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Naresh Meena News: 'मैं कलेक्टर को इसका जिम्मेदार मानता हूं', समरावता पहुंचे नरेश मीणा बोले- 'SDM मीणा होता तो भी पिटता'

Naresh Meena Statement in Samravata: राजस्थान उपचुनाव के दौरान देवली-उनियारा के समरावता गांव में जो कुछ भी हुआ नरेश मीणा उसके लिए टोंक डीएम को जिम्मेदार मानते हैं. वे इस वक्त समरावता गांव में ही हैं, जहां कुछ ही देर में एडीजी लॉ एंड ऑर्डर विजय बंसल पहुंचने वाले हैं.

Naresh Meena News: 'मैं कलेक्टर को इसका जिम्मेदार मानता हूं', समरावता पहुंचे नरेश मीणा बोले- 'SDM मीणा होता तो भी पिटता'
समरावता में मीडिया से बातचीत करते हुए नरेश मीणा.

Rajasthan News: राजस्थान की देवली-उनियारा विधानसभा से निर्दलीय उपचुनाव लड़ रहे कांग्रेस के बागी नेता गुरुवार सुबह 9:30 बजे समरावता गांव पहुंच गए हैं. बुधवार रात यहीं पर उनके समर्थकों ने पुलिस पर पथराव किया था और कई गाड़ियों को फूंक दिया था. अपने समर्थकों की भीड़ से घिरे नरेश मीणा ने समरावता पहुंचते ही मीडिया से बातचीत की. इस दौरान उनसे पूछा गया कि क्या SDM को थप्पड़ मारना सही था? नरेश मीणा ने कहा, 'हां, बिल्कुल सही था. उस अधिकारी ने फर्जी वोटिंग कराई. यहां के लोगों की भावनाओं को तोड़ा. जब पूरा गांव यहां मतदान का बहिष्कार करके बैठा था तो उसे क्या जरूरत थी फर्जी वोटिंग कराने की? उस अधिकारी ने आंगनबाड़ी की महिला को सस्पेंड करने की धमकी दी. वो बीजेपी का एजेंट था. जानबूझकर उसकी ड्यूटी यहां लगाई गई ताकि भारतीय जनता पार्टी को इसका फायदा हो सके. मैं कलेक्टर को इसका जिम्मेदार मानता हूं.'

'SDM की कोई जाति नहीं होती'

नरेश मीणा से जब पूछा गया कि SDM अमित चौधरी को थप्पड़ मारने के बाद जाट समाज के लोग नाराज हो गए हैं तो उन्होंने कहा कि अधिकारी की कोई जाति नहीं होती. मैं मीणा समाज से हूं. अगर वो SDM मीणा होता, तब भी वो पिटता. गुर्जर होता, तब भी पिटता.  उसने गलती की थी. जब वो नहीं सुधर रहे तो इसका एक ही इलाज है. क्या लोकतंत्र हमारे लिए नहीं है? सुबह से हम कानून के दायरे में मतदान केंद्र के बाहर बैठकर शांतिपूर्वक अपना विरोध जता रहे थे. लेकिन उन्होंने हमारी बात तक नहीं सुनी. हमारे तक खाना भी नहीं पहुंचने दिया.'

रात भर कहां थे नरेश मीणा?

नरेश मीणा ने बताया कि बुधवार रात जब उनके समर्थक और पुलिस आमने सामने हुए, उस दौरान वे बेहोश हो गए. वे इस मंच पर थे. कुछ माताएं-बहनें मिलकर उन्हें पास के एक अस्पताल में ले गईं. तभी वहां एक मिर्ची बम का बलास्ट हुआ. उसके बाद कुछ युवा समर्थकों ने मुझे उठाया और यहां से 5 KM दूर एक गांव में ले गए. वहां उन्होंने मुझे फर्स्ट ऐड दिया, जिसके बाद मैंने वहां आराम किया. उसके बाद मैं सुबह ही उठा. इलाके में जो खाली कारतूस मिले हैं, उससे हमारा कोई लेना देना नहीं है. उनका इस्तेमाल पुलिसकर्मियों ने ही किया होगा. पुलिस ने खुद मकानों में आग लगाई. भला हम अपने ही लोगों के मकान में आग क्यों लगाएंगे?

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