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This Article is From Oct 14, 2023

Navaratri 2023: मां दुर्गा की प्रतिमाओं से सजे बाजार, कल से हो रही है शारदीय नवरात्री की शुरुआत

जगत की सृजनहार‌ मां दुर्गा की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्री की शुरुआत रविवार से होगी. जैसलमेर शहर के मंदिरों में जहां श्रद्धालुओं की सुविधाओं को लेकर तैयारियां की जा रही है, वहीं गरबा मंडल में रखी जाने वाली मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापना के लिए अब मूर्तिकारों ने भी मूर्तियां तैयार कर ली है.

Navaratri 2023: मां दुर्गा की प्रतिमाओं से सजे बाजार, कल से हो रही है शारदीय नवरात्री की शुरुआत
मां दुर्गा की मूर्ति तैयार करता मूर्तिकार
जैसलमेर:

जगत की सृजनहार‌ मां दुर्गा की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्री की शुरुआत रविवार से होगी. इसको लेकर घर-घर में तैयारियां की जा रही हैं. 9 दिवसीय अनुष्ठान के इस पर्व को लेकर श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह है. जैसलमेर शहर के मंदिरों में जहां श्रद्धालुओं की सुविधाओं को लेकर तैयारियां की जा रही हैं, वहीं गरबा मंडल में रखी जाने वाली मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापना के लिए अब मूर्तिकारों ने भी मूर्तियां तैयार कर ली हैं.

मूर्तियों की हुई एडवांस बुकिंग

शारदीय नवरात्रि और दुर्गोत्सव को लेकर मूर्तिकार देवी प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुटे हैं. मां दुर्गा मूर्ति स्थापना के लिए समितियों के द्वारा मूर्तियों की बुकिंग भी एडवांस में करवा चुके हैं. वह घरों में चौकी सजाने के लिए लोग माता की छोटी प्रतिमाएं खरीदते हैं और पंडालों में स्थापित करने के लिए बड़ी प्रतिमाओं की भी मांग है. इन मूर्तियों की कीमत 1100 रुपये से लेकर 10 हजार रुपये तक है.

मूर्तियों को दिया जा रहा अंतिम रूप

जैसलमेर के एक मात्र मूर्ति बाजार में शारदीय नवरात्रि में पूजा पंडाल में स्थापित की जाने वाली मूर्तियों को अंतिम रूप देने में मूर्तिकार जुटे हैं. 20 साल से एक मूर्तिकार का परिवार मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि माता की मूर्ति 90 प्रतिशत तक तैयार हो गई हैं. मूर्तियों में रंग भराई व वस्त्र आदि कार्यों को अंतिम रूप दिया जा रहा है.

तीन लेयरों में तैयार होती है मूर्ति

मूर्ति बनाने के लिए बांस, लकड़ी, पैरा, मिट्टी आदि का उपयोग किया जाता है. मूर्ति को तीन लेयरों में तैयार किया जाता है, फिर उसे रंगों के माध्यम से सजाया जाता है. उसके बाद मूर्ति को वस्त्र पहनाया जाता है और उसे श्रृंगारित किया जाता है. 

11 सौ से लेकर 10 हजार तक की मूर्तियां

कलाकारों ने बताया कि शृंगार और कद के अनुसार इन प्रतिमाओं की कीमत 1100 रुपए से लेकर दस हजार रुपए तक है.यह प्रतिमाएं पूरी तरह से इकोफ्रेंडली है जिनमें वाटर कलर का प्रयोग किया जाता है. जिससे पर्यावरण को कोई खतरा नहीं होता.ये मूर्तियां पानी में कुछ ही समय में घुल जाएंगी और इनसे जलिय जंतुओं को भी कोई नुकसान नहीं होता.

मूर्ति बनाते समय सभी धार्मिक नियमों का करतें है पालन

कारीगरों ने कहा कि मिट्टी से मूर्ति बनाना सिर्फ हमारा व्यवसाय नहीं, हमारी परंपरा, कला और मैया की आराधना है. मूर्ति बनाने के दौरान हम सभी धार्मिक नियमों का पालन करते हैं. स्नान के बाद श्रद्धा के साथ मूर्ति का निर्माण करते हैं. ये मूर्तियां नवरात्रि में 1100 रुपए से लेकर 10 हजार रुपए में बिक रही है, जिससे उसका और उसके परिवार का पेट पल रहा है.

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