Tribal Reservation: बांसवाड़ा में आयोजित रैली में सांसद राजकुमार रोत पहुंचे. रोत ने कहा कि अब भारत आदिवासी पार्टी के सांसद और विधायक तय करेंगे कि आरक्षण कब और कैसे लेना है. उन्होंने कहा कि सत्ता में जिन लोगों ने साल 2013 की अधिसूचना जारी कराई, उन्होंने गुमराह किया और वर्ष 2016 में फिर से अधिसूचना जारी करा कर हमको ठगा. महारैली में आदिवासी समुदाय की विभिन्न समस्याओं और आरक्षण से संबंधित 31 सूत्री मांगों का ज्ञापन राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम सौंपा गया. इस रैली में सांसद राजकुमार रोत, बागीदौरा विधायक जय कृष्ण पटेल सहित कई अन्य नेता भी शामिल हुए.
सभा के बाद निकाली महारैली
कॉलेज मैदान पर सभा के आयोजन के बाद हजारों की संख्या में लोगों ने महारैली निकाली, जो कस्टम चौराहे से होते हुए जिला कलेक्ट्री तक पहुंची. इस दौरान सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हुए थे. अनुसूचित क्षेत्र आरक्षण मंच की ओर से दिए ज्ञापन में प्रमुख रूप से सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार राजस्थान में क्षेत्र के आधार पर आरक्षण उप वर्गीकरण की मांग, अनुसूचित क्षेत्र में स्थानीयता नीति लागू करने, खनिज संपदा पर आदिवासियों का अधिकार और आदिवासी क्षेत्रों में विकास कार्य आदि मुद्दे शामिल हैं. आदिवासी समुदाय की मांग है कि अनुसूचित क्षेत्र में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाए. खनिज संपदा से मिलने वाले राजस्व का उपयोग आदिवासी क्षेत्रों के विकास में किया जाए. इसके अलावा, वे चाहते हैं कि आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करने जैसी मांगों को पूरा करने की मांग की गई है.
रोत बोले-आरक्षण हमारा अधिकार है
राजकुमार रोत ने कहा, "आप आरक्षण की बात करते हो, पहले तो आपने अधिसूचना के नाम पर ठगा. सत्ता गई तो आप सत्ता के साथ दूसरी सत्ता में चले गए. कोई बात नहीं. आप सत्ता में रहकर रैली निकाल रहे हो, आप सत्ता में हो सीधा आरक्षण दिलवाओ. उन्होंने कहा कि बारां में सहरिया जाति को अलग से आरक्षण दिया गया है. इसी प्रकार राजस्थान में क्षेत्रीय आधार पर आरक्षण की मांग कर रहे हैं. अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया है. आरक्षण हमारा अधिकार है और इसे लेकर रहेंगे."
"सुधर जाओ नहीं तो सुधार देंगे"
उन्होंने कहा कि अब भारत आदिवासी पार्टी के सांसद और विधायक तय करेंगे कि आरक्षण कब और कैसे लेना है. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज कोई आंदोलन करता है तो कानून के नाम पर डराया जाता है. कहते हो मुकदमा दर्ज कर लेंगे. सुधर जाओ नहीं तो कानून के हिसाब से ही सुधार देंगे."
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