
Maa Rajeshwari Devi: राजधानी जयपुर के आमेर-दिल्ली राजमार्ग से करीब 500 मीटर अंदर मानबाग के सुरम्य वन क्षेत्र की पहाड़ी पर मां राजराजेश्वरी का भव्य मंदिर स्थित है. जिन्हें युद्ध में विजय दिलाने और राज कराने वाली देवी माना जाता हैं. यही कारण है कि माता के दरबार में सालभर बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं. खास तौर पर नवरात्रि के दौरान यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. मंदिर के ठीक पीछे की ओर स्थित विशाल पहाड़ हरियाली की चादर ओढ़े एक ढाल की तरह खड़ा है, जो इस स्थान की सुंदरता को और बढ़ाता है.
मराठों पर जीत की याद दिलाता है मंदिर
संत अमृतपुरी महाराज ने महाराजा को विजयी होने का आशीर्वाद देते हुए कहा,"हे राजन! राज-राजेश्वरी माता तुम्हारे साथ हैं, वही तुम्हें इस युद्ध में विजय दिलाएंगी. जीत के बाद यहां माता के मंदिर का निर्माण करवाना होगा." इसके बाद महाराजा वापस युद्ध भूमि में गए और विजयश्री प्राप्त की. इसी प्रतिज्ञा को पूरा करते हुए, महाराजा सवाई प्रतापसिंह ने 1780 के लगभग आमेर रोड स्थित मानबाग में राजराजेश्वरी माता के भव्य मंदिर का निर्माण करवाया और विधि-विधान से माता की प्राण-प्रतिष्ठा करवाई.
राजराजेश्वरी मां के सिर्फ चेहरे के होते है दर्शन
मंदिर के पुजारी महेशपुरी ने गर्भगृह में स्थापित माता की प्रतिमा के बारे में बताया कि यहां मां जगदम्बा की अष्टभुजाधारी (आठ हाथों वाली) प्रतिमा विराजमान है, जो अत्यंत दुर्लभ है. मां के दायीं ओर के चारों हाथों में खड्ग (तलवार), त्रिशूल, कृपाण (कटार) और माला और पक्षी हैं. वहीं, बाईं ओर के तीन हाथों में मां सर्प, तीर-कमान और राक्षस की चोटी धारण किए हुए हैं, जबकि चौथा हाथ एक पक्षी पर रखा है. इस प्रतिमा की सबसे खास बात यह है कि भक्तों को माता के किसी भी शस्त्र के दर्शन नहीं कराए जाते हैं. सभी आठों हाथ माता की पोशाक के भीतर अदृश्य रहते हैं.
परिसर में दुर्लभ देव-प्रतिमाएं
पुजारी ने बताया कि मुख्य माताश्वरी के मंदिर के अलावा, परिसर में बने अलग-अलग मंदिरों में भी अति दुर्लभ मूर्तियां हैं. इनमें आठ भुजाओं वाले भैरवनाथ और दस भुजाओं वाले हनुमानजी की प्रतिमाएं प्रमुख हैं. इसके अतिरिक्त, मंदिर परिसर में पाँच मुख वाले भगवान शिव तथा माता के ठीक सामने गणेशजी और सूर्य भगवान भी विराजमान हैं.
नवरात्रि में लगता मेला
नवरात्रि में यहां भक्तों के लिए सुबह 6 बजे मंदिर के पट दर्शन के लिए खुलते हैं. वही प्रतिदिन हवन पूजन के साथ विशेष आयोजन किए जाते हैं. 11 पंडित प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं,अष्टमी और नवमी को जजमानों के सहयोग से भंडारा भी आयोजित होगा.
Report: Rohan Sharma
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