
Jeen Mata Mandir Rajasthan: राजस्थान की शक्तिपीठों में से एक प्रसिद्ध प्राचीन शक्तिपीठ जीण माता मंदिर सीकर जिले के नजदीकी अरावली पर्वत मालाओं की तीन श्रृंखलाओं के बीच विराजित है. शक्ति, भक्ति, आस्था और चमत्कार के चलते पूरे देश में जीण माता का मंदिर विख्यात है. इसके साथ ही इसे हर्ष नाम के भाई-बहन के अटूट रिश्ते के रूप में भी जाना जाता है. मान्यता है कि मां जीण भवानी के दरबार में शीश नवाने और मनोकामना मांगने से श्रद्धालुओं के कष्ट दूर हो जाते हैं. कहा यह भी जाता है कि पहाड़ी के ऊपर बने मां जीण के तपस्या स्थल काजल शिखर पर अखंड ज्योत धूणी से आंखों में काजल लगाने से दृष्टि रोग खत्म हो जाता है.
नवरात्र में 9 दिन भरेगा लक्खी मेला
चैत्र शुक्ल के नवरात्र में 9 दिवसीय जीण माता का लक्खी मेला भरेगा. इसमें देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु मां जीण भवानी का झंडा लेकर जीण धाम पहुंचते हैं. कई वर्षों पहले पशु बलि और शराब चढ़ाने का भी रिवाज था, लेकिन इस पर अब पूरी तरह रोक लगा दी गई है.
जान बचाने के लिए वापस भाग गई थी मुगल सेना
पौराणिक मान्यताओं के अलावा एक ऐतिहासिक किस्सा भी काफी मशहूर है. दरअसल, इसे तोड़ने के लिए मुगल बादशाह औरंगजेब की सेना ने चढ़ाई की थी. शेखावाटी के मंदिरों को तोड़ते हुए जब सेना जीण माता मंदिर की ओर बढ़ने लगी तो वहां मौजूद भक्तों ने मां जीण से बचाने की गुहार लगाई. इसके बाद औरंगजेब की सेना पर मधुमक्खियों ने हमला कर दिया. मधुमक्खियां के हमले से औरंगजेब की सेना के युद्ध के मैदान से पांव उखड़ गए और सैनिक अपनी जान बचाने के लिए वापस भाग खड़े हुए.

औरंगजेब की सेना के ढोल-नगाड़े आज भी मंदिर में मौजूद
यह दृश्य देखकर वहां भक्तों ने इसे माता जीण का चमत्कार माना. जबकि लाव लश्कर के साथ लौटते हुए मुगल शासक औरंगजेब भी मां के दरबार में नतमस्तक हो गया. औरंगजेब ने क्षमा याचना की और माता के दरबार में चांदी का छत्र चढ़ाया. साथ ही मंदिर में जलने वाली अखंड ज्योत के लिए भी दिल्ली दरबार से तेल भेजने का वादा किया.
इसके साथ ही औरंगजेब की सेना के आगे चल रहे ढोल-नगाड़े भी जीण माता के मंदिर में छोड़े गए, जो आज भी मंदिर में रखे हुए हैं. मां जीण की सेवा के लिए भी सेना में शामिल एक मुस्लिम सैनिक परिवार को यही छोड़ गया. उसके वंशज आज भी जीण माता मंदिर की सीढ़ियां धोने का काम करता है.