Rajasthan News: राजस्थान की धरती पर इतिहास फिर से जीवंत हो उठा है. पांच सौ वर्षों के लंबे अंतराल के बाद आमेर में रियासत काल की सैनिक परंपरा ने नया रूप लिया. यहां से सांगा बाबा मंदिर तक पचरंगा झंडा लेकर एक विशाल पदयात्रा निकली जो लोगों के दिलों को छू गई. यह यात्रा राजा मानसिंह की उस पुरानी रस्म को याद दिलाती है जब वे युद्ध में विजय पाने के बाद सांगा बाबा से आशीर्वाद लेने पैदल जाते थे. अब यह परंपरा फिर से शुरू हो गई है जो सनातन धर्म की मजबूत जड़ों को दिखाती है.
मंदिर से शुरू हुई यात्रा भक्तों के जोश से भरी
जयपुर की राजधानी में आमेर के मेहंदी का बास इलाके में स्थित श्री ठाकुर सीताराम मंदिर से यह अनोखी पदयात्रा शुरू हुई. मंदिर के पुजारी ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि कई दिनों से इसकी तैयारी चल रही थी. मंदिर को फूलों की सुंदर मालाओं और चमकदार रोशनी से सजाया गया. ठाकुर जी को विशेष श्रृंगार से सजाया गया और 56 भोग की आकर्षक झांकी लगाई गई.
सुबह होते ही भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा और यात्रा भजन-कीर्तन के साथ रवाना हो गई. यह यात्रा काले हनुमान जी चांदपोल हनुमान और ध्वजाधीश गणेश मंदिर से गुजरते हुए सांगानेर के सांगा बाबा मंदिर पहुंचेगी. रास्ते में हर जगह भक्तों ने फूलों और मालाओं से स्वागत किया जो उत्साह को दोगुना कर रहा था.
श्रद्धा एकता और अखंडता का प्रतीक बनी पदयात्रा
स्थानीय निवासी सुजीत सैनी ने कहा कि यह पदयात्रा सिर्फ श्रद्धा नहीं बल्कि लोगों की एकता और अखंडता को भी मजबूत करती है. भक्तों में जबरदस्त जोश देखा गया. वे भजन गाते हुए आगे बढ़ रहे थे और मार्ग के विभिन्न मंदिरों में दर्शन कर आशीर्वाद ले रहे थे. यह दृश्य देखकर लगता है जैसे पुराना इतिहास आज फिर साकार हो गया हो. धरोहर बचाओ समिति के अक्षय पारीक ने बताया कि इस आयोजन की तैयारी में काफी मेहनत की गई.
अब वर्षों बाद रियासत काल की यह परंपरा जीवित हो गई है. लोगों में इतना उत्साह है कि वे बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. महाराजा मानसिंह युद्ध से पहले और दुश्मन पर जीत के बाद अपने पूर्वजों और सांगानेर के राजा सांगा बाबा से आशीर्वाद लेने जाते थे. पचरंगा झंडा फहराने की यह रस्म उसी इतिहास को जोड़ती है.
रिपोर्ट- रोहन शर्मा
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