Rajasthan News: लोकसभा चुनाव प्रत्याशी घोषित होने के साथ ही खुले तौर से शेरगढ़ विधायक बाबू सिंह राठौड़ (Babu Singh Rathore) ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) का विरोध किया था, और उनके क्षेत्र में विकास कार्य नहीं होने का आरोप लगाते हुए हिसाब मांगा था. यहां तक कि विधायक के कार्यकर्ताओं ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री का घेराव करके काले झंडे भी दिखाए थे. इसके बाद कार्यकर्ताओं के खिलाफ मुकदमे भी दर्ज हुए थे. लेकिन बाद में बीजेपी के शीर्ष नेताओं और मुख्यमंत्री ने दोनों के बीच सुलह करवा दी. मगर अब शेरगढ़ विधानसभा क्षेत्र में होली स्नेह मिलन समारोह के दौरान शेखावत ने हिसाब दिया है कि किस कारण से वे शेरगढ़ में विकास नहीं करवा पाए.
'राठौड़ की राजे-शेखावत से नहीं बनती थी'
होली स्नेह मिलन के मंच पर शेखावत ने अपने भाषण के दौरान पूर्व सीएम वसुंधरा राजे से उनके और बाबू सिंह राठौड़ के रिश्तों में कड़वाहट की बात भी कबूली. शेखावत ने कहा कि 2013 से 2018 तक प्रदेश में डबल इंजन की सरकार थी. लेकिन तब बाबू सिंह राठौड़ की मैडम से नहीं बनी थी और बाद में उनकी (शेखावत की) नहीं बनी. इसलिए शेरगढ़ का विकास नहीं हो सका. उसके बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आ गई, जिसने केंद्र के काम को रोक दिया था. लेकिन अब वर्तमान में डबल इंजन की सरकार है. ऐसे में शेरगढ़ का विकास नहीं रुकेगा. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि शेरगढ़ की जो भी मांगे विधायक बाबू सिंह राठौड़ ने रखी हैं, उसे पूरी की जाएगी. शेरगढ़ के विकास के लिए बाबू सिंह यहां दिन रात पसीना बहाएंगे और मेरा यहां पर खून गिरेगा.
गहलोत सरकार ने मेरे लिए परिस्थितियाँ प्रतिकूल बनाईं। काम अटकाए। मैं थका नहीं। हारा नहीं। विकास पर अडिग था। विकास पर अटल हूँ।
— Gajendra Singh Shekhawat (मोदी का परिवार) (@gssjodhpur) March 29, 2024
शेरगढ़ की सभा ने मुझ पर विश्वास की मुहर एक बार फिर लगा दी।#Jodhpur #AbkiBar400Par #PhirEkBaarModiSarkar pic.twitter.com/lf3D63EU4U
पुरानी बाते भूलकर गले मिले राठौड़-शेखावत
बाबू सिंह राठौड़ ने भी कार्यकर्ताओं को आश्वस्त किया कि उनके बारे में यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि उन्होंने शेखावत से समझौता तो कर लिया है, लेकिन वह दिल से शेखावत के साथ नहीं हैं. इस बात को लेकर बाबू सिंह राठौड़ ने अपनी कुलदेवी की सौगंध दोहराते हुए कार्यकर्ताओं को आश्वस्त किया कि वह दिल से अब शेखावत के साथ हैं और जो भी गिले शिकवे हैं, वह दूर हो चुके हैं. उम्मीद करते हैं कि आने वाले दिनों में शेरगढ़ में विकास कार्य होंगे. आज की सभा से वह कहावत चरितार्थ होती दिखाई दी, जिसमें कहा जाता है कि सियासत में ना तो कोई स्थाई शत्रु होता है और ना ही मित्र. क्योंकि जिस तरह से पिछले दिनों शेखावत और राठौड़ के बीच में टकराहट देखी थी. आज वह दोनों गले मिलकर पुरानी बातों को भूलने की बात कर रहे थे. वहीं क्षेत्र की जनता अपने दोनों नेताओं को कंधे पर बैठकर मंच तक लाती हुई दिखाई दे रही थी.
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