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खींवसर में अब नाक की लड़ाई, बेनीवाल बोले- कांग्रेस ने गठबंधन तोड़ा, कनिका की दावेदारी से त्रिकोणीय मुकाबला

Khinvsar Assembly By Election 2024: नागौर जिले की खींवसर विधानसभा सीट पर अब मुकाबला रोचक हो गया है. हनुमान बेनीवाल ने पत्नी कनिका बेनीवाल को चुनावी मैदान में उतारकर पुराने सभी समीकरणों को बदल दिया है.

खींवसर में अब नाक की लड़ाई, बेनीवाल बोले- कांग्रेस ने गठबंधन तोड़ा, कनिका की दावेदारी से त्रिकोणीय मुकाबला
हनुमान बेनीवाल और उनकी पत्नी कनिका बेनीवाल.

Khinvsar Assembly By Election 2024: राजस्थान की 7 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा खींवसर विधानसभा सीट की हो रही है. नागौर जिले की यह सीट राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल का गढ़ माना जाता है. खींवसर में 2008 से अभी तक हनुमान बेनीवाल या फिर उनके परिवार से ही विधायक बनते आए हैं. 2023 के विधानसभा चुनाव में भी हनुमान बेनीवाल ने जीत हासिल की थी. बाद में हनुमान बेनीवाल के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद खींवसर में उपचुनाव हो रहा है. 

लोकसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो गया था. लेकिन इस उपचुनाव में कांग्रेस ने खींवसर से अपना प्रत्याशी उतार दिया है. कनिका बेनीवाल कल खींवसर से नामांकन भरेगी.

रूमाल हिलाने वाले नेता ने गठबंधन नहीं होने दियाः बेनीवाल

खींवसर को पत्नी कनिका बेनीवाल को चुनावी मैदान में उतारने के बाद हनुमान बेनीवाल ने कांग्रेस पर गठबंधन तोड़ने का आरोप लगाया. हनुमान बेनीवाल ने कहा कि रूमाल हिलाने वाले शेखावाटी के नेता ने गठबंधन नहीं होने दिया. ये कांग्रेस के प्रदेश स्तरीय नेता पेपर लीक, मिड डे मील घोटाला, ईडी की रेड और गिरफ्तारी से डरे हुए हैं.

आरएलपी की टिकट घोषणा के बाद अब खींवसर में रोचक संघर्ष हो गया है. एक तरफ बीजेपी ने रेवंतराम डांगा पर दांव खेला है. वहीं कांग्रेस द्वारा पूर्व डीआईजी सवाई सिंह चौधरी की पत्नी रतन चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है. इसी के साथ खींवसर में अब त्रिकोणीय संघर्ष तय हो गया है.

खींवसर में जाट और दलित का वोट निर्णायक

खींवसर जाट बाहुल्य सीट मानी जाती है. यहां अधिकांश मतदाता जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. वहीं दलित वर्ग के मतदाता भी भारी तादाद में है. ऐसे में खींवसर में जाट और दलित मतदाता जीत-हार में निर्णायक भूमिका रखते हैं. इन दोनों वर्गों का हनुमान बेनीवाल को समर्थन मिलता रहा है. 

NDTV ने टटोली वोटरों की नब्ज, लोगों ने क्या कुछ कहा 

खींवसर विधानसभा उपचुनाव में लोगों का मिजाज क्या है? NDTV ने आम आदमियों से बात की. जिसमें लोगों ने कहा कि जो लोग अपने-अपने निजी कार्य किसी नेता से करवाते हैं, वह वोट उन्हीं को देंगे. वहीं कई लोगों ने बेनीवाल को समर्थन देते हुए कहा कि अगर हनुमान बेनीवाल पत्थर को भी टिकट देकर खड़ा करेगा तो आरएलपी ही जीतेगी. 

लोगों ने कहा, "हनुमान बेनीवाल सभी लोगों से स्वयं निजी तौर पर जुड़े रहते हैं. सबके कार्य करवाते हैं. इसीलिए बेनीवाल ही जीतेगा.

