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धनखड़ का इस्तीफा तानाशाही की निशानी, डोटासरा ने कहा- लोकतंत्र के लिए खतरा.. हम सड़क पर उतरेंगे

डोटासरा ने कहा कि धनखड़ के इस्तीफे को तीन दिन बीत चुके हैं. मगर न तो उनका बयान आया और न ही कोई बीजेपी नेता उनसे मिलने गया.

धनखड़ का इस्तीफा तानाशाही की निशानी, डोटासरा ने कहा- लोकतंत्र के लिए खतरा.. हम सड़क पर उतरेंगे
गोविंद सिंह डोटासरा

Jagdeep Dhankhar Politics: जगदीप धनखड़ ने हाल ही में 21 जुलाई को उपराष्ट्रपति पद से अचानक से इस्तीफा दे दिया. इस इस्तीफे के बाद से देश में सियासी बवाल मचा हुआ है. लगातार यह सवाल किये जा रहे हैं कि आखिर जगदीप धनखड़ ने मानसून सत्र शुरू होने बाद ही अचानक से इस्तीफे की पेशकश क्यों कि. जबकि इसकी चर्चा तक नहीं थी. जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर अलग-अलग बातें सामने आ रही है. जबकि बीजेपी पार्टी की इस पर चुप्पी सवालों को हवा दे रही है. विपक्ष लगातार बीजेपी पर हमलावर हो रहा है. राजस्थान की राजनीति से जगदीप धनखड़ जुड़े रहे हैं और उनका निवास स्थान है. ऐसे में राजस्थान की सियासत भी इस मुद्दे पर गरम हो गई है. विपक्ष की ओर से सचिन पायलट ने भी सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है. वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने केंद्र पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि यह तानाशाही की निशानी है.

उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने केंद्र की मोदी सरकार और बीजेपी पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि धनखड़ राजस्थान के सपूत हैं उनका इस्तीफा लिया गया या देने को मजबूर किया गया. यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है.

बीजेपी नेता मिलने तक नहीं गए

प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में डोटासरा ने कहा कि धनखड़ के इस्तीफे को तीन दिन बीत चुके हैं. मगर न तो उनका बयान आया और न ही कोई बीजेपी नेता उनसे मिलने गया. एक मंत्री का नाम बता दो जिसने जाकर उनका हालचाल पूछा हो. डोटासरा ने बीजेपी की राजनीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि इनका मॉडल यही है हर संवैधानिक पद पर कठपुतली बैठाओ. जब वह संविधान के अनुसार काम करने लगे तो हटा दो और नया पपेट ले आओ. यही राजस्थान में हो रहा है, यही दिल्ली में. जो स्वतंत्र होकर सोचेगा, वो इनको बर्दाश्त नहीं है.

बीजेपी जनता की पसंदीदा नेता को दूर कर देती है

उन्होंने कहा कि राजस्थान में भी कई वरिष्ठ नेता मेहनत कर रहे थे. राजेंद्र राठौड़, सतीश पूनिया, सीपी जोशी, वसुंधरा राजे फिर भी उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया. ऊपर से पर्ची आई और नाम तय हुआ, क्योंकि बीजेपी नहीं चाहती कि जनता का पसंदीदा नेता नेतृत्व करें. डोटासरा ने आरोप लगाया कि बीजेपी पहले किसानों, दलितों, पिछड़ों और गरीब सवर्णों से वोट लेती है और फिर उनके नेताओं को सिर्फ तब तक साथ रखती है जब तक वे तानाशाही को स्वीकार करते हैं. जैसे ही वे सवाल उठाते हैं, उन्हें किनारे कर दिया जाता है. यही धनखड़ के साथ हुआ.

उन्होंने कहा कि धनखड़ का इस्तीफा छत्तीस कौम का अपमान है और इससे स्पष्ट हो गया है कि डबल इंजन की सरकारें लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास नहीं करतीं. उन्होंने चेताया कि इसका खामियाजा बीजेपी को भविष्य में भुगतना पड़ेगा. पंचायत और नगर निकाय चुनाव को लेकर सामाजिक न्याय मंत्री अविनाश गहलोत के बयान पर पलटवार करते हुए डोटासरा ने कहा कि अविनाश गहलोत कौन होते हैं पंचायत चुनाव की तारीख तय करने वाले. ओबीसी आयोग की रिपोर्ट दिसंबर तक आएगी ही नहीं, फिर ये चुनाव कैसे कराएंगे.

डोटासरा ने साफ तौर पर कहा कि कांग्रेस हर मोर्चे पर तानाशाही के खिलाफ लड़ेगी और लोकतंत्र की रक्षा के लिए सड़कों से सदनों तक संघर्ष करेगी.

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