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This Article is From Mar 06, 2024

Jodhpur News: काजरी ने विकसित किया 8 हेक्टेयर भूमि में 'एग्री-इक्को टूरिज्म पार्क' सैलानियों को कर रहा आकर्षित

केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान 'काजरी' ने अपने परिसर में 8 हेक्टेयर के क्षेत्र में 200 से अधिक विभिन्न प्रजातियों के पौधों के साथ 'एग्री इक्को टूरिज्म पार्क' को विकसित किया है.

Jodhpur News: काजरी ने विकसित किया 8 हेक्टेयर भूमि में 'एग्री-इक्को टूरिज्म पार्क' सैलानियों को कर रहा आकर्षित
केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान 'काजरी'

Jodhpur News: विश्व मानचित्र में पर्यटन की दृष्टि से जोधपुर काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है. यहां आने वाले देसी और विदेशी सैलानी जोधपुर में राजा महाराजाओं के दौर में बने किले और महलों के साथ यहां की ब्लू सिटी की तंग गलियों और हेरिटेज पर्यटन से काफी आकर्षित भी होते हैं. लेकिन इन सब के बीच अब जोधपुर कृषि पर्यटन के क्षेत्र में भी एक नए रूप में उभर रहा है. जहां केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान 'काजरी' ने अपने परिसर में 8 हेक्टेयर के क्षेत्र में 200 से अधिक विभिन्न प्रजातियों के पौधों के साथ 'एग्री इक्को टूरिज्म पार्क' को विकसित किया है. जिससे जोधपुर आने वाले सैलानी भी काफी पसंद कर रहे हैं.

कृषि के क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से काजरी द्वारा किया गया यह नवाचार पर्यटकों को भी काफी रास आ रहा है. यहां देश-विदेश पर्यटकों के साथ ही स्थानीय स्कूलों के विद्यार्थी और कृषि से जुड़ाव रखने वाले कृषक भी यहां पौधों की विभिन्न प्रजातियां की जानकारी लेने के साथ ही यहां भ्रमण करने भी आते हैं.

काजरी द्वारा विकसित किए गए इस पार्क में कुल 33 ब्लॉक बनाए गए हैं. जिसमे शुष्क क्षेत्र के पौधों के साथ ही,.औषधि पौधे, फलिय पौधे व सजावटी पौधे भी लगाए गए. वहीं इसके साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों की मिट्टी के लिए भी पार्क में संग्रहालय बनाया गया है. जिसमें देश के विभिन्न क्षेत्रों और प्रान्तों से लाई गई मिट्टी की भी यहां आने वाले पर्यटक जानकारी ले सकते हैं.

किसान भी कर सकते है आमदनी में बढ़ोतरी

एनडीटीवी से खास बातचीत करते हुए काजरी के निदेशक डॉ. ओपी यादव ने बताया कि कृषि और पर्यावरण का बहुत पुराना संबंध है. जहां पर्यावरण कृषि को प्रभावित करता है और कृषि पर्यावरण से प्रभावित होती है. पर्यावरण की दृष्टिकोण से यहां जो वनस्पति कौन-कौन सी है उसकी विशेषताओं से भी पर्यटकों को रूबरू करवाते हैं इसके साथ ही मेडिसिंस से जुड़े जो प्लांट है. उनकी क्या विशेषताएं हैं और किस प्रकार से कृषि में हम नवाचार करके उनमें और अधिक प्रयोग करते हैं. उसकी जानकारी भी उन्हें प्रदान की जाती है. इसके साथ ही यहां की तकनीक अडॉप्ट करके किसान भी अपनी आमदनी में बढ़ोतरी कर सकता है. यहां अलग-अलग ब्लॉक में कहीं वैरायटी के पौधों को विकसित किया है. जिसमें मेडिकल प्लांट भी कई लगाए गए हैं और वर्तमान में मेडिकल प्लांट की भी काफी वैल्यू है. जिसमें एलोवेरा भी शामिल और हमारे इस एग्री इको टूरिज्म पार्क में कुल 33 ब्लॉक बनाए गए हैं. जहां हर एक ब्लॉक की अपने आप में अलग विशेषता है और इन सभी वनस्पति की जानकारी और उसका पर्यावरण से क्या संबंध है. कृषि से उसका क्या जुड़ाव है और इसके साथ ही किसान किस तरह से अपनी आमदनी को बढ़ा सकता है यह सभी जानकारी हम यहां आने वाले पर्यटक और किसानों को विस्तार के साथ भी देते हैं.

आम लोगों को नहीं है मिट्टी की जानकारी

काजरी निदेशक डॉ. ओपी यादव ने बताया कि हमने इस पार्क में विशेष रूप से एक मिट्टी से जुड़ा संग्रहालय भी बनाया है. जिसकी थीम है आप अपनी मिट्टी को जानिए जैसा कि यहां की राजस्थान की मिट्टी की जो रेगिस्तानी मिट्टी है. वहीं इस मिट्टी के नीचे कैल्शियम कार्बोनेट की लेयर हैं. इन सभी जानकारी का पर्यावरण की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण महत्व है. जहां आम लोगों को इस जानकारी का पता नहीं होता और मुझे लगता है जब लोगों को इस जानकारी का पता लगेगा तो निश्चित रूप से वह इसे सराहेंगे की यह के पर्यावरण की क्या विशेषता है और कितनी कठिन परिस्थितियों के अंदर किसान यहां खेती करके अनाज और मेडिकल प्लांट को पैदा कर रहा है. वहीं इसके साथ हम किसानों को यहां प्रशिक्षण भी देते हैं जिसके लिए हम दो मॉडल को अपनाते हैं जहां क्रॉप के सीजन के हिसाब से उन्हें आमंत्रित किया जाता है. जिसमें एक बार रबी की फसल किस समय और दूसरी बार खरीफ की फसल के समय और जब फसल का सबसे उपयुक्त समय होता है. तब हम किसानों के लिए यहां किसान मेले और कहीं नवाचार की आयोजित करते हैं यह पहला मॉडल है. वहीं बात दूसरे मॉडल की करें तो उसके अनुसार जो देश के विभिन्न प्रांतो से किस यहां प्रशिक्षण लेने आते हैं. वह अपने सुविधा के अनुसार यहां आते हैं और जिस समय पूरा अन्य प्रति के किस यहां प्रशिक्षण लेने आते हैं. उसे दौरान ही हमारे कृषि वैज्ञानिक उन्हें प्रशिक्षित भी करते हैं.

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