भाजपा के प्रत्याशी रेवंतराम डांगा के लिए कहा कि वह पहले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से ही हनुमान बेनीवाल के साथ में जुड़े हुए थे. वह सब कुछ जानते हैं कि हनुमान बेनीवाल को वोट कौन कहां से कैसे देता है तो वह उनमें सेंध मारेगा और इस बार  हनुमान बेनीवाल की पार्टी और भाजपा के प्रत्याशी के बीच में बराबर की टक्कर रहेगी.

क्योंकि रेवंतराम डांगा भी वहां पर सभी को निजी तौर पर जानते हैं और उन्होंने भी सभी व्यक्तियों का कार्य करवाया है और वह जमीन से जुड़े हुए हैं और भाजपा अभी सरकार में है तो भाजपा के ही व्यक्ति को जितना चाहिए जिससे कि इस क्षेत्र का विकास हो सके. 

भाजपा से चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर हैं जो कि यहां के राजा भी हैं. उन्होंने भी खींवसर के विकास में कोई कमी नहीं रखी है.

कांग्रेस को जो भी वोट मिलेगी वो RLP के लिए नुकसान

कांग्रेस प्रत्याशी के लिए लोगों ने कहा कि सवाई सिंह गोदारा ने भी यहां पर खूब कार्य करवाया है. उनकी पत्नी डॉक्टर रतन चौधरी ने भी जनता की खूब सेवा की है. इस बार कांग्रेस ने प्रत्याशी अपना उतारा है किसी गठबंधन के बिना तो इस बार कांग्रेस के जो कार्यकर्ता और वोटर हैं वह इस बार कांग्रेस को ही वोट देंगे. पिछली बार उन्होंने गठबंधन के साथ में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को वोट दे दिए थे लेकिन इस बार वह वोट कम होकर वापस कांग्रेस में जुड़ जाएंगे तो कांग्रेस का वोट बैंक भी बढ़ेगा और आरएलपी के वोट काम हो जाएंगे.
    

2008 के परिसीमन से बनी खींवसर सीट, तब से बेनीवाल परिवार से ही विधायक

2008 में परिसीमन के बाद खींवसर सीट अस्तित्व में आई. इससे पहले मूंडवा विधानसभा सीट हुआ करती थी. मूंडवा और खींवसर हनुमान बेनीवाल की परंपरागत सीट रही है. खींवसर से हनुमान बेनीवाल 2008 में भाजपा की टिकट पर विधायक चुने गए थे. इसके बाद वसुंधरा राजे से नाराजगी के बाद उन्होंने 2013 में निर्दलीय जीत हासिल की. 

2018 के विधानसभा चुनाव से पहले हनुमान बेनीवाल ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का गठन किया और कई सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे. 

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बेनीवाल की पार्टी आरएलपी से गठबंधन किया और बेनीवाल को आरएलपी व भाजपा का संयुक्त उम्मीदवार बनाकर नागौर संसदीय सीट से उम्मीदवार बनाया. जिसके परिणाम स्वरूप हनुमान बेनीवाल ने कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति मिर्धा को हरा दिया. 

बेनीवाल के सांसद बनने के बाद खींवसर सीट पर उपचुनाव हुए, जिसमें हनुमान बेनीवाल ने अपने भाई नारायण बेनीवाल को चुनावी मैदान में उतारा और उन्हें जीत दिलाकर खींवसर से अपने अजेय रहने का रिकॉर्ड कायम रखा. फिर भाजपा से अलग होकर 2023 के विधानसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल ने जीत हासिल की. 

लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ वो नागौर से सांसद बने. अब 2024 के उपचुनाव में कांग्रेस से गठबंधन टूटने के बाद हनुमान बेनीवाल ने पत्नी कनिका बेनीवाल को चुनावी मैदान में उतार दिया है. 

यह भी पढ़ें - Rajasthan By Election: RLP ने खींवसर सीट से हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका को बनाया उम्मीदवार

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