 
                                            Rajasthan News: शिक्षा के मंदिर तक पहुंचने का सफर, अगर बच्चों के लिए 'मौत की सवारी' बन जाए, तो यह पूरे समाज और प्रशासन के लिए गंभीर चिंता का विषय है. राजस्थान के उदयपुर जिले से ऐसा ही एक चौंकाने वाला और दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जो स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है.
झाड़ोल क्षेत्र का वो डरावना मंजर
घटना उदयपुर के झाड़ोल क्षेत्र की है, जहां एक स्कूली वैन के ड्राइवर की घनघोर लापरवाही ने कई मासूम जिंदगियों को खतरे में डाल दिया. व्यस्त हाईवे पर यह वैन तेज रफ्तार से दौड़ रही थी, लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि वैन का पीछे वाला दरवाजा पूरी तरह से खुला हुआ था. इससे भी बड़ी विडंबना यह है कि उसी खुले दरवाजे पर कुछ स्कूली छात्र अपने पैर लटकाकर बैठे हुए थे. आप कल्पना कर सकते हैं कि तेज रफ्तार में चलती हुई वैन के खुले गेट पर बैठे बच्चों के लिए यह कितना खतरनाक हो सकता था. जरा सी चूक, एक मामूली सा ब्रेक, या सड़क का एक गड्ढा भी इन बच्चों के साथ एक बड़ी अनहोनी कर सकता था.
पीछे चल रही कार के ड्राइवर ने बनाया वीडियो
इस वैन के ठीक पीछे चल रहे एक कार ड्राइवर ने जब इस लापरवाही भरे कृत्य को देखा तो उन्होंने तुरंत अपने मोबाइल से इस पूरी घटना का वीडियो बनाना शुरू कर दिया. कार ड्राइवर ने बताया, 'वैन बहुत तेज चल रही थी. पीछे का गेट खुला था और बच्चे बाहर पैर लटकाए हुए थे. मुझे लगा कि किसी भी पल कुछ भी हो सकता है. मैंने तुरंत रिकॉर्ड करना शुरू किया. वीडियो बनता वक्त बच्चों को शायद अहसास हुआ कि कोई उनकी खतरनाक हरकत को रिकॉर्ड कर रहा है. इसके तुरंत बाद, बच्चों ने अंदर से गेट बंद कर दिया.' हालांकि, तब तक ड्राइवर की बड़ी लापरवाही कैमरे में कैद हो चुकी थी. अब यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.
सभी स्वामी विवेकानंद स्कूल के छात्र हैं
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस वैन में सवार स्कूली छात्र झाड़ोल क्षेत्र के ही स्वामी विवेकानंद स्कूल के बताए जा रहे हैं. अगर यह पुष्टि सही है, तो स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी पर भी गंभीर सवाल खड़े होते हैं कि उन्होंने बच्चों के परिवहन के लिए किस तरह के वाहन और किस तरह के लापरवाह ड्राइवर को अनुमति दे रखी है.
3 दिन पहले का हादसा और फिर भी नहीं लिया सबक
यह घटना इसलिए भी अधिक गंभीर हो जाती है क्योंकि झाड़ोल में ही कुछ दिन पहले एक बेहद दुखद हादसा हुआ था. इस इलाके में ठीक 3 दिन पहले एक स्कूल बस ने 4 साल के एक मासूम बच्चे को कुचल दिया था, जिसकी मौके पर ही मौत हो गई थी. इस दर्दनाक घटना से पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया था और बच्चों के परिवहन की सुरक्षा पर बड़े सवाल उठे थे. बावजूद इसके, स्कूल प्रबंधन और ड्राइवर ने जरा भी सबक नहीं लिया. इतनी बड़ी त्रासदी के कुछ ही दिनों बाद इस तरह की 'मौत की सवारी' सामने आना बताता है कि बाल सुरक्षा को लेकर कितनी घोर उदासीनता बरती जा रही है.
जिम्मेदारी किसकी? समझें नियम
इस पूरी घटना में ड्राइवर की लापरवाही सबसे बड़ी है. तेज रफ़्तार में वैन चलाना और गेट खुला रखना, सीधे तौर पर आपराधिक लापरवाही की श्रेणी में आता है. लेकिन, इससे बड़ी जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन की है, जो बच्चों को सुरक्षित घर तक पहुंचाने का जिम्मा लेते हैं. ट्रांसपोर्ट और ट्रैफिक नियमों के तहत स्कूली वाहनों के लिए सख्त सुरक्षा गाइडलाइन्स तय हैं. इनमें दरवाजे बंद रखना, गति सीमा का पालन करना, और बच्चों के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करना शामिल है. लेकिन, ये नियम जमीनी हकीकत से कोसों दूर नजर आते हैं.
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