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Kotputli Borewell Accident: 10 दिन से बोरवेल में फंसी 3 साल की चेतना, 4 दिन खुदाई कर ग़लत दिशा में बनाई सुरंग; धुंधली होती उम्मीदें

Rajasthan Borewell News: राजस्थान के कोटपुतली में बोरवेल में गिरी चेतना को बचाने के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन का 10वां दिन भी बेनतीजा रहा. रेस्क्यू ऑपरेशन एक बार फिर मुश्किल में पड़ गया है. चार दिन से लगातार खोदी जा रही सुरंग की दिशा ही गड़बड़ा गई है.

Kotputli Borewell Accident: 10 दिन से बोरवेल में फंसी 3 साल की चेतना, 4 दिन खुदाई कर ग़लत दिशा में बनाई सुरंग; धुंधली होती उम्मीदें
kotputli rescue operation

Chetna 9th day Rescue Operation: राजस्थान के कोटपुतली में 3 साल की चेतना 10वें दिन भी 700 फीट गहरे बोरवेल में फंसी हुई है. चेतना को बचाने के लिए NDRF के जवान 170 फीट गहरे गड्ढे में उतरकर सुरंग खोद रहे थे, लेकिन अब एक बड़ी चूक हो गई है. 10 फीट लंबी सुरंग की खुदाई पूरी हो चुकी है, लेकिन इसकी दिशा गलत निकली. इस चूक की वजह से समय बीतने के साथ चेतना के सुरक्षित बाहर आने की उम्मीद धुंधली होती जा रही हैं. क्योंकि पिछले कई घंटों से मासूम चेतना को न तो खाना, न पानी और न ही ऑक्सीजन मुहैया कराई जा रही है. फिर भी एक उम्मीद के साथ माता-पिता समेत पूरा गांव चेतना की सलामती के लिए लगातार दुआ कर रहा है.

गलत दिशा में खोद दी दूसरी सुरंग

कलेक्टर कल्पना अग्रवाल के अनुसार, करीब 170 फीट की गहराई पर खोदी जा रही सुरंग गलत दिशा में खोद दी गई है. जिसके कारण बोरवेल की लोकेशन और मासूम के फंसे होने की  स्थिति का अभी तक पता नहीं चल पाया है.

अधिकारियों ने कहा कि इसके बावजूद प्रयास जारी हैं और बचाव दल ने हार नहीं मानी है. उन्होंने आगे बताया कि पिछले चार दिनों से छह जवानों की टीम 10 फीट गहरी सुरंग खोदने का काम कर रही है. शुरुआत में अधिकारियों ने कम ऑक्सीजन स्तर और सुरंग के अंदर चट्टानों जैसी चुनौतियों का हवाला दिया था. 30 दिसंबर को कलेक्टर और एनडीआरएफ दोनों ने उम्मीद जताई थी कि चेतना को जल्द ही बचा लिया जाएगा. इसी उम्मीद में परिवार दिन भर बोरवेल के पास रहा.

10 दिन से ना खाना, ना पानी 

चेतना के लिए चलाया जा रहा रेस्क्यू ऑपरेशन शायद राजस्थान में अब तक के सबसे लंबे रेस्क्यू ऑपरेशन में से एक है. 23 दिसंबर की दोपहर को जिले के बडियाली ढाणी में अपने पिता के खेत में खेलते समय वह 700 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई और 150 फीट की गहराई पर फंस गई. जिसके बाद रेस्क्यू ऑपरेशन के जरिए उसे करीब 120 फीट की गहराई पर बाहर निकाला गया. लेकिन उसके बाद से सभी प्रयास असफल रहे हैं.

चेतना को बचाने की पूरी टाइम लाइन

23 दिसंबर : दोपहर करीब 1:50 बजे कोटपूतली के कीरतपुरा क्षेत्र की बडियाली ढाणी में 3 साल की बच्ची चेतना बोरवेल में गिर गई.करीब 10 मिनट बाद परिजनों ने बच्ची के रोने की आवाज सुनी तो पता चला कि वह बोरवेल में गिर गई है. परिजनों ने तुरंत प्रशासन को सूचना दी. दोपहर 2:30 बजे प्रशासन की टीम एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के साथ मौके पर पहुंची. दोपहर 3:20 बजे मेडिकल टीम मौके पर पहुंची. 3:45 बजे बच्ची तक पाइप के जरिए ऑक्सीजन पहुंचाई गई. शाम 5:15 बजे रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया.रात 8:45 बजे देसी जुगाड़ के एक्सपर्ट जगराम अपनी टीम के साथ बच्ची को बचाने पहुंचे. उसी दिन दोपहर 3 बजे तक दो बार छाते और रिंग रॉड से बच्ची को बचाने की कोशिश की गई, लेकिन दोनों ही असफल रहीं. 

