
Rajasthan News: बीकानेर लोकसभा सीट पर पिछले तीन बार से भाजपा का कब्जा है. पहले सामान्य सीट रही बीकानेर लोकसभा सीट सन 2009 में आरक्षित हुई थी. उसके बाद से बीजेपी ही इस पर अपना कब्जा बरकरार रखे हुए है. हालांकि पहले दो बार ये सीट भाजपा के पास रह चुकी है. सन 1996 में यहां से महेन्द्र सिंह भाटी जीते थे और उनके बाद 2004 में फिल्म अभिनेता धर्मेन्द्र ने यहां से भाजपा का परचम फहराया था. लेकिन एससी सीट घोषित हो जाने के बाद से ही ये सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गई और 2009 से ही केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल यहां का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. बीजेपी और कांग्रेस में फर्क ये है की जहां भाजपा ने अर्जुन राम को अपना ब्रांड बना रखा है, वहीं कांग्रेस हर बार नया कैंडिडेट उतरती रही है. उसका ये प्रयोग हर बार फेल हो जाता है और बीजेपी अपना वर्चस्व कायम रखे हुए है.
अर्जनराम मेघवाल की सीट
ये सीट मूलतः कांग्रेस की मानती जाती रही है, लेकिन जब से आरक्षित हुई है तभी से कांग्रेस के लिए दूर की कोड़ी बन गई है. वहीं भाजपा ने अर्जुनराम मेघवाल का कद लगातार बढ़ाए रखा. एमपी के रूप में चुनाव जीते अर्जुनराम मेघवाल आज देश के कानून मंत्री हैं. डॉ. भीमराव अम्बेडकर के बाद वे देश के दूसरे कानून मंत्री हैं, जो एससी समुदाय से हैं. कांग्रेस ने सन 2009 में पूर्व में विधायक रहे रेवंतराम पंवार को अर्जुनराम के सामने उतारा और उस वक्त दोनों के बीच कड़ा मुकाबला रहा. हालांकि इस वक्त बीजेपी के कद्दावर नेता देवीसिंह भाटी अर्जुनराम के साथ थे. मगर बावजूद इसके मुकाबला कड़ा रहा था और कांग्रेस सिर्फ 19575 वोटों से लोकसभा चुनाव हारी थी. उस समय आज के कांग्रेस नेता गोविन्द राम मेघवाल बीएसपी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में थे और उन्होंने 39 हजार वोट हासिल किए थे. अगर वे चुनाव न लड़ते तो कांग्रेस इस सीट पर कब्जा रख लेती. लेकिन इसके बाद तो कांग्रेस बीकानेर लोकसभा सीट पर लगातार पिछड़ती गई और उसकी वजह हर बार पार्टी उम्मीदवार का बदला जाना रही. जिसका नतीजा ये रहा कि लोगों में कांग्रेस के प्रति विश्वास नहीं बना.
दावेदारों की लंबी लाइन
आज भी कांग्रेस के तीन बड़े नेता बीकानेर में हैं. पार्टी के राजस्थान प्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा, प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा और प्रतिपक्ष नेता टीकाराम जूली लोकसभा चुनाव को लेकर आज बीकानेर के कार्यकर्ताओं से चर्चा करेंगे. इस बार फिर दावेदारों की लंबी लाइन है. जिसमें 2019 में चुनाव लड़ चुके मदन मेघवाल, पूर्व मंत्री गोविन्द मेघवाल और उनकी पुत्री सरिता मेघवाल के अलावा भी कर नेता शामिल हैं. बाजी किसके हाथ लगती है ये वक्त बताएगा. लेकिन अर्जुनराम मेघवाल के कद का कोई नेता फिलहाल कांग्रेस के पास नहीं है.
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