
Rajasthan News: झालावाड़ जिले का दीवड़ी गांव आज विकास की भारी कीमत चुका रहा है. कालीसिंध थर्मल पावर परियोजना के लिए बना कालीसिंध बांध इस गांव के लिए विनाश का कारण बन गया है. गांव की उपजाऊ जमीनें बांध के पानी में डूब गईं. लोग अपने घरों में रहने को मजबूर हैं, जो अब रहने लायक नहीं बचे. बांध का पानी गांव तक पहुंच गया है, जिससे घरों में जलीय जीव-जंतु और मगरमच्छ घुस आते हैं. यह स्थिति ग्रामीणों के लिए हर दिन खतरे को न्योता दे रही है.
मुआवजे से आजीविका चलाना मुश्किल
ग्रामीणों को डूबी जमीनों के लिए मुआवजा तो दिया गया, लेकिन यह 10,000 से 60,000 रुपये प्रति बीघा तक सीमित था. यह राशि उनकी आजीविका चलाने के लिए नाकाफी है. सरकार ने न तो उनके घरों का मुआवजा दिया और न ही उन्हें कहीं और बसाने की व्यवस्था की. सरकार का कहना है कि घर पानी में नहीं डूबे, लेकिन हकीकत में ये घर रहने योग्य नहीं हैं. बांध का पानी घरों के आसपास भरा रहता है, जिससे जीवन मुश्किल हो गया है.

खतरे में जिंदगी
गांव का स्कूल और चिकित्सा केंद्र भी बांध के किनारे हैं, जहां जंगली जानवरों का खतरा हमेशा बना रहता है. कुछ ग्रामीणों की जमीनें पानी में टापू बनकर रह गई हैं. ये लोग नाव से अपनी जान जोखिम में डालकर खेती करने जाते हैं, क्योंकि उनके पास आय का कोई दूसरा साधन नहीं है. गांव में सड़क, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है. अधिकांश लोग खेती छिन जाने के बाद मजदूरी के लिए पलायन कर चुके हैं.
ग्रामीणों की पुकार
दीवड़ी गांव के लोग सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें कहीं और बसाया जाए और उनके घरों का उचित मुआवजा दिया जाए. ग्रामीणों का कहना है कि कालीसिंध बांध ने उनकी जिंदगी तबाह कर दी. वे चाहते हैं कि सरकार उनकी सुध ले और उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने का मौका दे.
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