Rajasthan News: यूपी के झांसी में महारानी लक्ष्मीबाई राजकीय मेडिकल कॉलेज के 'स्पेशल न्यूरो बोर्न केयर यूनिट' में हुए भीषण अग्निकांड ने देश भर को झकझोर कर रख दिया है. अस्पताल में हुई इस दर्दनाक घटना में 10 शिशुओं की मौत हो गई और करीब 40 के करीब बच्चे जुलूस गए. इस घटना के बाद एनडीटीवी की टीम ने जोधपुर संभाग के सबसे बड़े उम्मेद अस्पताल में पहुंचकर रियलिटी चेक किया. उम्मेद अस्पताल संभाग का सबसे बड़ा प्रसूति अस्पताल है और यहां प्रतिदिन 40 से 50 डिलीवरी होती है. इस अस्पताल में जोधपुर ही नहीं, बल्कि पश्चिमी राजस्थान के विभिन्न जिलों से प्रतिदिन 7 से 8 हजार ओपीडी और आईपीडी के मरीज आते हैं.
रिसेप्शन काउंटर पर नहीं थे अग्नि-शामक यंत्र
एनडीटीवी की टीम ने पाया कि ओपीडी यूनिट में प्रवेश के साथ ही रिसेप्शन काउंटर पर किसी प्रकार का कोई अग्नि-शामक यंत्र नहीं था. ओपीडी कक्ष के वेटिंग हॉल में अग्निशामक यंत्र लगे हुए पाए गए थे, लेकिन आपातकालीन इकाई में जहां कुछ नवजात शिशु ऑब्जरवेशन में भी थे. वहां किसी प्रकार का कोई अग्निशामक यंत्र या फायर सेफ्टी उपकरण नहीं लगा हुआ था. टीम ने अस्पताल में कार्यरत पैरामेडिकल स्टाफ से भी बात की, पर फायर सेफ्टी सिस्टम को लेकर अस्पताल प्रशासन की तरफ से कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला.
चिकित्सकों को जयपुर से मिल रहे निर्देश
इसके बाद एनडीटीवी की टीम मथुरादास माथुर अस्पताल में बनी जानना विंग में भी पहुंची. जहां पीडियाट्रिक विभाग के जनरल वार्ड में पहुंचकर टीम ने पाया कि आगजनी जैसी घटनाओं से निपटने के लिए जनरल वार्ड में मात्र एक फायर सेफ्टी सिस्टम ही लगा हुआ था. लेकिन हृदय रोग से जुड़े बच्चों के वार्ड में फायर सेफ्टी सिस्टम लगाए हुए थे. इसके बाद टीम ने ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों से की तो उन्होंने बताया कि जिस प्रकार झांसी में अग्निकांड हुआ. उसके बाद सरकारी स्तर पर भी हमें व्यवस्थाओं को लेकर निर्देशित किया गया है और समय-समय पर जयपुर से भी आवश्यक दिशा निर्देश प्राप्त होते रहते हैं.
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