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This Article is From Aug 27, 2023

विद्यार्थियों को उपराष्ट्रपति का संदेश, 'आपकी ताकत को कम करता है फेल होने का डर'

जिले के एक दिन के दौरे पर आए उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा , जब वे सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में पढते थे तब वे क्लास के टॉपर हुआ करते थे. उन्हें भी डर सताता था कि मुझे टॉपर बने रहना है. बाद में पता चला कि नंबर वन आना तो ठीक है, लेकिन नंबर दो, तीन, चार भी होता तो ज्यादा नुकसान नहीं होता

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विद्यार्थियों को उपराष्ट्रपति का संदेश, 'आपकी ताकत को कम करता है फेल होने का डर'
सैनिक स्कूल में पौधारोपण करते उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़
JHUNJHNU:

विद्यार्थियों के मोटिवेटर के रूप में नज़र आए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ रविवार को कहा कि आज के विद्यार्थी भाग्यशाली है कि उन्हें ऐसे माहौल में भारत के विकास में सहयोग करने का सौभाग्य मिल रहा है जब भारत का डंका पूरे विश्व में बज रहा है. उपराष्ट्रपति ने कहा, 'आज भारतीय होना, दुनिया में बहुत बड़े सम्मान की बात है.' 

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ आज राजस्थान के झुंझुनू जिले के सैनिक स्कूल पहुंचे थे, जहां उनका स्कूल प्रिंसिपल समेत अन्य सेना अधिकारियों द्वारा स्वागत किया गया. उनके साथ उनकी पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ भी कार्यक्रम में पहुंची. यहां पर जगदीप धनखड़ ने स्कूल में नवनिर्मित कक्ष: खेल, व्यायामशाला, खरीददारी केंद्र, आगंतुक अतिथि केंद्र व कैंटीन स्टोर्स डिर्पाटमेंट का उद्घाटन किया. 

बच्चों से कहा, दिल्ली आओ, हर बच्चे से मिलूंगा

अपने संबोधन के दौरान उन्होंने स्कूल प्रबंधन से कहा कि वे बैच बनाकर सभी बच्चों को दिल्ली लेकर आए. बच्चों को वे नया संसद भवन, संसद की कार्रवाई, नेशनल वॉर मेमोरियल समेत अन्य स्थानों का भ्रमण करवाने के साथ-साथ उनकी महत्ता और उनसे जुड़े इतिहास के बारे में बताएंगे. ताकि सभी बच्चों को महसूस हो सके कि वे विकासशील भारत को और ऊंचाइयों तक पहुंचाने में अपना योगदान कर रहे हैं. 

आज वो जो भी कुछ भी है, वह सैनिक स्कूल की ही देन है. जब वे गांव से सैनिक स्कूल गए थे,उनके लिए सब कुछ नया था. लेकिन उनके जीवन में ऐसा बदलाव आया कि आज वे उपराष्ट्रपति है. इस मौके पर उन्होंने कहा कि सैनिक स्कूल से जो भी निकलता है,चाहे वो भी किसी भी क्षेत्र में जाए, अपनी छाप छोड़ता है.                        -जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति

धनखड़ बोले, मैं भी डर को चुनौती के रूप में लेने लगा

अपने अनुभवों को साझा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा , जब वे सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में पढते थे तब वे क्लास के टॉपर हुआ करते थे. उन्हें भी डर सताता था कि मुझे टॉपर बने रहना है. बाद में पता चला कि नंबर वन आना तो ठीक है, लेकिन नंबर दो, तीन, चार भी होता तो ज्यादा नुकसान नहीं होता बल्कि बहुत कुछ और करने को मिलता.

