विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From Aug 08, 2023

देरी के आधार पर बीमा कम्पनी को क्लेम निरस्त करने का अधिकार नहीं: स्थायी लोक अदालत

स्थाई लोक अदालत जोधपुर महानगर ने निर्णय पारित किया कि बीमा क्लेम निरस्त करना विधि सम्मत, न्यायोचित और युक्तियुक्त प्रतीत नहीं होता है और प्रार्थी बीमा कम्पनी से 69 हजार 23 रुपए की राशि प्राप्त करने का अधिकारी है.

Read Time: 4 min
देरी के आधार पर बीमा कम्पनी को क्लेम निरस्त करने का अधिकार नहीं: स्थायी लोक अदालत
लोक अदालत ने 69 हजार 23 रुपये प्रार्थी को भुगतान करने का निर्णय दिया है.
जोधपुर :

स्थायी लोक अदालत जोधपुर महानगर ने मंगलवार को एक मामले का निस्‍तारण करते हुए कहा कि देरी के आधार पर बीमा कंपनी को क्‍लेम निरस्‍त करने का अधिकार नहीं है. स्थायी लोक अदालत जोधपुर महानगर के अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार शर्मा और सदस्य जेठमल पुरोहित व माणकलाल चाण्डक ने प्रार्थी राकेश जैन द्वारा प्रस्तुत जनोपयोगी सेवा प्रकरण को स्वीकार कर बीमा कम्पनी स्टार हेल्थ एण्ड एलाइड इंश्योरेन्स के खिलाफ निर्णय सुनाया. अदालत ने निरस्त किए गए क्लेम की 69 हजार 23 रुपए की राशि को नौ प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से 30 दिनों में भुगतान करने का आदेश पारित किया है. 

प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता किशोर कुमार व्यास ने स्थायी लोक अदालत के समक्ष तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि प्रार्थी एक राजकीय कर्मचारी है और पूर्व में नायब तहसीलदार के पद पर कल्याणपुर जिला बाड़मेर में कार्यरत थे. प्रार्थी ने स्वयं एवं परिवार के हित के लिए चिकित्सा सुविधा के लिए मेडिक्लेम पॉलिसी करवाई थी, जिसका वार्षिक प्रीमियम 23 हजार रुपए का भुगतान भी प्रार्थी ने समय-समय पर बीमा कम्पनी को अदा किया. उक्त बीमा पॉलिसी के तहत प्रार्थी और उसके परिवार का पांच लाख रुपए तक का मेडिक्लेम किया गया. प्रार्थी को गत 7 फरवरी 2019 को तेज बुखार आ गया तब प्रार्थी ने राजकीय चिकित्सालय बाड़मेर में उपचार करवाया, लेकिन प्रार्थी को कोई राहत नहीं मिली और तब उन्‍हें 9 फरवरी 2019 को इलाज के लिए जोधपुर लाया गया. 

उन्‍होंने अदालत को बताया कि राठी अस्पताल में छह दिन भर्ती होने के बाद प्रार्थी की सेहत में सुधार हुआ और अस्पताल द्वारा प्रार्थी को 14 फरवरी 2019 को छुट्टी दे दी गई. प्रार्थी ने अस्पताल में भर्ती होने के दौरान ही बीमा कम्पनी को फोन पर सूचित कर दिया था, चूंकि प्रार्थी जिस अस्पताल में इलाज करवा रहा था वह अप्रार्थी इंश्योरेन्स कम्पनी के नॉन नेटवर्क की कैटेगरी में था. इसलिए कैशलेस सुविधा मिलना संभव नहीं था. प्रार्थी ने इलाज में 75, 458 रुपये व्यय किए. प्रार्थी जैसे ही स्वस्थ होकर अपने कार्यस्थल पहुंचा तो प्रार्थी की लोकसभा चुनाव में इलेक्शन ड्यूटी 14 मार्च, 2019 से लग गई. इस कारण प्रार्थी को एक बार तत्काल अपने कार्यस्थल जाना पड़ा और ड्यूटी ज्वॉइन करनी पड़ी. इस कारण प्रार्थी अपने इलाज में व्यय हेतु क्लेम का आवेदन बीमा कम्पनी को समय पर नहीं कर सका. 

उन्‍होंने बताया कि प्रार्थी जैसे ही जोधपुर आया उसने इलाज से सम्बन्धित सभी दस्तावेज और बिल क्लेम राशि के पुनर्भुगतान के लिए इंश्योरेन्स कम्पनी के कार्यालय में प्रस्तुत कर दिए. तब बीमा कम्पनी द्वारा दो मई 2019 को ईमेल से एक पत्र जारी कर बताया गया कि प्रार्थी का क्लेम खारिज कर दिया गया है, क्योंकि प्रार्थी को अस्पताल से छुट्टी मिलने के तीस दिवस के भीतर बीमा कम्पनी के समक्ष क्लेम प्रस्तुत करना था जो कि प्रार्थी द्वारा नहीं किया गया.  

दोनों पक्षों को सुनकर स्थाई लोक अदालत जोधपुर महानगर द्वारा यह निर्णय पारित किया कि बीमा क्लेम निरस्त करना विधि सम्मत, न्यायोचित और युक्तियुक्त प्रतीत नहीं होता है और बीमा अनुबन्ध में वर्णित उपबंधों के परिप्रेक्ष्‍य में प्रार्थी बीमा कम्पनी से 69 हजार 23 रुपए की राशि प्राप्त करने का अधिकारी है. इस प्रकार प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र स्वीकार कर बीमा कम्पनी को 69 हजार 23 रुपये मय नौ प्रतिशत वार्षिक ब्याज और पांच हजार रुपये वाद व्यय के भी भुगतान करने का आदेश पारित किया गया.

Rajasthan.NDTV.in पर राजस्थान की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार, लाइफ़स्टाइल टिप्स हों, या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें, सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Close