Rajasthan News: राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र के बहुप्रतीक्षित कोटा-बूंदी ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट परियोजना (Kota-Bundi Green Field Airport Project) को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है. लंबे समय से अटके इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट से जुड़े 3 अहम प्रस्तावों को नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्डलाइफ (NBWL) की बैठक में आखिरकार मंजूरी मिल गई है. यह निर्णय न केवल एयरपोर्ट निर्माण की प्रक्रिया को गति देगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि विकास कार्य पर्यावरण संरक्षण के मानकों (EPS) का उल्लंघन न करें.
इस पूरे घटनाक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की पहल निर्णायक साबित हुई है. उनके प्रयासों के फलस्वरूप ही, परियोजना को रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व के बफर क्षेत्र से जुड़ी सीमित वन भूमि के उपयोग की अनुमति मिल पाई है, जो एयरपोर्ट के तकनीकी और संरचनात्मक कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए अनिवार्य थी.
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व
कोटा-बूंदी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट का प्रस्तावित स्थल, रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व (RVTTR) के बफर क्षेत्र के पास स्थित है. किसी भी वन्यजीव अभयारण्य के आसपास निर्माण कार्य के लिए NBWL की मंजूरी प्राप्त करना अनिवार्य होता है. इस परियोजना के लिए यह सबसे बड़ी बाधा थी, क्योंकि इसमें ट्रांसमिशन लाइन शिफ्टिंग और ड्रेनेज निर्माण जैसे महत्वपूर्ण कार्य वन भूमि के उपयोग की मांग कर रहे थे. बोर्ड की हालिया बैठक में मिली स्वीकृति ने स्पष्ट कर दिया है कि विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच एक संतुलित समन्वय स्थापित किया गया है. अब, राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम (RVPNL) द्वारा ट्रांसमिशन लाइन की शिफ्टिंग जैसे कार्य, एयरपोर्ट से जुड़े मुख्य निर्माण कार्यों के साथ-साथ आगे बढ़ सकेंगे.
ट्रांसमिशन लाइनों की शिफ्टिंग
ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के सुरक्षित और सुचारू संचालन के लिए मौजूदा हाई-टेंशन ट्रांसमिशन लाइनों को शिफ्ट करना आवश्यक था. NBWL ने इस संबंध में दो महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी दी है. पहली- 9.863 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग. यह स्वीकृति मौजूदा 220 केवी डबल सर्किट सकतपुरा–मांडलगढ़ (PGCIL भीलवाड़ा) ट्रांसमिशन लाइन को शिफ्ट करने के लिए दी गई है. यह लाइन एयरपोर्ट परिसर के ऊपर से गुजर रही थी, जिससे सुरक्षा संबंधी जोखिम थे. दूसरी- 4.4206 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग. इसके अलावा, 400 केवी PGCIL–अंता ट्रांसमिशन लाइन की शिफ्टिंग को भी मंजूरी मिली है.
ये दोनों ही कार्य राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम (RVPNL) द्वारा किए जाएंगे. इन लाइनों को शिफ्ट करने से एयरपोर्ट के हवाई क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, जो विमानों के सुरक्षित संचालन के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है.
स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम
एयरपोर्ट के बाहरी सीमा क्षेत्र में प्रस्तावित स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम के निर्माण को भी NBWL से हरी झंडी मिल गई है. इस सिस्टम के निर्माण के लिए 0.85 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग किया जाएगा. यह ड्रेनेज प्रणाली कोटा विकास प्राधिकरण (KDA) द्वारा निर्मित की जाएगी. इसका मुख्य उद्देश्य एयरपोर्ट परिसर के भीतर और आसपास बारिश के पानी का सुरक्षित और प्रभावी निस्तारण सुनिश्चित करना है. एयरपोर्ट जैसे बड़ी इन्फ्रास्ट्रक्चर में जल जमाव एक बड़ी समस्या बन सकता है, इसलिए एक मजबूत ड्रेनेज सिस्टम का होना ऑपरेशनल सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है.
कोटा के विकास को मिलेगी नई उड़ान
ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट परियोजना को मिली यह मंजूरी कोटा और पूरे हाड़ौती संभाग के लिए आर्थिक और कनेक्टिविटी के लिहाज से एक महत्वपूर्ण मोड़ है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस परियोजना को प्राथमिकता दी है और केंद्र तथा राज्य स्तर पर लगातार इसकी प्रगति की निगरानी की है. तीनों प्रस्तावों की स्वीकृति के साथ, अब एयरपोर्ट से जुड़े सभी तकनीकी और संरचनात्मक कार्य तेजी से आगे बढ़ेंगे. यह न केवल कोटा को राष्ट्रीय हवाई मानचित्र पर मजबूती देगा, बल्कि व्यापार, पर्यटन और निवेश के नए रास्ते भी खोलेगा.
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