Kota News: देशभर से डॉक्टर, इंजीनियर बनने का सपना लेकर कोटा आने वाले बच्चो को स्ट्रेस फ्री रखने के लिए जिला प्रशासन भी लगातार प्रयास कर रहा है. जिससे कोचिंग स्टूडेंट्स के बीच उत्साह और सकारात्मकता बनी रहें. इसके लिए कलक्टर के जरिए 'कामयाब कोटा अभियान' भी चलाया जा रहा है. इन सभी प्रयासों के अंतर्गत कलक्टर डॉ.रविन्द्र गोस्वामी एक बार फिर कोचिंग स्टूडेंट्स के बीच पहुंचकर, उनसे खुलकर संवाद किया. डॉ.गोस्वामी ने एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के जवाहर नगर स्थित एलन समुन्नत कैम्पस के समरस ऑडिटोरियम में पहुंचे. यहां करीब उन्होंने दो घंटे तक कोचिंग स्टूडेंट्स से बातचीत की. इस दौरान स्टूडेंट्स ने भी खुलकर अपने मन की बात कलक्टर डॉ.गोस्वामी के सामने रखी. उनसे लाइफ और पढ़ाई से जुड़े सवाल पूछे. और सामने आ रही उलझनों से बाहर आने के तरीके भी पूछे.
लक्ष्य तक पहुंचने के बताए गुण
बच्चों के सवालों का जवाब देते हुए डी. एम डॉ.गोस्वामी ने कहा कि लक्ष्य इतने छोटे नहीं होने चाहिए. सिर्फ नीट को ही अपना लक्ष्य मत बनाएं. जीवन में क्या पाना यह सोचें. नीट में क्वालीफाई करना या अच्छी नौकरी पाना लक्ष्य प्राप्त करने के माध्यम हो सकते हैं. आप कई आईआईटीयंस को देखते होंगे बड़ी-बड़ी नौकरियां पाने के बाद भी सबकुछ छोड़कर आ जाते हैं, क्योंकि वहां सेटिस्फेक्शन नहीं मिल पाता.
बच्चों के सवाल पर उन्होंने कहा कि जीवन में मेहनत को अपनाना है. नशा और बुरी संगत से दूर रहना है. यह दो काम जिसने भी किए वो जीवन में कभी असफल नहीं होगा. इसके बाद आपको मेहनत करने की आदत हो जाएगी. आगे बढ़ना सीख जाओगे. याद रखें सभी सफल लोग डॉक्टर नहीं होते और सभी डॉक्टर सफल नहीं होते.
क्या पढ़ाई के लिए शौक खत्म कर देने चाहिए ?
इस सवाल पर डॉ.गोस्वामी ने कहा कि कभी नहीं, शौक रहना जरूरी है. यदि खेलना अच्छा लगता है तो कुछ समय उसके लिए भी निकालें. पेंटिंग, मूवीज, लिखना जो भी शौक हो उसे साथ-साथ रखें.
मोटिवेट कैसे रहें ?
इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मोटिवेट रहने के लिए छोटे-छोटे तरीके अपनाएं. जैसे जहां जो अच्छा मिल जाता है, उसे लिखते रहें और अपने पास रखें, जिससे उसे जब भी पढ़ेंगे तो मोटिवेट हो जाएंगे.
मोबाइल नहीं छूटता ?
इस सवाल पर डॉ.गोस्वामी ने कहा कि यह समस्या बहुत बड़ी है. हम मोबाइल बहुत देर तक देख लेते हैं और जब छोड़ते हैं तो फिलिंग ऑफ डिसअपॉइंटमेंट आती है, इसलिए लिमिटेड उपयोग करना शुरू करें. मोबाइल ही नहीं हर आदत पर कंट्रोल करना आना चाहिए.
डर से कैसे बाहर आएं ?
डी. एम डॉ.गोस्वामी इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि क्लास में डर नहीं झिझक होती है, हमें लगता है कि सबके सामने सवाल कैसे पूछेंगे? इंट्रोवर्ड लोगों के साथ समस्या ज्यादा है और स्टडी कहती है कि 50 प्रतिशत लोग इंट्रोवर्ड होते हैं. ऐसे में टीचर्स से अकेले बात करें. क्लास के बाहर पूछें, पार्किंग में पूछ लें। सवाल को साथ लेकर घर नहीं जाएं.
पढ़ाई के लिए समय कैसे तय करें ?
याद रखें हमें कुछ समय पढ़ाई करना बहुत अच्छा लगता है, उसके बाद एवरेज और फिर बोरिंग, जो समय सबसे अच्छा लगता है, उस समय में सबसे टफ सब्जेक्ट पढ़ें। तीनों सब्जेक्ट रोज पढ़ें। हर प्रश्न को एनालाइज करने की कोशिश करें. सवाल क्या है, किस टॉप से लिया गया है, हर सवाल कुछ सिखाता है, तो क्या सिखा रहा है यह देखें। लास्ट मिनिट रिवीजन के लिए छोटे नोट्स बनाएं. 5-10 पन्नों के हो सकते हैं। हर सब्जेक्ट की अलग से डायरी मेंटेंन करें। परीक्षा के समय यह बहुत उपयोगी साबित होगा.
जैसा सोचते हैं वैसा नहीं होता ?
इस पर डॉ. गोस्वामी ने कहा कि रूटीन नहीं सिर्फ एक घंटे का ही प्लान बनाएं, छोटी प्लानिंग करेंगे तो एक्जीक्यूट करने में आसानी होगी. लंबी प्लानिंग में परेशानी संभव है लेकिन इसमें वेरिएशन ज्यादा होते हैं.