
Rajasthan News: आज 79वें स्वतंत्रता दिवस पर, लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ऐसा ऐतिहासिक ऐलान किया, जिसने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी. उन्होंने साफ-साफ शब्दों में कहा कि सिंधु नदी के पानी पर सिर्फ और सिर्फ भारत और उसके किसानों का हक है. पीएम मोदी ने 1960 की सिंधु जल संधि को "अन्यायपूर्ण" और "एकतरफा" करार दिया और कहा कि अब "खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते."
'दशकों का बर्दाश्त किया, अब नहीं सहेंगे'
पीएम मोदी ने अपने 12वें संबोधन में यह बात जोर देकर कही कि भारत ने अब यह तय कर लिया है कि जो पानी हमारा है, वह सिर्फ हमारे किसानों के लिए इस्तेमाल होगा. उन्होंने कहा कि यह समझौता दशकों से हमारे किसानों के लिए भारी नुकसान का कारण रहा है. एक तरफ हमारी धरती प्यासी रह जाती है, और दूसरी तरफ हमारी नदियों का पानी हमारे दुश्मन के खेतों को सींचता है. पीएम मोदी ने कहा, "भारत ने दशकों तक इसे बर्दाश्त किया है. अब हम और नहीं सहेंगे."
'संधि को जारी रखने का कोई औचित्य नहीं'
यह ऐतिहासिक फैसला जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले के बाद लिया गया है, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे. इस हमले ने एक बार फिर साबित कर दिया कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद नहीं कर रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि ऐसे में इस संधि को जारी रखने का कोई औचित्य नहीं है.
सिंधु जल संधि क्या है?
सिंधु जल संधि एक ऐसा समझौता है, जो 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था. इस संधि के तहत, सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों- झेलम और चिनाब- का पानी पाकिस्तान को मिला, जबकि रावी, ब्यास और सतलुज का पानी भारत को दिया गया. लेकिन अब भारत ने इस संधि पर फिर से विचार करने का मन बना लिया है.
पीएम मोदी ने साफ-साफ कहा कि यह समझौता अब हमारे लिए "अस्वीकार्य" है. उन्होंने कहा कि यह फैसला देश के हित में और हमारे किसानों के हित में लिया गया है. इस ऐलान से यह साफ हो गया है कि अब भारत अपनी नदियों के पानी पर अपना पूरा हक जताएगा.
किसानों को मिलेगा फायदा
इस फैसले का सबसे बड़ा फायदा भारत के किसानों को होगा, खासकर पंजाब, हरियाणा, और राजस्थान जैसे राज्यों में, जहां सिंचाई के लिए पानी की बहुत जरूरत होती है. अब तक जो पानी पाकिस्तान चला जाता था, उसका इस्तेमाल हमारे किसान अपने खेतों की सिंचाई के लिए कर सकेंगे. इससे देश में कृषि उत्पादन बढ़ेगा और किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.
पीएम मोदी ने अपने भाषण में राष्ट्र की सुरक्षा और समावेशी विकास की बात भी की. उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा और किसानों का हित, ये दोनों ही हमारे लिए सबसे ऊपर हैं. इस ऐलान के बाद, यह साफ हो गया है कि भारत अब अपनी संप्रभुता और अपने हितों से किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा. यह एक नए और आत्मविश्वासी भारत का परिचय है, जो अपने हक के लिए खड़ा होना जानता है.
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