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जयपुर में 3 दिन से हड़ताल पर क्यों कैब ड्राइवर? विरोध प्रदर्शन कर रहे चालकों ने बताया अपना दर्द

जयपुर में अपनी विभिन्न मांगों को लेकर कैब चालक तीन से हड़ताल पर हैं. विरोध प्रदर्शन कर रहे कई कैब चालक अपने काम में आने वाली परेशानियों को बयां कर रहे हैं.

जयपुर में 3 दिन से हड़ताल पर क्यों कैब ड्राइवर? विरोध प्रदर्शन कर रहे चालकों ने बताया अपना दर्द
जयपुर में 3 दिन से हड़ताल पर क्यों कैब ड्राइवर

Rajasthan News: जयपुर में कैब चालकों की हड़ताल आज तीसरे दिन (06 जून) भी जारी है. बड़ी संख्या में कैब चालकों ने बुधवार को शहीद स्मारक पर इकट्ठा होकर प्रदर्शन किया. इससे पहले उन्होंने उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा से मिलकर अपनी मांगे रखी. उन्होंने दोहराया कि जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जाएगी. तब तक उनकी यह हड़ताल जारी रहेगी. इस प्रदर्शन के कारण लोगों को खासी परेशानी हो रही है. उन्हें दो तीन गुनी कीमत देकर सफर करना पड़ रहा है. निजी कैब चालक लोगों से मनमाना किराया वसूल रहे हैं.

किस्त पर गाड़ी लेकर चलाते

कैब चालक सत्यनारायण जोगी ने बताया कि हमें पिकअप का कोई पैसा नहीं मिलता. हमें चार-पांच किलोमीटर पिकअप के लिए जाना होता है और अगर हम राइड नहीं लेते हैं तो हमारी रेटिंग घटा दी जाती है. प्रत्येक किलोमीटर सात आठ रूपए मिलते हैं. यह काफी कम है. हमारी गाड़ी की किस्त चल रही है.

घर परिवार का खर्च है, लेकिन कैब चलाकर यह खर्च निकल नहीं रहा. कस्टमर की सामान्य से शिकायत पर हमारी आईडी ब्लॉक कर दी जाती है. हमारी बात नहीं सुनी जाती. अगर उनका दफ्तर यहां होगा तो हम शिकायत कर पाएंगे. 

प्रदर्शन में शामिल रामराज गुर्जर कहते हैं, "हम कंपनी के रवैया से हम काफी परेशान हैं. कई बार कस्टमर जब ऑनलाइन पेमेंट करता है तो उसे हमारे वॉलेट में अपडेट नहीं किया जाता और राइड भी प्लेटफार्म से हटा दी जाती है.

कैब चालकों की मुख्य समस्याएं

  • राइड न लेने पर कैब चालकों की रेटिंग घटा दी जाती है.
  • कैब चालकों का कहना है कि 7-8 रुपये प्रति किमी मिलता है, जो काफी कम है.
  • कस्टर की छोटी से शिकायत पर कैब चालकों की आईडी ब्लॉक कर दी जाती है.
  • ऑनलाइन पेमेंट पर वॉलेट में अपडेट नहीं किया जाता है और राइड भी हटा दी जाती है.

हम कमर्शियल व्हीकल चलाते हैं, हमें 9 पेपर तैयार करने होते हैं, जबकि प्राइवेट व्हीकल को सिर्फ तीन पेपर तैयार करने होते हैं. अगर हम ऐसा नहीं करें तो परिवहन विभाग हम पर जो मन लगता है और हम सारे पेपर तैयार करें तो हमारी आमदनी नहीं हो पाती है. हम 14-15 साल से टैक्सी चला रहे हैं. हमें और कोई काम नहीं आता. इसलिए जलालत सहने के बावजूद हम यह काम कर रहे हैं. 

2 बाद भी गिग वर्कर्स के नहीं बने नियम

राजस्थान पहला राज्य था, जिसने गिग वर्कर्स के लिए कानून बनाया था, लेकिन करीब दो साल बीतने के बाद भी कानून के नियम नहीं बने हैं. इसलिए इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. गिग वर्कर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आशीष सिंह ने कहा कि राजस्थान में सबसे पहले गीत वर्कर्स का कानून बना था, उससे शिकायत निवारण के लिए मंच था. सामाजिक सुरक्षा के लिए व्यवस्था की गई थी, वह कानून बेस्ट समाधान था, लेकिन सरकार उसे लागू नहीं कर रही. अगर उसे लागू किया जाए तो इनकी आदि समस्याएं दूर हो जाएगी. 

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