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This Article is From Nov 06, 2023

मिलिए तीतर सिंह से...अब तक लड़ चुके हैं 32 चुनाव, जानें कैसा रहा उनका सियासी सफ़र

दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले तीतर सिंह लगभग 32 चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन हर बार संख्या बल से हारते रहे हैं . हार तय है तो चुनाव क्यों लड़ते हैं? यह पूछने पर तीतर सिंह ने बुलंद आवाज में कहा,‘‘क्यों न लड़ें. सरकार जमीन दे, सहूलियतें दें...साडी हक दी लड़ाई है ये चुनाव.''

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मिलिए तीतर सिंह से...अब तक लड़ चुके हैं 32 चुनाव, जानें कैसा रहा उनका सियासी सफ़र
तीतर सिंह (फाइल फोटो)

Teetar Singh Story: करणपुर विधानसभा क्षेत्र के एक छोटे से गांव में रहने वाले और ‘मनरेगा' में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले बुजुर्ग तीतर सिंह की चुनाव लड़ते लड़ते उम्र बीतने को है. पंच, सरपंच से लेकर लोकसभा तक उन्होंने हर चुनाव लड़ा है, ये अलग बात है कि जिन हकों की लड़ाई के लिए वह 7 दशक से चुनाव मैदान में हैं, वह उन्हें आज तक नहीं मिले हैं.

तीतर सिंह ने अब तक लोकसभा के 10, विधानसभा के 10, जिला परिषद डायरेक्टर के 4, सरपंची के 4 व वार्ड मेंबरी के 4 चुनाव लड़ चुके हैं.

लोकप्रियता हासिल करना या रिकॉर्ड बनाना नहीं है मकसद 

राजस्थान में विधानसभा चुनाव आसन्न हैं. ऐसे में 78 वर्षीय बुजुर्ग तीतर सिंह एक बार फिर उसी जज्बे, जोश और मिशन के साथ अपने मिशन के लिए तैयार है. चुनाव लड़ना तीतर सिंह के लिए लोकप्रियता हासिल करने या रिकॉर्ड बनाने का जरिया नहीं है, बल्कि अपने हकों को हासिल करने का एक हथियार है, जिसकी धार समय और उम्र बीतने के बावजूद कुंद नहीं पड़ी है.

70 के दशक में सवार हुआ चुनाव लड़ने का जुनून

राजस्थान के करणपुर विधानसभा क्षेत्र के एक छोटे से गांव ‘25 एफ' में रहने वाले तीतर सिंह पर चुनाव लड़ने का जुनून सत्तर के दशक में तब सवार हुआ, जब वह जवान थे और उन जैसे अनेक लोग नहरी इलाकों में जमीन आवंटन से वंचित रह गए थे. उनकी मांग रही कि सरकार भूमिहीन और गरीब मजदूरों को जमीन आवंटित करे.

चुनाव लड़ने को लेकर कभी भी तीतर सिंह को किसी प्रकार के सामाजिक विरोध का सामना नहीं करना पड़ा, इस सवाल पर तीतर सिंह ने कहा, ‘‘एहो जई ते कोई गल्ल नई . लोक्की उल्टे माड़ी भोत मदद जरूर कर देंदे सी. (ऐसी तो कोई बात नहीं, लोग उल्टे थोड़ी बहुत मदद ही कर देते हैं.''

चुनाव लड़ना तीतर सिंह की आदत बन गयी है

तीतर सिंह लोगों की हक की लड़ाई के लिए चुनाव लड़ना शुरू किया और फिर तो मानों उन्हें इसकी आदत हो गई. एक के बाद, एक चुनाव लड़े. हालांकि व्यक्तिगत स्तर पर जमीन आवंटित करवाने की उनकी मांग अब भी पूरी नहीं हुई है और उनके बेटे भी दिहाड़ी मजदूरी करते हैं.

