
Bhil Pradesh: राजस्थान के आदिवासियों द्वारा भील प्रदेश की मांग काफी समय से की जा रही है. इसे लेकर पहले भी आंदोलन हो चुके हैं जिसमें भील आदिवासियों की मांग है कि उनका एक अलग राज्य बनाया जाए. वहीं भील प्रदेश की मांग को सांसद राजकुमार रोत ने एक बार फिर हवा दे दी है. क्योंकि उन्होंने सोशल मीडिया पर भील प्रदेश की मांग करते हुए एक भील प्रदेश का नक्शा जारी किया है और लिखा है 'हम भील प्रदेश लेके रहेंगे.' राजकुमार रोत की इस मांग के बाद राजस्थान में नई सियासत फिर शुरू हो गई है.
भील प्रदेश की मांग को लेकर आदिवासी नेता और राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री बाबू लाल खराड़ी की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. बाबू लाल खराड़ी ने भील प्रदेश को लेकर अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि यह मांग बेकार है और इसमें कुछ नहीं किया जा सकता है.
अब अलग से क्या कर सकते हैं- बाबू लाल
राजकुमार रोत की भील प्रदेश की मांग को बाबू लाल खराड़ी ने सियासत बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व हर वर्ग और सभी लोगों के लिए काम किया जा रहा है. केंद्र और राज्य की योजनाओं को अंतिम पंक्ति के लोगों तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है. योजनाओं का फायदा सभी को मिल सके, इस पर काम किया जा रहा है. ऐसे में किसी भी समुदाय के लिए अलग से क्या किया जा सकता है, जब सभी को एक साथ लाभ दिया जा रहा है.
बाबू लाल खराड़ी ने कहा कि यह मांग सही नहीं है. आदिवासियों के लिए कई सारे काम किये जा रहे हैं. अब इस तरह की मांग सही नहीं है. कैबिनेट मंत्री ने कहा कि हर समस्या का समाधान किया जा सकता है. लेकिन इस तरह के अलगाव की बात करना सही नहीं है.

रोत ने नक्शा दिखा कर की बड़ी मांग
सांसद राजकुमार रोत ने भील राज्य की मांग को लेकर गोविंद गुरु के नेतृत्व में 1913 में 1500 से अधिक आदिवासी मानगढ़ पर शहीद हुए थे. आजादी के बाद भील प्रदेश को चार राज्य में बांटकर इस क्षेत्र की जनता के साथ अन्याय किया. गोविंद गुरु के नेतृत्व में शहीद हुए 1500 से अधिक शहीदों के सम्मान में भील प्रदेश राज्य बनाना है.
हालांकि उन्होंने अपने अकाउंट पर जो नक्शा पोस्ट किया है वो अंग्रेज़ों के समय का है. अंग्रेज़ों ने प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए यह नक्शा बनाया था, लेकिन बाद में आदिवासियों की भील प्रदेश बनाने की मांग अलग-अलग राज्यों में फैल गई.

Photo Credit: @roat_mla
बता दें, भील प्रदेश की मांग वैसे तो राजस्थान में शुरू हुई लेकिन यह धीरे-धीरे एमपी, गुजरात और महाराष्ट्र तक पहुंच गई है. दरअसल, ब्रिटिश सेना द्वारा राजस्थान और गुजरात बॉडर्र पर साल 1913 में मानगढ़ में नरसंहार हुआ था. जिसमें भीलों की मौत हुई थी. इस घटना के बाद से भी भीलों के अलग राज्य की मांग की जा रही है. हालांकि यह बड़ी मांग है क्योंकि इसमें 4 राज्यों के 43 जिलों को अलग करने की मांग है.
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