Rajasthan News: राजस्थान में जंगली जानवरों का खतरा काफी बढ़ गया है. अलग-अलग जिलों में तेंदुआ, बाघ, लोमड़ी, भालू जैसे जानवर आबादी वाले इलाकों में घुस रहे हैं. वहीं उदयपुर में तेंदुए का आतंक अब भी बरकरार है जो गोगुंदा तहसील में बीते 19 सितंबर को शुरू हुआ था. तेंदुए को पकड़ने के लिए वन विभाग लगातार सर्च अभियान चला रहा है. राजधानी जयपुर से भी तेंदुए को पकड़ने के लिए टीम बुलाई गई है. इतना ही नहीं नई-नई तरकीब के जरिए तेंदुए को जाल में फंसाने की कोशिश हो रही है.
बता दें तेंदुआ पिछले 7 दिनों से किसी को नहीं दिखा है. लेकिन उसके पगमार्क जरूर दिखाई दिए हैं. वहीं अब तेंदुए को पकड़ने के लिए वन विभाग अब जंगल में सीसीटीवी कैमरे लगा रहा है. संभवत पहली बार ऐसा हो रहा है जब जानवर को पकड़ने के लिए जंगल में सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं. अब इससे 24 घंटे निगरानी की जाएगी.
जयपुर सहित अन्य जगहों से आई इमरजेंसी रिस्पांस टीम
लेपर्ड को पकड़ने के लिए राजधानी जयपुर से एमरजेंसी रिस्पांस टीम आई है. साथ ही रणथंभौर और केवलादेव नेशनल पार्क से भी फील्ड ऑफिसर और स्टाफ आए है. सभी टीमें अलग अलग डायरेक्शन में सर्च अभियान चला रही है. कुछ दिनों से लेपर्ड का मूवमेंट नहीं दिखा तो संभावना जताई थी कि वह आगे मूवमेंट कर गया है. लेकिन राठौड़ों का गुड़ा के जंगल क्षेत्र में ही पगमार्क दिखे है. इसको लेकर वन विभाग इसी क्षेत्र में सर्च अभियान चला रहा है. साथ ही मौके पर शूटर्स भी तैनात किए गए हैं..अलग अलग शिफ्ट में टीमें 24 घंटे तैनात है.
सीसीटीवी से ऐसे पता चलेगा लेपर्ड का
लेपर्ड के पगमार्क दिखने के बाद इसी जंगल में लेपर्ड का होना तय हो गया. लेकिन लेपर्ड सामने नहीं आ रहा और लगातार चकमा दे रहा है. ऐसे में अब पहली बार सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं. वन विभाग ने सोलर से संचालित होने वाले 4 से 5 जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं. इन कैमरों की मॉनिटरिंग वन विभाग में कार्यालय से की जाएगी. 24 घंटे टीमें कैमरों के आउटपुट स्क्रीन पर ही रहेंगे. इन्ही कैमरों के आसपास शूटर्स की टीमें तैनात है. सीसीटीवी आउट पुट स्क्रीन पर जैसे ही लेपर्ड की हलचल दिखेगी. ऑफिस में बैठी टीम फील्ड वाली टीम को सूचना देगी. ऐसे में फील्ड टीम यानी शूटर्स की तीन एक्टिव होगी और कार्रवाई करेगी. संभावना जताई जा रही है कि यह तरकीब काम आ जाए.
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