मध्य प्रदेश के जनजाति जिले बासवाडा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ सहित मध्यप्रदेश और गुजरात के जनजाति क्षेत्रों में सामाजिक जागरण कर समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने में अहम योगदान देने वाले मामा बालेश्वर दयाल का आज भी नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है. मामाजी को आदिवासियों का अराध्य देव भी माना जाता है.
मामा बालेश्वर दयाल के नाम पर उठा रहे हैं फायदामामा बालेश्वर दयाल जैसे संतों के नाम को बदनाम करने वाले लोगों के खिलाफ मामा बालेश्वर दयाल के भक्तों ने सरकारी अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा. गुजरात के जनजाति क्षेत्रों में सामाजिक जागरण कर समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने में अपना अहम योगदान देने वाले मामा बालेश्वर दयाल को आज भी आदिवासी समाज अपना अराध्य मानता है और उन्हें देवता के रूप में पूजते हैं. लेकिन अब कुछ लोग उनके नाम से ग्रामीण इलाकों में झाड़ फूक का काम कर रहे हैं और खुले आम शराब पी रहे है, मांस खा रहे है. ये लोग साथ ही समाज में कुरीतियां और अंध विश्वास भी फैला रहे हैं.
ऐसी खबरें भी आ रही कि कुछ लोग मामाजी के नाम पर झाड़ - फूंक कर रहे है और गरीब आदिवासी लोगों को डरा धमका कर उनका शोषण कर रहे हैं. ये लोग अपने आप को मामाजी का अनुयायी बताकर, भोले भाले लोगों को बहका रहे हैं, लोगों का आर्थिक और सामाजिक शोषण कर रहे हैं.
जबकि मामाजी का भगत या अनुयायी वही होता है जो शराब - मांस और गलत चीजों का पूरी तरह से त्याग कर चुका हो. मामा बालेश्वर दयाल के द्वारा महिलाओं के उत्थान और आदिवासियों में शिक्षा एवं रोजगार हेतु नए आयाम स्थापित किये थे. ऐसे लोगों के खिलाफ मामाजी बालेश्वर दयाल के कई भक्तों ने मिनी सचिवाालय पहुंचकर जिला कलेक्टर को इन सब फर्जी लोगों के खिलाफ अपना ज्ञापन सौंपा. और ऐसे लोगों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की. वहीं कुछ दिन पहले ही बांसवाड़ा में भी भक्तों ने जिला कलेक्टर को इसी तरह का ज्ञापन सौंपा था. देश में वैसे भी किसी के नाम का फायदा उठाकर अंधविश्वास फैलाने, लोगों को डराने धमकाने जैसे कई मामले सामने आ रहे है. देखना होगा कि मामाजी के भक्तों की शिकायत या ज्ञापन के बाद इसके लिए जिम्मेदारों पर क्या कदम उठाता है.