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Rajasthan: 19 साल की उम्र में मासूमी ने छोड़ा परिवार का मोह, दीक्षा लेकर बन रही हैं जैन साध्वी

जोधपुर में अगले एक पखवाड़े में  धार्मिक आयोजन होने जा रहा है. जैन धर्म के अनुसार, यहां 5 से अधिक मुमुक्षु (दीक्षा लेने वाली) बेटियां दीक्षा ग्रहण करेंगी.

Rajasthan: 19 साल की उम्र में मासूमी ने छोड़ा परिवार का मोह, दीक्षा लेकर बन रही हैं जैन साध्वी
मासूमी पटवा जैन साध्वी बनने जा रही हैं

Jodhpur News: राजस्थान की धार्मिक राजधानी जोधपुर में अगले एक पखवाड़े में  धार्मिक आयोजन होने जा रहा है. जैन धर्म के अनुसार, यहां 5 से अधिक मुमुक्षु (दीक्षा लेने वाली) बेटियां दीक्षा ग्रहण करेंगी. इनके दीक्षा समारोहों की तैयारियां किसी भव्य विवाह समारोह से कम नहीं हैं, जिसमें दीक्षा से 5 दिन पूर्व से ही सारी तैयारियां करनी शुरू हो जाती है. जिसमें मेहंदी और बंदोली जैसे धार्मिक आयोजन किए जा रहे हैं.

उच्च शिक्षा प्राप्त कर ठानी मोक्ष की राह

इन सब में से खास बात यह है कि इनमें से कई मुमुक्षु बेटियों ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है और अब उन्होंने सांसारिक जीवन को त्याग कर मोक्ष मार्ग पर चलने का दृढ़ संकल्प लिया है. ये बेटियां अपने गुरुदेव के सानिध्य में कठिन परीक्षाओं के बाद दीक्षा ग्रहण करेंगी.

 पुणे से जैनोलॉजी कोर्स कर लिया दीक्षा का फैसला

इसी कड़ी में, जोधपुर की 19 साल की मुमुक्षु मासूमी पटवा भी 5 जून को दीक्षा ग्रहण करेंगी. उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की है और पुणे से एक साल का जैनोलॉजी कोर्स भी किया है. वे जोधपुर के चौपासनी हाउसिंग बोर्ड क्षेत्र में अपने आचार्य गुरुदेव हीराचंद जी महाराज साहब के सानिध्य में दीक्षा लेंगी.

 परिवार में शुरू से ही था धार्मिक माहौल 

 मुमुक्षु मासूमी पटवा ने बताया कि उन्हें दीक्षा के भाव पूज्य आचार्य हीराचंद जी महाराज और आचार्य महेंद्रमुनि जी महाराज  के  आशीर्वाद से आए हैं. शुरुआत में उनका महाराज  से ज्यादा मिलना-जुलना नहीं होता था, लेकिन उनके परिवार में शुरू से ही धार्मिक माहौल था. दादा-दादी और नाना-नानी के पक्ष से भी कई महाराज साहब हैं.

सांसारिक सच्चाई जान मिली संयम की प्रेरणा

मासूमी ने आगे बताया कि "महाराज साहब के एक शिविर में जब उन्होंने सांसारिक जीवन की सच्चाई बताई, तब दीक्षा लेने की ठानी." महाराज साहब ने उन्हें संयम के मार्ग के बारे में बताया और तभी से उन्हें लगा कि सच्चा आनंद संसार में नहीं, बल्कि संयम में है. यह सोच ही उन्हें इस कठिन लेकिन शांतिपूर्ण मार्ग पर ले आई.

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