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जोधपुर: रेलवे पार्किंग ठेका में 21 लाख का घोटाला, DRM ऑफिस की महिला सुपरिटेंडेंट ने किया बड़ा खेल; अब CBI की एंट्री

फर्म ने लाइसेंस शुल्क जमा करने के लिए रेलवे को सबमिट किए डीडी को खुद भुना लिया गया था और लाइसेंस शुल्क रेलवे के खाते में जमा नहीं किया गया था. यह सारा खेल फर्म ने रेलवे कर्मचारी मनीला चौहान के साथ मिलकर किया.

जोधपुर: रेलवे पार्किंग ठेका में 21 लाख का घोटाला, DRM ऑफिस की महिला सुपरिटेंडेंट ने किया बड़ा खेल; अब CBI की एंट्री
जोधपुर: रेलवे पार्किंग ठेका में 21 लाख का घोटाला

Rajasthan News: जोधपुर रेलवे के पार्किंग ठेके में 21 लाख रुपए के गबन मामले की जांच अब सीबीआई करेगी. जानकारी के मुताबिक, रेलवे के वरिष्ठ मंडल वाणिज्यिक प्रबंधक की शिकायत पर DRM ऑफिस में महिला कर्मचारी मनीला चौहान व ठेका फर्म आरोही एंटरप्राइजेज को मामले में आरोपी बनाया गया है. गबन से जुड़ा मामला राइकाबाग स्टेशन का है, जहां पर 28 लाख रुपए में पार्किंग ठेका दिया गया था, जिसमें से 21 लाख रुपए की लाइसेंस फीस रेलवे में डिमांड ड्राफ्ट के रूप में जमा होने के बाद ठेकेदार को वापस लौटा दी गई. रेलवे के दस्तावेजों में फीस का डिमांड ड्राफ्ट जमा होने और इसे लेखा विभाग में रिसीव होने की फर्जी पावती लगाकर फर्जीवाड़ा हुआ. 

28 लाख में उठाया था ठेका

दरअसल, अहमदाबाद की फर्म आरोही एंटरप्राइजेज को राइकाबाग रेलवे स्टेशन पर पार्किंग पार्किंग का ठेका मिला था. फर्म ने 28 लाख रुपए में बोली लगाकर तीन साल के लिए ठेका उठाया था. फर्म के कर्मचारी ने जनवरी 2023 से जनवरी 2025 के दौरान इस राशि में से 21 लाख रुपए रेलवे के खाते में जमा करवाने के लिए बैंक से डिमांड ड्राफ्ट बनाकर पेश किए.

जांच में पता चला कि फर्म के कर्मचारी ने उत्तर पश्चिम रेलवे के डीआरएम ऑफिस में वाणिज्यिक शाखा की कार्यालय अधीक्षक मनीला चौहान के साथ मिलीभगत करके ड्राफ्ट की कॉपी जमा करवाई.

रेलवे को बिना पैसा दिए की वसूली

ठेका फर्म के कर्मचारी से मिलीभगत करके वाणिज्यिक विभाग की कर्मचारी ने ड्राफ्ट मिलने के बाद फाइल में उस ड्राफ्ट की फोटो कॉपी लगाई और लेखा विभाग को ड्राफ्ट भेजने का पत्र भी बनाया. इस पत्र पर लेखा विभाग की फर्जी पावती लिख साइन कर दिए. इसके बाद 21 लाख के ड्राफ्ट ठेका फर्म के कर्मचारी को लौटा दिए गए. ठेका कर्मचारी ने इन ड्राफ्ट को बैंक में ले जाकर रद्द करवा दिया और रेलवे को बिना कोई पैसा दिए यात्रियों से पार्किंग शुल्क की वसूली करता रहा.

मामला संज्ञान रेलवे ने सीबीआई में एफआईआर दर्ज करने के लिए जोधपुर सीबीआई के डीआईजी को पत्र लिखा, जिसमें बताया कि फर्म ने लाइसेंस शुल्क जमा करने के लिए रेलवे को सबमिट किए डीडी को खुद भुना लिया गया था और लाइसेंस शुल्क रेलवे के खाते में जमा नहीं किया गया था. यह सारा खेल फर्म ने रेलवे कर्मचारी मनीला चौहान के साथ मिलकर किया.

रेलवे को करीब 21 लाख की लगाई चपत

आरोही एंटरप्राइजेज ने वर्ष 2023 से मार्च 2025 के दौरान 18,47,702 रुपये के सभी 19 डिमांड ड्राफ्ट को भुनाकर धोखाधड़ी की और मनीला चौहान ने डीडी को लेखा विभाग में जमा करने के बजाय ठेकेदार को वापस करके (बदले में, ठेकेदार ने अपने क्रेता खाते में सभी डीडी को भुनाया) धोखाधड़ी करने में आरोही एंटरप्राइजेज की मदद की. इस तरह उन्होंने रेलवे को 20 लाख 95 हजार 423 रुपये का नुकसान पहुंचाया और खुद को भी इसी तरह का गलत लाभ हुआ. मनीला ने लेखा विभाग की फर्जी रसीदें दिखाने के लिए दस्तावेजों में भी जालसाजी की. 

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