आज वो जो भी कुछ भी है, वह सैनिक स्कूल की ही देन

उन्होंने आगे कहा आज वो जो भी कुछ भी है, वह सैनिक स्कूल की ही देन है. जब वे गांव से सैनिक स्कूल गए थे,उनके लिए सब कुछ नया था. लेकिन उनके जीवन में ऐसा बदलाव आया कि आज वे उपराष्ट्रपति है. इस मौके पर उन्होंने कहा कि सैनिक स्कूल से जो भी निकलता है,चाहे वो भी किसी भी क्षेत्र में जाए, अपनी छाप छोड़ता है. 

सैनिक स्कूल झुंझुनूं में खोलने की मांग उठाई थी

इस मौके पर उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने यह भी कहा कि जब 1989 में झुंझुनूं से सांसद बने थे. तब उन्होंने सैनिक स्कूल झुंझुनूं में खोलने की मांग उठाई थी . वे सैनिक स्कूल खुलवाने के पैरोकार थे. आज उनका सपना ना केवल पूरा हुआ है.  बल्कि धरातल पर भी उतर पाया है .

किठाना गांव के रहने वाले है जगदीप धनखड़

उपराष्ट्रपित जगदीप धनखड़ मूल रूप से झुंझुनूं जिले के किठाना गांव के रहने वाले है. इसलिए उनका गहरा नाता झुंझुनूं से है और वो लगातार अपने गांव में आते-जाते रहते है. किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले धनखड़ की पढाई सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ से हुई है. पेशे से वे वकील रहे उपराष्ट्रपति धनखड़ जयपुर हाईकोर्ट में काफी सालों तक प्रैक्टिस की और फिर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे.

उपराष्ट्रपति से पहले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे धनखड़

गौरतलब है उपराष्ट्रपति धनखड़ की सुप्रीम कोर्ट में जाने-माने वकीलों में गिनती होती है. वे उपराष्ट्रपति से पहले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे. तब भी झुंझुनूं उनका नियमित आना होता था. उप राष्ट्रपति बनने के बाद एक साल में धनखड़ की यह तीसरी झुंझुनूं यात्रा है. सबसे पहले वे अपने गांव किठाना गए थे. इसके बाद स्वामी विवेकानंद से जुड़े एक कार्यक्रम में भी शिरकत करने के लिए खेतड़ी आए थे. 

झुंझुनूं हवाई पट्टी पर स्वागत, राणी सती मंदिर में दर्शन

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सैनिक स्कूल दोरासर पहुंचने से पहले उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ झुंझुनूं हवाई पट्टी पर वायुसेना के हैलिकॉप्टर से पहुंचे . यहां पर पहुंचने पर भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष व पूर्व सांसद संतोष अहलावत, पूर्व विधायक शुभकरण चौधरी, उपराष्ट्रपति के परिवार के सदस्य, किठाना सरपंच प्रतिनिधि हरेंद्र धनखड़ आदि ने गर्मजोशी से स्वागत किया .धनखड़ भी सभी लोगों से मिले और उनसे बातचीत में अपनी पुरानी यादें ताजा की. इसके बाद वे कड़ी सुरक्षा के बीच राणी सती मंदिर पहुंचें, जहां पर पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ के साथ राणी सती दादी के दर्शन किए. 

लोहार्गल में पीठाधीश्वर बोले, राष्ट्रपति बनों, यही कामना है

उपराष्ट्रपति ने अपने झुंझुनूं दौरे का आरंभ लोहार्गल में सूर्य मंदिर में पूजा अर्चना किया. लोहार्गल से कुछ दूरी देवीपुरा में अस्थायी हैलिपेड बनाया गया था, जहां पर वायु सेना के हैलिकॉप्टर से जगदीप धनखड़ पहुंचे. इसके बाद सभी लोहार्गल के सूर्य मंदिर पहुंचे, जहां पर मंदिर पीठाधीश्वर ने केसरिया रंग का साफा पहनाकर उनका स्वागत किया. इस दौरान पीठाधीश्वर ने कहा कि वे भगवान सूर्य से कामना करेंगे कि जगदीप धनखड़ अब राष्ट्रपति बनकर झुंझुनूं का नाम रोशन करें.

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