Alwar Lok Sabha Seat Election 2024: अलवर संसदीय क्षेत्र में 19 अप्रैल को मतदान जहां एक और शांतिपूर्ण संपन्न हो गया. वहीं मतदान की कम परसेंटेज ने उम्मीदवारों की नींद भी उड़ा दी है. लोकसभा सीट पर 59.79 फीसदी में मतदान हुआ. 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले यह करीब 7 प्रतिशत काम रहा. प्रशासन के लाख दावों के बाद भी कम मतदान ने लोकसभा चुनावों के प्रति रुझान कम होने का संकेत दिया है. हालांकि कम वोटिंग होने से कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल चिंता में है. दोनों ही दलों का दावा है कि उनके वोटर तो निकले, दूसरी पार्टी के वोटर नहीं निकले.
मुद्दों पर आंकलन किया जाए तो इन चुनावों में महंगाई, रोजगार और राम मंदिर जैसे मुद्दों का कम असर दिखाई दिया. क्योंकि लगभग आधी आबादी ने अपना वोट डालने में कोई रुचि नहीं दिखाई. चुनाव से पहले ऐसा माना जा रहा था कि इस बार पक्ष और विपक्ष के मुद्दे अगर हावी रहे तो वोट प्रतिशत 75 फीसदी संभव है. लेकिंन वास्तविकता इससे उल्ट रही.
विधानसभा चुनाव में 75 फीसदी हुआ था मतदान
पांच माह पहले हुए विधान सभा में ये मतदान औसतन 75 फीसदी था. आंकड़ों को देखें तो अहीर बाहुल्य सीटों बहरोड़, मुंडावर और किशन गढ़ बास में मत प्रतिशत कम रहा, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार ललित यादव खुद मुंडावर के कांग्रेस से विधायक हैं. अलवर लोकसभा क्षेत्र की 8 विधानसभा का मतदान प्रतिशत इस तरह रहा.
आठ विधानसभाओं में यह रहा वोटिंग का ट्रेंड
अलवर लोकसभा चुनाव में आठ विधानसभा आती हैं, जिनमें अलवर शहर में 59.80%, अलवर ग्रामीण 58.04%, तिजारा 61.40%, किशनगढ़ बास 64.30%, मुंडावर 58.01%, बहरोड़ 59.15%, रामगढ़ 62.38% और राजगढ़ लक्ष्मणगढ़ 55.01% मतदान हुआ.
मेव बाहुल्य क्षेत्रों में अच्छी हुई वोटिंग
वोटिंग परसेंटेज के कम होने से जहां एक और कांग्रेस का मानना है कम मतदान से उन्हें फायदा होता है, क्यूंकि उसका परंपरागत वोट पार्टी को ही जायेगा. ऐसा देखा गया है कि, बीजेपी का वोट व्यापारी, अगड़ी जातियों का माना जाता है वो मतदान के लिए घर से नहीं निकला. इसलिए बीजेपी के सामने अलवर में हैट्रिक लगाने की चुनौती है. बीएसपी ने भी टक्कर दी है, लेकिन लेकिन वो कितना प्रभावित रहता है, यह अभी देखने वाली बात है. इस चुनाव में यह देखने को मिला है कि, मेव बाहुल्य क्षेत्र रामगढ़, तिजारा और किशनगढ़ बास में अन्य सीटों के मुकाबले अधिक हुआ है. इन सीटों पर कांग्रेस का परम्परागत वोटर काफी अधिक संख्या में है. हालांकि मुंडावर जहां से कांग्रेस के प्रत्याशी ललित यादव विधायक हैं, वहां वोटिंग कम हुई है. ऐसे में अंत में किसे फायदा होगा इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है.
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