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Hinglaj Bhawani: पाकिस्तान से पहली बार भारत आई मां हिंगलाज की पवित्र ज्योत, राजस्थान के इस मंदिर में की गई स्थापित

Maa Hinglaj Pakistan: पाकिस्तान में स्थित मां हिंगलाज भवानी के पवित्र ज्योत को पहली बार भारत लाया गया है. इस ज्योत को राजस्थान के एक मंदिर में स्थापित किया गया है.

Hinglaj Bhawani: पाकिस्तान से पहली बार भारत आई मां हिंगलाज की पवित्र ज्योत, राजस्थान के इस मंदिर में की गई स्थापित
पाकिस्तान से पहली बार भारत पहुंची हिंगलाज माता की पवित्र ज्योत.

Maa Hinglaj Pakistan: माता सती के 52 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ हिंगलाज पाकिस्तान में स्थित है. माता हिंगलाज के दर्शन-पूजन के लिए पाकिस्तान जाना काफी मुश्किल भरा काम माना जाता है. हालांकि भारत से हर साल कई श्रद्धालु यहां पूजा करने जाते हैं. मां हिंगलाज का मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हिंगोल नदी के किनारे स्थित है. भारत के राजस्थान, गुजरात, पंजाब, जम्मू-कश्मीर जैसे सीमाई राज्यों के साथ-साथ अन्य राज्यों से भी मां की आराधना करने वाले करोड़ों भक्त हैं. नवरात्रि के समय में हिंगलाज मंदिर में पूजन-दर्शन की विशेष भीड़ जुटती है. 

पहली बार पाकिस्तान से भारत पहुंची पवित्र ज्योत

पाकिस्तान में स्थित होने के कारण हिंगलाज मंदिर तक पहुंचना टफ है. हालांकि अब मां के पवित्र ज्योत (Maa Hinglaj Holy Flame) का दर्शन भारत में ही हो जाएगा. हिंगलाज मंदिर का पवित्र ज्योत पहली बार पाकिस्तान से भारत पहुंच चुका है. राजस्थान के एक मंदिर में इस ज्योत को स्थापित किया गया है.  

खेरथार पहाड़ियों की शृंखला के अंत में स्थित है मंदिर

उल्लेखनीय हो कि हिंगलाज मंदिर मकरान रेगिस्तान के खेरथार पहाड़ियों की एक शृंखला के अंत में है. मंदिर एक छोटी प्राकृतिक गुफा में बना है. जहां एक मिट्टी की वेदी बनी हुई है. देवी की कोई मानव निर्मित छवि नहीं है. बल्कि एक छोटे आकार के शिला की हिंगलाज माता के प्रतिरूप के रूप में पूजा की जाती है.

पाकिस्तान से भारत पहुंची हिंगलाज भवानी की पवित्र ज्योत.

पाकिस्तान से भारत पहुंची हिंगलाज भवानी की पवित्र ज्योत.

पाकिस्तान से उदयपुर पहुंची हिंगलाज की पवित्र ज्योत

शुक्रवार को हिंगलाज मंदिर के पवित्र ज्योत को राजस्थान के उदयपुर स्थित एक मंदिर में स्थापित किया गया है. हिंगलाज के ज्योत को लाने के लिए उदयपुर से एक दल बीते दिनों पाकिस्तान गया था. शुक्रवार को यह दल ज्योत लेकर उदयपुर पहुंचा. ज्योत लाने पाकिस्तान गए दल में महंत, साध्वी सहित अन्य लोग मौजूद थे.

शोभायात्रा में माता के पवित्र ज्योत की तस्वीर लेते भक्त.

शोभायात्रा में माता के पवित्र ज्योत की तस्वीर लेते भक्त.

उदयपुर के प्राचीन मेलडी मंदिर में स्थापित हुई पवित्र ज्योत

हिंगलाज मंदिर के ज्योत के उदयपुर पहुंचने के बाद भव्य शोभायात्रा निकाली गई. फिर उसे उदयपुर के प्राचीन मेलडी माता मंदिर में स्थापित किया गया. शोभायात्रा उदियापोल चौराहे से शुरू हुई. जिसमें घोड़े, बैंड थे. रथ पर माता की ज्योत थी, जिसके सभी श्रद्धालु दर्शन कर रहे थे. 

शोभायात्रा मेलडी माता मंदिर पहुंची और वहां नवनिर्मित मंदिर में ले जाया गया. मंदिर में 108 कुंड देवी महायज्ञ में 108 हवन कुंड, जिसमें 108 किलो स्वदेशी गाय के शुद्ध घी की आहुतियां का यज्ञ हुआ.

7 दिन पहले ज्योत लाने पाकिस्तान गया था दल

बजरंग दल मेवाड़ प्रमुख कालेन्द्र सिंह ने बताया कि उदयपुर के लिए आज सौभाग्य का दिन है. पांडवों की देवी हिंगलाज माता का धड़ भारत और सिर पाकिस्तान में है. उदयपुर के प्राचीन मेलडी माता के महंत विरामनाथ महाराज, साध्वी राजीबा, नरेंद्र देलवाड़ियां और संगीता कंवर 7 दिन पहले पाकिस्तान के लिए रवाना हुए थे.

बाघा बॉर्डर से पाकिस्तान पहुंचने के बाद इन लोगों ने वहां माता हिंगलाज की विधिवत पूजा की. फिर ज्योत को लेकर शुक्रवार को उदयपुर पहुंचे. उन्होंने दावा किया कि पहली बार हिंगलाज माता की ज्योत पाकिस्तान से भारत आई है. 

सिंधियों की कुलदेवी मानी जाती हैं हिंगलाज माता

मेवाड़ की खुशहाली के लिए यह ज्योत मेलडी माता मंदिर में पदाराई जा रही है. मंदिर में मा हिंगलाज माता की मूर्ति लगी है, वहीं यह ज्योत लगेगी जो अखंड जीत हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यह सिंधियों की भी कुल देवी है उन्हें वहां जाने की जरूरत नहीं. 

हिंगलाज ज्योत के भारत आने पर निकाली गई शोभायात्रा में शामिल लोग.

हिंगलाज ज्योत के भारत आने पर निकाली गई शोभायात्रा में शामिल लोग.

अब उदयपुर में होंगे माता हिंगलाज के पवित्र ज्योत के दर्शन

वह यह हिंगलाज माता की ज्योत के दर्शन लाभ के सकेंगे. अब यहां 108 हवन कुंडिय यज्ञ शुरू हो जायेंगे जिनकी कल पूर्णाहुति होगी. महंत चेतन राम ने बताया कि उदयपुर के लिए बड़ा सौभाग्य का दिन है. 52 शक्ति पीठों ने एक हिंगलाज माता हैं. महंत विरामनाथ महाराज की प्रेरणा से उदयपुर में उनकी ज्योत लाई गई है.

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