की पहचान होते ही पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई. परिजन और ग्रामीणों ने ढोल-नगाड़ों और DJ के साथ जुलूस निकाल कर उदय सिंह का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया. उन्हें घर ले जाया गया. उदय सिंह ने कहा कि एक्सीडेंट के बाद उनकी याददाश्त चली गई थीं और अब परिवार से मिलकर उन्हें अवर्णनीय खुशी हो रही है. वह चुनाव आयोग के SIR अभियान के चलते ही परिवार से जुड़ पाए हैं.

यह भी पढ़ेंः RSS समर्थित शिक्षक संगठन ने BLO पर अत्यधिक दबाव पर जताई चिंता, डेडलाइन बढ़ाने की मांग

    Rajasthan.NDTV.in पर राजस्थान की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार, लाइफ़स्टाइल टिप्स हों, या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें, सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

    फॉलो करे:
    Close