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भारत-पाक सीमा पर सेना व BSF जवानों का संयुक्त अभ्यास, रेगिस्तान में लैंड माईन्स को इंस्टॉल, रिमूव व डिस्पोज करने के सीखे गुर

साउथ कमान्ड इंडियन आर्मी ने एक्स पर लिखा कि बैटलएक्स डिवीजन ने ऑपरेशनल तालमेल हासिल करने और युद्ध दक्षता बढ़ाने के लिए बीएसएफ के साथ व्यापक संयुक्त प्रशिक्षण आयोजित किया.

भारत-पाक सीमा पर सेना व BSF जवानों का संयुक्त अभ्यास, रेगिस्तान में लैंड माईन्स को इंस्टॉल, रिमूव व डिस्पोज करने के सीखे गुर
सेना और बीएसएफ के जवानों का संयुक्त अभ्यास

India-Pakistan Border: जैसलमेर (Jaisalmer) में भारत-पाकिस्तान सीमा पर सेना व बीएसएफ (Army and BSF Joint Exercise) ने अपने प्रतिभाओं का साझा करते हुए एक संयुक्त अभ्यास किया. एक दिवसीय अभ्यास के दौरान सेना और बीएसएफ के जवानों के खतरे को भापकर समय रहते फिल्ड में लैंड माइन बिछाने का लाइव डेमोस्ट्रेशन करते हुए फील्ड में डिफेंस को मजबूत करने का काम किया. 

लैंड माइन इंस्टाल करने के सीखे गुर

संयुक्त अभ्यास के दौरान फील्ड डिफेंस किस तरह तैयार किया जाता है, इसको लेकर BSF के जवानों को सेना के साथ मिलकर ट्रेनिंग दी गई. इंडियन आर्मी (Indian Army) की बैटल एक्सीडेंट द्वारा आयोजित इस संयुक्त अभ्यास में जवानों ने आपसी तालमेल बिठाते हुए लैंड माईनस को बिछाना सीखा. साथ ही लैंड माइन्स को इंस्टॉल करना, रिमूव करना व डिस्पोज करने के गुर भी सीखे. इस दौरान इंडियन आर्मी व बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स के अधिकारी भी मौजूद रहे.

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भारत-पाक सीमा पर संयुक्त अभ्यास का उद्देश्य सीमा सुरक्षा बल और भारतीय सेना (BSF and Indian Army) के कौशल को साझा करना था. इसके बारे में जानकारी देते हुए साउथ कमान्ड इंडियन आर्मी ने लिखा कि बैटलएक्स डिवीजन ने ऑपरेशनल तालमेल हासिल करने और युद्ध दक्षता बढ़ाने के लिए बीएसएफ के साथ व्यापक संयुक्त प्रशिक्षण आयोजित किया. जैसलमेर सेक्टर के रेगिस्तान में माइनफील्ड बिछाना और फील्ड डिफेंस का निर्माण शामिल था.

क्यों महत्वपूर्ण है संयुक्त अभ्यास

बता दें कि भारत-पाकिस्तान सीमा (Indo-Pak Border) पर कई बार जमीन में दबी लैंड माइन बाहर आती हैं और उसको सेना द्वारा डिफ्यूज किया जाता है. भारत-पाकिस्तान के 1965 व 1971 के युद्ध या भारतीय सेना द्वारा की जाने वाली युद्धभ्यासों के दौरान भी ऐसी लैंडमाइन कहीं छूट जाती है. कई बार ये चरवाहों और किसानों को ये लैंडमाइन मिलती है. इस तरह लैंडमाइन को सरहद पर मिलने पर या ऐसी लैंडमाइन से सामना करने पर किस तरह रिएक्ट किया जाए और किस तरह से आगे की कार्रवाई की जाए इसको लेकर सयुंक्त अभ्यास को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

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