राजस्थान का जनजाति जिला बांसवाड़ा देश के सबसे गरीब जिलों में शुमार होता है. लेकिन जब बात खुशियां बटोरने की हो तो यहां के लोग गरीबी को नहीं देखते और जमकर खरीदारी करते हैं. और मौका दीपोत्सव के तहत आने वाले धनतेरस पर्व का तो लोग खुले हाथों से सुख और शांति के प्रतीक चांदी खरीदने में पीछे नहीं रहते. यही आलम है कि बांसवाड़ा जिले में दो दिन तक धनतेरस का पर्व मनाया गया जिसके चलते बुधवार को भी सोने चांदी की दुकानों पर ग्राहकों की भारी भीड़ देखी गई.
धनतेरस पर चांदी खरीदना शुभ
जनजाति क्षेत्र में धनतेरस पर चांदी खरीदना शुभ माना जाता है जिसके चलते सबसे अधिक चांदी की बिक्री देखी गई. चांदी का भाव एक लाख रुपए किलो होने के बावजूद चांदी से निर्मित उत्पाद की जमकर बिक्री हुई. धनतेरस पर सबसे बड़ा निवेश चांदी में हुआ.
बांसवाड़ा में 12 क्विंटल से अधिक चांदी की बिक्री
जानकारी के अनुसार दो दिन में करीब 12 क्विंटल से ज्यादा की चांदी का कारोबार हुआ. चांदी के विक्रेताओं के यहां भी सुबह से लोगों की भीड़ देखी गई और कारोबार के लिहाज से बेहद शुभ रहा. परंपरानुसार धनतेरस पर लोग कीमती धातु खरीदते हैं. लोगों ने करोड़ों रुपए के सोना-चांदी के साथ ही अन्य हीरे मोती के गहने खरीदे हैं.
कई लोगों ने आधा-आधा किलो की चांदी की ईंट भी खरीदी
इस त्योहार पर शगुन के रूप में लोग निवेश करते हैं या छोटा आभूषण खरीदते हैं. कुछ लोगों ने आधा-आधा किलो वजनी चादी की ईंट भी खरीदी. यह दिन कारोबार के लिहाज से बेहद शुभ रहा. परंपरानुसार धनतेरस पर लोग कीमती धातु खरीदते हैं. इसके साथ ही करोड़ों के दुपहिया वाहन भी बिके.
बिल्डरों का भी करोड़ों का कारोबार
लोगों ने करोड़ों रुपए के सोना-चांदी के साथ ही अन्य हीरे मोती के गहने खरीदे हैं. इसके साथ ही जिले के सभी बड़े बिल्डर ने एक-एक करोड़ से अधिक का कारोबार किया है. इसके साथ ही लोगों ने पुराने सौदों का नवीनीकरण भी किया है.
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