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Rajasthan: 'देश का नाम इंडिया से बदलकर भारत करने का प्रस्ताव', जयपुर ग्रामीण सांसद ने पेश किया प्राइवेट मेंबर बिल

Jaipur News: बीजेपी सांसद ने प्राइवेट बिल पेश करते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद एक में इस बात का उल्लेख करता है- 'INDIA that is bharat.'

Rajasthan: 'देश का नाम इंडिया से बदलकर भारत करने का प्रस्ताव', जयपुर ग्रामीण सांसद ने पेश किया प्राइवेट मेंबर बिल
बीजेपी सांसद राव राजेंद्र सिंह

BJP MP Private Member Bill: जयपुर ग्रामीण से बीजेपी सांसद राव राजेंद्र ने देश का नाम इंडिया से बदलकर भारत करने का प्रस्ताव पेश किया है. प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में पेश प्रस्ताव कहा गया कि राष्ट्र में हम और आप निवास करते हैं, कई वर्षों से जिस भूमि जिसे हम मां भारती कहते हैं. इसका नाम वास्तविकता में भारत ही है. उपनिवेश काल में अंग्रेजी साम्राज्य ने इसे इंडिया जैसे शब्द से विमोचित किया. उनका कहना है कि संविधान के अनुच्छेद एक में इस बात का उल्लेख करता है कि 'INDIA that is bharat.' भारत जैसे शब्दों को हमने हिंदी साहित्य के रूप में स्वीकार भी किया है और जब संविधान का विमोचन होता है तो भारत शब्द से ही उसका अलंकरण होता है. 

"संस्कृति-सभ्यता के स्वरूप में भारत शब्द उपयुक्त"

बीजेपी सांसद ने कहा कि संविधान के स्वरूप में, संविधान के विमोचन या अर्थ में, कहीं अनुवाद में कहीं भी अगर कोई दिक्कत आती है तो अंग्रेजी अनुवाद ही माना जाए. जब अंग्रेजी अनुवाद माना जाएगा और भारत का शब्द इंडिया होगा तो भारत जैसे राष्ट्र के संस्कृति और सभ्यता के स्वरूप में भारत जैसे शब्द का वहां होना उपयुक्त रहेगा. इसलिए हमारी संस्कृति और हमारा साहित्य इस बात के लिए हमसे अपेक्षा करता है कि भारत के नाम से इस राष्ट्र का अलंकरण हो.

हमने शहरों के नाम बदले तो भारत क्यों नहीं- राव

उन्होंने कहा, "जब भारत के न्याय संहिता भी भारतीय न्याय संहिता हो गई. हमने शहरों के नाम में हमने परिवर्तन कर दिया. बम्बई को मुंबई, मद्रास को चेन्नई, कलकत्ता को कोलकाता और गुड़गांव को गुरुग्राम किया. हम यहां तक आ गए कि हमने शुद्ध नाम का प्रयोग किया. भारत की संस्कृति जिस नाम से सदैव संसार को सभ्यता का बोध कराती है वह भारत ही है और भारत के नाम पर ही हमें संबोधित करना यही हमारा उद्देश्य है." 

जर्मनी का जिक्र कर दिया ये उदाहरण

राव राजेंद्र ने इतिहास के उदाहरण देते हुए कहा कि जर्मनी जैसा राष्ट्र तो 1800 ईस्वी में भी स्वीकार कर चुका है और कहा था कि भारत उदय होने की कगार में है, जबकि उस समय आसपास ऐसा नजर नहीं आ रहा था. एक बार नहीं अनेक बार, हमारे और अंतरराष्ट्रीय साहित्यकारों ने हमारे राष्ट्र को भारत के नाम से संबोधित किया है. एक स्वतंत्र भारत में हम यह मानते हैं कि भारत के जैसे नाम का विमोचन होना संविधान की मान्यता प्राप्त होने के बाद यह भारत हमारा देश एक ही नाम से कहलाए. 

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