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This Article is From Mar 16, 2024

Lok Sabha Elections 2024: क्या पिछला प्रदर्शन दोहरा पाएगी भाजपा? राजस्थान में 'डबल इंजन' की सरकार के सामने ये हैं चुनौतियां

Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव की घोषणा कर दी गई है. 19 अप्रैल से 7 चरणों में पूरे देश में वोटिंग होगी. राजस्थान में दो चरणों में 19 और 26 अप्रैल को मतदान होगा. इस चुनाव में भाजपा के सामने खुद का पिछला प्रदर्शन दोहरा पाना बड़ी चुनौती होगी.

Lok Sabha Elections 2024: क्या पिछला प्रदर्शन दोहरा पाएगी भाजपा? राजस्थान में 'डबल इंजन' की सरकार के सामने ये हैं चुनौतियां
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और डिप्टी सीएम दिया कुमार और प्रेमचंद्र बैरवा.

Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 की रणभेरी बज चुकी है. 19 अप्रैल से 7 चरणों में पूरे देश में वोटिंग होगी. इस चुनाव में भाजपा के सामने खुद का पिछला प्रदर्शन दोहराने की चुनौती होगी. दूसरी ओर कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल अपनी पिछली हार को भूलाकर पूरे दमखम से मोदी के विजय रथ को रोकने की जुगत में लगे हैं. बात राजस्थान की करें तो यहां लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजने के साथ ही चुनावी सरगर्मियां जोर पकड़ चुकी है. जहां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए एक बार फिर राज्य की सभी 25 लोकसभा सीट जीतने की चुनौती होगी. 

भाजपा को पिछला प्रदर्शन दोहराने के लिए बागी नेताओं के साथ-साथ क्षेत्रीय पार्टी भारत आदिवासी पार्टी (BAP) और हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) की चुनौती से पार पाना होगा. 

उल्लेखनीय है कि निर्वाचन आयोग ने शनिवार को लोकसभा चुनाव 2024 के तारीखों की घोषणा कर दी. इस बार चुनाव 19 अप्रैल से एक जून के बीच सात चरणों में होंगे और मतगणना चार जून को होगी. राजस्थान में दो चरणों में चुनाव होगा. पहले चरण में 19 अप्रैल को एवं दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होगा. राजस्थान में लोकसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला एक बार फिर भाजपा एवं कांग्रेस के बीच होगा. इस बार भाजपा सत्ता में है और उसके नेताओं को पूरा भरोसा है कि वह एक बार फिर राज्य की सभी 25 लोकसभा सीट जीतने की 'हैट्रिक' लगाएगी. 

पिछली दो चुनावों में भाजपा ने किया है क्लीन स्विप

राजस्थान की सभी 25 सीटों को जीतने के पीछे भाजपा 'डबल इंजन' सरकार के विकास कार्य को वजह बता रहे हैं. भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में सभी सीट जीती थीं. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा/राजग ने फिर सभी सीट जीतीं. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने नागौर की सीट राजग के भागीदार राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के लिए छोड़ी थी जहां से हनुमान बेनीवाल जीते. हालांकि यह पार्टी बाद में राजग से अलग हो गई और इस बार भाजपा सभी सीट पर अपने ही उम्मीदवार उतारने जा रही है.

भाजपा के नेता मानते हैं कि राज्य में पार्टी की सरकार को देखते हुए लोग 'डबल इंजन' सरकार के लिए उसे वोट देंगे. इसके अलावा उनको भरोसा है कि हिंदुत्व और राम मंदिर के लिए जनभावनाओं तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कारक भी मतदाताओं को भाजपा की ओर लुभाएगा. दिसंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 200 में से 115 सीट जीतकर सरकार बनाई जबकि कांग्रेस 69 सीट पर सिमट गई.

करणपुर में जीत के बाद कांग्रेस उत्साहित

विधानसभा चुनाव हारने के बाद राज्य की सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस के लिए आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को टक्कर देना अपने आप में बड़ी चुनौती है. हालांकि करणपुर विधानसभा सीट पर बाद में हुए चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को करारी हार देकर उसने भविष्य के लिए अपनी उम्मीदें जरूर मजबूत की हैं. इस बीच, कांग्रेस एवं भाजपा दोनों ही पार्टियों ने लोकसभा चुनाव में दमखम ठोंकने के लिए एक दूसरे के नेताओं को अपने में शामिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.

कांग्रेस के कई नेता भाजपा में हुए शामिल

इसकी शुरुआत पूर्व मंत्री और चार बार के विधायक महेंद्रजीत सिंह मालवीया के 19 फरवरी को भाजपा में शामिल होने से हुई। भाजपा ने बाद में उन्हें बांसवाड़ा से टिकट दे दिया. हाल ही में पूर्व सांसद करण सिंह यादव, गत कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे राजेंद्र यादव और लाल चंद कटारिया, पूर्व विधायक रिछपाल मिर्धा, विजयपाल मिर्धा, खिलाड़ी लाल बैरवा एवं आलोक बेनीवाल भाजपा में शामिल हुए हैं.

डबल इंजन की सरकार के सामने ये होंगी चुनौतियां


उधर, चुरू सीट से टिकट कटने से नाराज सांसद राहुल कस्वां कांग्रेस में शामिल हो गए. कांग्रेस ने उन्हें उसी सीट से अपना उम्मीदवार भी घोषित कर दिया. हाल में कई और नेताओं ने भी कांग्रेस का दामन थामा है. राजनीतिक जानकार दोनों पार्टियों की इस कवायद को लोकसभा चुनाव से पहले विभिन्न समाजों एवं इलाकों के मतदाताओं पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने की कवायद के रूप में देखते हैं.

हालांकि यह कितनी कारगर रहती है यह तो लोकसभा चुनाव के परिणाम से ही पता चलेगा. इसके अलावा भाजपा के बागी नेता चंद्रभान सिंह आक्या, रविंद्र भाटी के भी चुनाव लड़ने की चर्चाएं चल रही है. हनुमान बेनीवाल भी इस बार भाजपा के साथ नहीं है. ऐसे में देखना है कि इन चुनौतियों से भाजपा कैसे पार पाती है. 

कांग्रेस ने 10 तो भाजपा ने 15 सीटों पर उतारे उम्मीदवार

कांग्रेस ने अब तक आगामी लोकसभा चुनाव के लिए राजस्थान की 25 में से दस सीट के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत तथा भारतीय जनता पार्टी से कांग्रेस में शामिल हुए राहुल कस्वां के नाम शामिल हैं. पार्टी की इस सूची में तीन मौजूदा विधायकों को भी उम्मीदवार बनाया गया है.

भाजपा ने 15 सीट पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है जिनमें लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के साथ चार केंद्रीय मंत्रियों के नाम शामिल हैं. पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेटे एवं सांसद दुष्यंत सिंह को एक बार फिर झालावाड़-बारां सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस से भाजपा में आए महेंद्रजीत मालवीया और ज्योति मिर्धा को भी लोकसभा का टिकट दिया गया है.

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