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Nautapa 2025: नौतपा का अनोखा आगाज: भीषण गर्मी की जगह बारिश ने दी राहत, ज्योतिष शास्त्र में निकले कई मायने

Nautapa 2025 date: नौतपा वह अवधि है जब सूर्य देव रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं. इस दौरान अगले 9 दिन पृथ्वी पर अत्यधिक गर्मी लेकर आते हैं

Nautapa 2025: नौतपा का अनोखा आगाज: भीषण गर्मी की जगह बारिश ने दी राहत, ज्योतिष शास्त्र में निकले कई मायने
Nautapa 2025

Nautapa 2025 Start Date: देश के उत्तरी इलाकों में पड़ रही भीषण गर्मी से जूझ रहे लोगों के लिए आज से शुरू हुए नौतपा का पहला दिन राहत लेकर आया है. जहां हर साल नौतपा की शुरुआत के साथ ही तापमान में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिलती है, वहीं इस बार सूरज की तपिश की जगह बारिश ने मौसम को सुहाना बना दिया है. राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में चिलचिलाती धूप से परेशान लोग इस अप्रत्याशित राहत से खुश हैं, जबकि ज्योतिष के जानकार इसके कई मायने निकाल रहे हैं.

क्या है नौतपा?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नौतपा वह अवधि है जब सूर्य देव रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं. इस दौरान अगले 9 दिन पृथ्वी पर अत्यधिक गर्मी लेकर आते हैं, क्योंकि सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर पड़ती हैं, जिससे तापमान तेजी से बढ़ता है और गर्मी चरम पर पहुंच जाती है.

कब से शुरू हुआ नौतपा

पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि आज 25 मई को दोपहर 3:15 बजे सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश कर गया है. इसके बाद नौ दिनों तक नौतपा रहेगा. सूर्य देव 8 जून को दोपहर 1:04 बजे तक रोहिणी नक्षत्र में रहेंगे और इसके बाद 15 जून को मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे. सूर्य देव के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश के साथ ही नौतपा की शुरुआत हो गई है,

नौतपा का 'गलना' और उसके मायने

डॉ. व्यास ने बताया कि रोहिणी नक्षत्र के स्वामी चंद्र देव हैं, जो शीतलता के कारक माने जाते हैं, लेकिन इस समय वे सूर्य के प्रभाव में आ जाते हैं. जब सूर्य 15 दिनों के लिए रोहिणी नक्षत्र में आता है, तो उन दिनों के पहले नौ दिन सबसे अधिक गर्म होते हैं, जिन्हें नौतपा के नाम से जाना जाता है.

ज्येष्ठ माह की गर्मी में नौतपा को अधिक गर्मी का संकेत माना जाता है, लेकिन कई बार यह बारिश का सूचक भी बन जाता है. डॉ. व्यास के अनुसार, "नवतपा आर्द्रा नक्षत्र से लेकर शुक्ल पक्ष में 9 दिनों तक रहता है, जो जरूरी नहीं कि हमेशा अधिक गर्मी वाला ही हो. आर्द्रा के 10 नक्षत्रों तक, जिसमें सबसे अधिक गर्मी पड़ती है, बाद में सूर्य उसी नक्षत्र में 15 दिनों तक और रहता है जिससे अच्छी वर्षा होती है. नौतपा की शुरुआत भी रोहिणी नक्षत्र से होगी. इसी कारण इस बार नौतपा में तेज हवाओं के साथ बवंडर और बारिश की संभावना है.


ज्योतिषीय और पौराणिक महत्व

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि सनातन संस्कृति में सदियों से सूर्य को देवता के रूप में पूजा जाता रहा है.लोक मान्यता है कि यदि नौतपा के सभी दिन पूरे तपें, तो आगे के दिनों में अच्छी बारिश होती है. वहीं, अगर सूर्य रोहिणी नक्षत्र में होता है और उस दौरान बारिश हो जाती है, तो इसे 'रोहिणी नक्षत्र का गलना' भी कहा जाता है. जो अच्छे मानसून का सूचक नहीं होता है.

मानसून का गर्भकाल

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि मान्यता है किर्य की गर्मी और रोहिणी के जल तत्व के कारण यह मानसून का गर्भकाल आता है. इसी कारण नौतपा को मानसून का गर्भकाल माना जाता है, ऐसे में जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में होता है तो उस समय चंद्रमा नौ नक्षत्रों में भ्रमण करते हैं.

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(Except for the headline, this story has not been edited by NDTV staff and is published from a press release)

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