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This Article is From Mar 17, 2024

राजस्थान की वह तीन लोकसभा सीट, जहां हो सकता है मिशन 25 को खतरा!

राजस्थान में सभी 25 लोकसभी सीटों पर जीत के लिए बीजेपी कांग्रेस में अहम मुकाबला होगा. लेकिन इसमें से तीन सीटों पर असल चुनावी मुकाबला दिखने वाला है.

राजस्थान की वह तीन लोकसभा सीट, जहां हो सकता है मिशन 25 को खतरा!
राजस्थान में दो चरणों में 25 सीटों पर होगा मतदान

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल चुनाव आयोग ने बजा दिया है. पूरे देश में 7 चरणों में 543 लोकसभा सीटों पर चुनाव संपन्न कराए जाएंगे. चुनाव आयोग द्वारा तारीखों के ऐलान के साथ ही जहां पूरे देश में आचार संहिता लागू हो गया है. वहीं, राजनीतिक दल चुनावी अखाड़े में उतरने लगे हैं. राजस्थान में 25 लोकसभा सीटों पर 2 चरणों में संपन्न कराए जाएंगे. जिसमें पहले 19 अप्रैल को 12 सीटों पर और 26 अप्रैल को 13 सीटों पर मतदान कराए जाएंगे. राजस्थान में 25 सीटों पर बीजेपी जीत का दावा कर रही है. वहीं, कांग्रेस इस बार लोकसभा चुनाव में जीत का खाता खोलने की उम्मीद के साथ उतरने वाली है. इसके लिए रणनीति भी तैयार की जा रही है.

बीजेपी ने अब तक राजस्थान के 15 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिये हैं. वहीं, कांग्रेस की ओर से 10 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान किया गया है. यानी बीजेपी 10 सीटों पर और कांग्रेस 15 सीटों पर अभी उम्मीदवारों का ऐलान करेगी. दोनों ने जितने उम्मीदवारों का ऐलान किया है उनमें ज्यादातर सीट दूसरे फेज की सीटें हैं. राजस्थान में मुकाबला 25 सीटों पर बीजेपी कांग्रेस के लिए अहम होगा. लेकिन हम आपको राजस्थान की उन तीन सीटों के बारे में बताते हैं जहां असल मुकाबला देखा जा सकेगा.

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जोधपुर लोकसभा सीट

जोधपुर लोकसभा सीट राजस्थान की सबसे बड़ी सीटों में से एक हैं. इस सीट से बीजेपी ने गजेंद्र सिंह शेखावत को मैदान में उतारा है. जबकि कांग्रेस ने करण सिंह उजियारड़ा को टिकट दिया है. हालांकि, गजेंद्र सिंह इस सीट पर लगातार 2014 से चुनाव जीतते आ रहे हैं. लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस बार स्थिति कुछ उलट है. क्यों कि गजेंद्र सिंह को टिकट देने के बाद यहां स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ताओं ने उनका विरोध शुरू कर दिया था. हालांकि, इसे लेकर बाद में डैमेज कंट्रोल किया गया. क्योंकि विरोध करने वाले कार्यकर्ता बाबू सिंह राठौड़ से जुड़े थे. लेकिन बाद में दोनों के बीच सुलह हुई. लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि सियासत की बिसात पर कब किसे शिकस्त दे जाए. क्योंकि बीजेपी को विधानसभा चुनाव में भी खामियाजा भुगतना पड़ा था. 

दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी करण सिंह उजियारड़ा जोधपुर के स्थानीय नेता हैं. ऐसे में यहां स्थानीय और बाहर के नेता का मुद्दा उठ सकता है. करण सिंह जब उम्मदीवार घोषित किये गए और जब उनकी जोधपुर में एंट्री हुई तो जनता और कार्यकर्ता ने उनका भव्य स्वागत किया. ऐसे में गजेंद्र सिंह शेखावत की नई परिस्थिति के साथ करण सिंह को फायदा मिल सकता है. यानी जोधपुर सीट पर मुकाबला कांटेदार होगा.

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चूरू लोकसभा सीट

चूरू लोकसभा सीट वैसे तो बीजेपी का गढ़ रहा है क्योंकि यहां 1999 से यहां बीजेपी जीतते आ रही है. लेकिन इस बार सियासत पूरी उलट हो चुकी है. चूरू सीट पर कस्वां परिवार का दबदबा है और इस परिवार के दबदबे की वजह से बीजेपी जीतते आ रही है. 1999 से 2009 तक राम सिंह कस्वां जीत रहे थे. इसके बाद 2014 और 2019 में राम सिंह कस्वां के बेटे राहुल कस्वां ने जीत दर्ज की. लेकिन इस बार बीजेपी ने यहां से पैरालंपिक खिलाड़ी दवेंद्र झाझरिया को टिकट दिया है. ऐसे में राहुल कस्वां ने बगावत की और कांग्रेस में जा मिले. यानी अब कस्वां परिवार कांग्रेस के साथ है. 

लगातार पांच चुनाव में कस्वां परिवार जिस तरह से जीत रहा है. उससे साफ है कि राहुल कस्वां यहां से जीत सुनिश्चित कर सकते हैं. लेकिन दवेंद्र झाझरिया को पीएम मोदी का सपोर्ट मिलेगा. माना जा रहा है कि पीएम मोदी खुद चूरू में दवेंद्र के लिए वोट मांगने आ सकते हैं. ऐसे में देवेंद्र झाझरिया को मोदी लहर हारने से बचा सकती है. यानी इस सीट पर मुकाबला कांटे का होने वाला है.

बीकानेर लोकसभा सीट

इस बार बीकानेर लोकसभा सीट पर जबरदस्त मुकाबला दिख सकता है. क्योंकि इस सीट पर इस बार दो मेघवाल के बीच टक्कर होगी. बीजेपी ने यहां से अर्जुन राम मेघवाल को फिर से उम्मीदवार घोषित किया है. जबकि कांग्रेस ने गोविंद राम मेघवाल पर दांव खेला है. हालांकि बीकानेर सीट पर बीजेपी का दबदब 2004 से ही जबकि 2009 से अर्जुन राम मेघवाल इस सीट पर जीत दर्ज करते आ रहे हैं. भले ही अर्जुन राम मेघवाल का इस सीट पर दबदबा है लेकिन उनके सामने गोविंद राम मेघवाल की चुनौती होगी ऐसा माना जा रहा है. क्योंकि गोविंद राम बीकानेर से काफी अनुभवी नेता है. वह नोखा और खाजूवाला विधानसभा सीट से विधायक भी रह चुके हैं. ऐसे में उनकी स्थानीय राजनीति में काफी पकड़ है. वहीं, बीकानेर में ब्राह्मण और अनुसूचित जाति के सबसे ज्यादा वोटर हैं तो दोनों के बीच कांटे की टक्कर हो सकती है.

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