
Rajasthan News: हरियाली अमावस्या पर खाटू नगरी एक बार फिर श्रद्धा, भक्ति और धार्मिक उल्लास से सराबोर हो उठी है. दूर-दराज से आए हजारों श्याम भक्तों की उपस्थिति में गुरुवार को बाबा श्याम का भव्य शाही स्नान पूरे विधि-विधान के साथ सम्पन्न किया गया. इसके श्याम कुण्ड में पवित्र स्नान कर भक्तों ने अपने जीवन को धन्य मानते हुए बाबा से कृपा और कल्याण की प्रार्थना की. भक्तगण बाबा के स्नान का जल प्रसाद अपने साथ लेकर गए, जिसे वे गंगाजल की तरह घर में पूज्य मानते हैं. इस अवसर पर महिलाएं दान-पुण्य कर धार्मिक परंपराएं निभाती हैं, जो हरियाली अमावस्या का एक अहम हिस्सा है.
25 जुलाई रात 10 बजे से बंद रहेंगे आम दर्शन
बाबा श्याम के भव्य तिलक श्रृंगार की तैयारियों के चलते मंदिर प्रशासन ने घोषणा की है कि 25 जुलाई (शुक्रवार) रात्रि 10:00 बजे से 26 जुलाई (शनिवार) शाम 5:00 बजे तक आम दर्शनार्थियों के लिए मंदिर बंद रहेगा. इस अवधि में विशेष साफ-सफाई और मंदिर परिसर की संपूर्ण धुलाई की जाएगी.
26 जुलाई को होगा दिव्य तिलक श्रृंगार, शाम 5 बजे से दर्शन
शनिवार, 26 जुलाई की सुबह 7 बजे से बाबा श्याम का विशेष तिलक श्रृंगार शुरू होगा, जिसमें 4 से 5 घंटे तक चलने वाली इस प्रक्रिया में खास चंदन, फूलों और वस्त्रों का प्रयोग किया जाएगा. चंदन का तिलक ललाट से गालों तक लगाया जाता है, जिसके बाद फूलों से बाबा का दिव्य श्रृंगार किया जाता है.
अगली अमावस्या तक यथावत बना रहेगा बाबा का श्रृंगार
श्रद्धालुओं का विश्वास है कि तिलक श्रृंगार के बाद बाबा का जो रूप सामने आता है, वह दिव्य दर्शन का अनुभव कराता है और भक्तों को शांति, ऊर्जा और अनंत आशीर्वाद की अनुभूति होती है. बाबा का यह भव्य श्रृंगार अगली अमावस्या तक यथावत बना रहता है, जिसमें किसी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं किया जाता.
बाबा खाटू श्याम के तिलक श्रृंगार का धार्मिक महत्व समझिएधार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह श्रृंगार बाबा श्याम को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का एक तरीका माना जाता है. कहा जाता है कि तिलक श्रृंगार में बाबा श्याम के दिव्य दर्शन जिस किसी भक्त को प्राप्त होते हैं उसे शांति और आनंद की प्राप्ति होती है. तिलक श्रृंगार में विशेष प्रकार का चंदन, फूल, वस्त्र आदि का उपयोग किया जाता है और इसमें 4 से 5 घंटे लगते हैं. तिलक श्रृंगार में ख़ास चंदन का उपयोग किया जाता है. बाबा श्याम को चंदन का तिलक ललाट से गालों तक लगाया जाता है. इसके बाद, बाबा श्याम को फूलों और वस्त्रों से सजाया जाता है. यह श्रृंगार विशेष अवसरों पर और भी भव्य तरीके से किया जाता है.
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