न कोई जमीन, न जायदाद, न गाड़ी- घोड़े

तीतर सिंह ने बताया कि वह अब तक लोकसभा के 10, विधानसभा के 10, जिला परिषद डायरेक्टर के 4, सरपंची के 4 व वार्ड मेंबरी के 4 चुनाव लड़ चुके हैं. नामांकन पत्र के साथ दाखिल हलफनामे के अनुसार इस समय उनकी उम्र 78 साल है. तीतर सिंह ने फोन पर बताया कि उनकी तीन बेटियां व दो बेटे हैं. दो पोतों तक की शादी हो चुकी है. उनके पास जमा पूंजी के नाम पर 2500 रुपए की नकदी है. बाकी न कोई जमीन, न जायदाद, न गाड़ी- घोड़े.

दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले तीतर सिंह लगभग बीस चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन हर बार संख्या बल से हारते रहे हैं . हार तय है तो चुनाव क्यों लड़ते हैं? यह पूछने पर तीतर सिंह ने बुलंद आवाज में कहा,‘‘क्यों न लड़ें. सरकार जमीन दे, सहूलियतें दें...साडी हक दी लड़ाई है ये चुनाव.''

इस उम्र में भी दिहाड़ी मजदूरी करते हैं तीतर सिंह

उन्होंने बताया कि इस उम्र में भी वह आम दिनों में सरकार की रोजगार गारंटी योजना ‘मनरेगा'(महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) में दिहाड़ी मजदूरी या काश्तकारी करते हैं, लेकिन चुनाव आते ही उनकी भूमिका बदल जाती है. वो उम्मीदवार होते हैं, प्रचार करते हैं, वोट मांगते हैं और बदलाव का वादा करते हैं, जो पिछले कई दशकों से ऐसा हो रहा है.

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कभी नहीं मिले हज़ार वोट भी 

हालांकि चुनावी आंकड़े कभी इस मजदूर के पक्ष में नहीं रहे और हर बार उनकी जमानत जब्त होती रही. निर्वाचन विभाग के अनुसार तीतर सिंह को 2008 के विधानसभा चुनाव में 938, 2013 के विधानसभा चुनाव में 427, 2018 के विधानसभा चुनाव में 653 वोट मिले.

टूटी-फूटी हिंदी व मिली-जुली पंजाबी में बोलते हैं तीतर सिंह

उनका गांव श्रीगंगानगर जिले की करणपुर तहसील में है जहां से वह निर्दलीय उम्मीदवार हैं. टूटी-फूटी हिंदी और मिली-जुली पंजाबी बोलने वाले तीतर सिंह ने बताया कि उनको और उनकी पत्नी गुलाब कौर को सरकार से वृद्धावस्था पेंशन मिलती है जिससे उनका गुजारा हो जाता है. बाकी चुनाव में वह कोई खर्च करते नहीं हैं.

तीतर सिंह को कभी विरोध का सामना नहीं करना पड़ा

चुनाव लड़ने को लेकर कभी भी तीतर सिंह को किसी प्रकार के सामाजिक विरोध का सामना नहीं करना पड़ा, इस सवाल पर तीतर सिंह ने कहा, ‘‘एहो जई ते कोई गल्ल नई . लोक्की उल्टे माड़ी भोत मदद जरूर कर देंदे सी. (ऐसी तो कोई बात नहीं . लोग उल्टे थोड़ी बहुत मदद ही कर देते हैं.''

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ नामांकन का वीडियो

रोचक बात यह है कि यह बुजुर्ग किसी सोशल मीडिया मंच पर नहीं है, लेकिन अपनी पत्नी के साथ नामांकन दाखिल करने के लिए जाते हुए उनका वीडियो सोमवार को वायरल हो गया. तीतर सिंह का यह वीडियो लोगों में चर्चा का विषय है. आगामी विधानसभा चुनाव में तीतर सिंह कितना वोट अपने नाम करते हैं, यह जरूर जानना दिलचस्प रहेगा. 

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