Jaisalmer News: सनातन धर्म में पितरों के लिए 16 दिन निश्चित किए गए हैं, जब पितृलोक से पितरों का पृथ्वी लोक पर आगमन होता है. मान्यता है कि वह इन 16 दिनों मे अपने कुल में वास करते हैं और उनके कुल के लोग आस्था और श्रद्धा के साथ उनकी पूजा अर्चना करते हैं. श्रद्धापूर्वक उनका श्राद्ध तर्पण करते हैं. लेकिन श्राद्ध पक्ष के चलते राजस्थान में एक अनूठी तस्वीर सामने आई है, जिसमें 16 विदेशी महिलाओं ने जैसलमेर में अपने पितरों (वह पूर्वज जिनकी मृत्यु हो चुकी है) का श्राद्ध किया. सनातन रीति-रिवाज से पूजा-पाठ कर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति व उनके मोक्ष प्राप्ति की कामना को लेकर विशेष कार्यक्रम गड़ीसर सरोवर के निकट किया गया.
फ्रांस की 16 महिलाओं का ग्रुप मंगलवार को जैसलमेर घूमने पहुंचा था. जैसलमेर आने से पहले यह ग्रुप पुष्कर गया था, जहां इन्होंने श्राद्ध पक्ष में होने वाले पूजा पाठ व तर्पण के बारे में जानकारी ली थी. जिसके बाद जैसलमेर आने पर इन विदेशी महिलाओं ने इसका महत्व जाना तो अपने गाइड के सामने अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने की इच्छा जाहिर की. तत्पश्चात पंडित आनंद रामदेव द्वारा गड़ीसर लेक में भारतीय रीति-रिवाज के अनुसार विदेशी महिलाओं के पूर्वजों का श्राद्ध करवाया गया. पंडित ने बताया कि सभी महिलाओं ने अपने-अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया है. महिलाओं का कहना था कि पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलेगी, इसे लेकर काफी पॉजिटिव फील कर रही हैं.
पंडित आनंद रामदेव ने बताया कि जब विदेशियों ने श्राद्ध पक्ष में अपने पूर्वजों के लिए तर्पण किया और श्राद्ध करवाने की बात कही तो मुझे अपनी सभ्यता-संस्कृति पर बड़ा गर्व हुआ. ऐसे में विदेशी महिलाओं के लिए श्राद्ध की सभी सामग्री इकट्ठी की गई और मंत्र आदि के साथ तर्पण करवाया गया, जिसमें तीन घंटे का समय लगा. इस दौरान 16 महिलाओं ने अपने-अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध किया और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की. किसी ने अपने दादा-दादी तो किसी ने अपने नाना-नानी व अन्य पूर्वजों की आत्मा की शांति व मोक्ष के लिए तर्पण किया.
पंडित आनंद ने बताया कि दुनिया भर से कई विदेशी सैलानी जैसलमेर आते हैं और कई सैलानी यहां के रीति रिवाजों व सनातन धर्म से प्रभावित होकर इससे जुड़ जाते हैं. कई विदेशी युगल हर वर्ष जैसलमेर में हिन्दू रीति रिवाज से शादी भी करते हैं. हालांकि श्राद्ध के तर्पण करने के लिए सम्भवतः यह पहला मौका है, जब विदेशी महिलाओं ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए यह कार्यक्रम करवाया.