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This Article is From Apr 06, 2025

Navratri 2025: राजस्थान के इस 300 साल पुराने शक्तिपीठ मंदिर में प्रसाद चढ़ाने के लिए भक्तों को करना पड़ता है डेढ़ साल तक इंतजार, जानें वजह

Rajasthan News: राजस्थान के करौली में स्थित कैला माता मंदिर में साल भर प्रतिदिन 56 भोग लगते हैं और मंदिर प्रांगण को फूल बंगलों से सजाया जाता है. जिसे लेकर भक्तों को कई बार डेढ़ साल से ज्यादा का लंबा इंतजार करना पड़ जाता है. चलिए जानते है ऐसा क्यों.

Navratri 2025: राजस्थान के इस 300 साल पुराने शक्तिपीठ मंदिर में प्रसाद चढ़ाने के लिए भक्तों को करना पड़ता है डेढ़ साल तक इंतजार, जानें वजह
कैलादेवी, करौली
NDTV

Kaila Devi Temple: भारत के उत्तरी भाग में राजस्थान के करौली में स्थित कैला माता मंदिर आस्था का एक बड़ा केंद्र है. 300 साल पुराने कैला माता मंदिर की मुख्य विशेषता यह है कि इस मंदिर में साल भर प्रतिदिन 56 भोग लगते हैं और मंदिर प्रांगण को फूल बंगलों से सजाया जाता है.

देवी को भोग लगाने के लिए भक्तों को करना पड़ता है डेढ़ साल से अधिक इंतजार 

इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि मंदिर में 56 भोग चढ़ाने में भक्तों को 15 महीने से ज्यादा का समय लगता है. इस साल 56 भोग के लिए बुकिंग कराने वाले भक्तों को डेढ़ साल का लंबा इंतजार करना पड़ेगा, यानी भक्तों को 2026 तक इंतजार करना होगा.

मान्यता होने क कारण लगती है भक्तों की भारी भीड़

300 साल पुराना मंदिर होने के कारण यह करौली और आस-पास के इलाकों के लोगों में काफी लोकप्रिय है, इसलिए लोग यहां अपनी आस्था की मुराद लेकर आते हैं..अगर उन्होंने 56 भोग की मन्नत मांगी है तो उन्हें अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है.

 मंदिर में 56 भोग में

 मंदिर में 56 भोग में
Photo Credit: NDTV

 मंदिर में 56 भोग में शुद्ध देशी की मिठाई होती है अर्पित

कैला माता मंदिर में यह परंपरा पुरानी रियासतों के समय से चली आ रही है. इसके अनुसार मंदिर में प्रतिदिन नियमित रूप से 56 भोग लगाया जाता है. 56 भोग में 20 से 25 प्रकार की शुद्ध देसी घी से बनी मिठाइयां, 10 से 12 प्रकार की नमकीन, 5 से 7 प्रकार का मावा, 7 प्रकार के कच्चे और पके हुए खाद्य पदार्थ और मौसमी फलों का उपयोग श्रद्धालु करते हैं. 56 भोग लगाने वाला भक्त हवन भी करता है और माता को वस्त्र भी अर्पित करता है.

नवरात्रि के दौरान 56 भोग रहते हैं बंद

मंदिर के एकमात्र ट्रस्टी कृष्ण चंद पाल और  निदेशक विवेक द्विवेदी ने बताया कि कैलादेवी लक्खी मेला, चैत्र नवरात्रि व शारदीय नवरात्रि सहित गुप्त नवरात्रि के दौरान 56 भोग व फूल बंगला का आयोजन नहीं किया जाता है, क्योंकि इस समय मंदिर में देवी अनुष्ठान कार्यक्रम होता है.

उत्तर प्रदेश के कारीगर सजाते हैं माता का दरबार

शक्तिपीठ में शामिल कैला माता मंदिर में छप्पन भोग के साथ ही फूल बंगला बनाने की कला में उत्तर प्रदेश के कारीगर माहिर हैं और वे लगातार अपनी सेवाएं देते आ रहे हैं.

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