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दौसा में वकील बनाम तहसीलदार: राजस्थान बार काउंसिल की बड़ी रिपोर्ट, दोषी पाए गए अमितेश मीणा!

पुलिस की तरफ से डिप्टी एसपी दिलीप मीणा इस मामले की जांच कर रहे हैं, लेकिन बार काउंसिल की रिपोर्ट ने उनकी जांच को एक नई दिशा दे दी है.

दौसा में वकील बनाम तहसीलदार: राजस्थान बार काउंसिल की बड़ी रिपोर्ट, दोषी पाए गए अमितेश मीणा!
राजस्थान बार काउंसिल ने CM भजनलाल से की तहसीलदार पर कार्रवाई करने की मांग.

Rajasthan News: राजस्थान के दौसा जिले का लालसोट शहर इन दिनों एक बड़े विवाद की वजह से सुर्खियों में है. यहां तहसीलदार और वकीलों के बीच हुए टकराव ने अब एक नया मोड़ ले लिया है. इस मामले की जांच के लिए बनाई गई बार काउंसिल ऑफ राजस्थान की तीन सदस्यीय टीम ने अपनी रिपोर्ट में लालसोट के तहसीलदार अमितेश मीणा सहित अन्य सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को दोषी पाया है.

सरकार से सख्त कार्रवाई की सिफारिश

बार काउंसिल ऑफ राजस्थान की इस तीन सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा है कि 19 अगस्त को लालसोट तहसील कोर्ट में वकीलों पर जो हमला हुआ, उसके लिए तहसीलदार और उनके साथ मौजूद कर्मचारी जिम्मेदार हैं. इस कमेटी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, राजस्व सचिव और राजस्व मंडल के अध्यक्ष से तहसीलदार अमितेश मीणा और अन्य दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने की सिफारिश की है. इसके अलावा, दौसा जिला प्रशासन से भी अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का अनुरोध किया गया है.

क्या हुआ था लालसोट में?

विवाद तब शुरू हुआ जब लालसोट के तहसीलदार अमितेश मीणा और कुछ वकीलों के बीच बहस हो गई. वकीलों का आरोप है कि 19 अगस्त को वे एसडीएम का एक स्टे ऑर्डर तहसीलदार को देने गए थे, लेकिन तहसीलदार ने न सिर्फ उस ऑर्डर को लेने से इनकार किया, बल्कि वकीलों के साथ अभद्रता की और उन्हें धक्का देकर बाहर निकाल दिया. इस घटना के बाद मामला और भी गरमा गया जब तहसीलदार का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह वकीलों को 'काले कोट में घूम रहे गुंडे' कहते नज़र आए.

दूसरी तरफ, तहसीलदार अमितेश मीणा ने भी हार नहीं मानी. उन्होंने देर रात करीब 3 घंटे तक धरने पर बैठने के बाद 13 वकीलों के खिलाफ गंभीर आरोपों के साथ FIR दर्ज करवा दी, जिसमें राजकार्य में बाधा डालना, मारपीट और जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल शामिल है.

बार काउंसिल की रिपोर्ट ने पलटा पासा

दौसा बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कुंजी बिहारी शर्मा के नेतृत्व में वकीलों ने इस मामले की शिकायत जिला कलेक्टर और एसपी से की थी, जिसके बाद बार काउंसिल ऑफ राजस्थान ने एक तीन सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया. इस कमेटी में वरिष्ठ अधिवक्ता सैयद शाहिद हसन और घनश्याम सिंह राठौर के साथ-साथ डॉ. महेश शर्मा शामिल थे. रिपोर्ट के मुताबिक, कमेटी के सदस्य डॉ. महेश शर्मा ने मौके पर पहुंचकर जांच की, जबकि अन्य दो सदस्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े रहे. कमेटी ने स्थानीय बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों, पीड़ित वकीलों और अन्य लोगों से बात करके यह रिपोर्ट तैयार की.

इस रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से तहसीलदार को दोषी ठहराया गया है, जिससे वकीलों का पक्ष मजबूत हुआ है. बार काउंसिल ने अब यह रिपोर्ट राजस्थान हाई कोर्ट प्रशासन और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा को भी भेजी है, ताकि आगे की कार्रवाई हो सके.

राजस्थान सरकार के पाले में गेंद

इस रिपोर्ट के बाद अब गेंद राजस्थान सरकार के पाले में है. जहां एक तरफ वकीलों ने तहसीलदार अमितेश मीणा के निलंबन की मांग करते हुए पेन डाउन हड़ताल जारी रखी है, वहीं दूसरी तरफ तहसीलदार के खिलाफ आपराधिक और अनुशासनात्मक कार्रवाई की तलवार लटक गई है. दौसा के वकील भी इस मामले में एकजुट हो गए हैं और अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो पूरे जिले में न्यायिक कार्य ठप हो सकते हैं. 

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