24 दिसंबर की सुबह 5:30 बजे से प्रशासन फिर सक्रिय हुआ. अधिकारियों ने परिजनों से चेतना को हुक में फंसा कर बाहर निकालने की परमिशन ली. 9:30 बजे तक बच्ची को 15 फीट ऊपर खींचा गया. लेकिन उसमें वह अफसल रहे जिसके बाद प्रशासन ने हरियाणा के गुरुग्राम से पाइलिंग मशीन मंगवाई.

25 दिसंबर को मशीन के आने के बाद पैरलल खड्डा खोदने का काम शुरू हुआ जिससे  दोपहर  40 फीट ही सुरग खोदने के पाइलिंग मशीन बंद की गई. उसके बाद 5:30 बजे रेस्क्यू अभियान एक बार फिर से शुरू किया गया. शाम छह बजे 200 फीट क्षमता की एक और पाइलिंग मशीन मौके पर पहुंची। इसे चलाने के लिए गुजरात से एक और टीम भी आई.आठ बजे रेट माइनर की टीम पहुंची. मामले को तूल पकड़ता देख देर रात 11 बजे कोटपूतली-बहरोड़ कलेक्टर कल्पना अग्रवाल घटनास्थल पर पहुंची. 

 26 दिसंबर: सुबह 10 बजे पत्थर आने के कारण पाइलिंग मशीन को रोका गया। छह घंटे में मशीन से पत्थर को काटा गया. शाम करीब छह बजे गड्ढे की गहराई चेक की गई, इसके बाद पाइलिंग मशीन को हटाया गया. 6:30 बजे से क्रेन से गड्ढे में सेफ्टी पाइप लगाना शुरू किए गए.

27 दिसंबर की दोपहर करीब 12  बजे तक 170 फीट गहरे खोदे गए गड्ढे में लोहे के पाइप फिट किए गए. 12:40  बजे इन पाइप का वजन उठाने के लिए 100 टन क्षमता की मशीन मौके पर बुलाई गई. करीब एक बजे मौसम बदलने के कारण हुई बारिश से पाइप वेल्डिंग का काम रुक गया. शाम पांच बजे वेल्डिंग का काम दोबारा शुरू किया गया, जो देर रात तक चलता रहा.

28 दिसंबर को एनडीआरएफ के 6 जवानों की टीम बनाई गई। सुरंग खोदने के लिए दो-दो जवानों को 170 फीट गहरे गड्ढे में उतारा गया. इन जवानों ने चार फीट की सुरंग खोदी.

29 दिसंबर को भी सुरंग की खुदाई जारी रही. रास्ते में आने वाले पत्थरों को तोड़ने के लिए कंप्रेशर मशीन बुलाई गई. पत्थरों को काटने की तकनीक समझने के लिए माइनिंग एक्सपर्ट को बुलाया गया. 

30 दिसंबर को प्रशासन और एनडीआरएफ के अफसरों ने दावा किया कि वे चेतना को आज (सोमवार) बाहर निकाल लेंगे. लेकिन, पत्थरों और अन्य कारणों से इसमें फिर देरी हो गई। सुरंग खोद रहे जवानों को अंदर सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी.

31 दिसंबर को पता चला कि जो सुरंग खोदी गई थी, वह गलत दिशा में थी. जिससे बोरवेल की स्पष्ट स्थिति समझ में नहीं आ रही थी.

अब तक का सबसे लम्बा ऑपरेशन 

चेतना के लिए चलाया जा रहा रेस्क्यू ऑपरेशन शायद राजस्थान में अब तक चलाए गए सबसे लंबे रेस्क्यू ऑपरेशन में से एक है. पिछले साल 23 दिसंबर  2024 की दोपहर को जिले के बडियाली ढाणी में अपने पिता के खेत में खेलते समय वह 700 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई थी और 150 फीट की गहराई पर फंस गई थी. जिसके बाद रेस्क्यू ऑपरेशन के जरिए उसे करीब 120 फीट की गहराई पर बाहर निकाला गया था। लेकिन उसके बाद से सभी प्रयास असफल रहे हैं.

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