सुजानगढ़ तहसील के डूंगरास आथूणा की पहाड़ी पर दक्षिणमुखी काली माता का मंदिर राजस्थान भर में प्रसिद्ध है, जहां काली माता के ठीक सामने लगी भगवान गणेश की अनोखी प्रतिमा उतरमुखी है. खास बात ये है कि इस प्रतिमा में भगवान गणेश का पेट बाहर निकला हुआ नहीं है.
पहले पहाड़ी पर सीधी चढ़ाई होने के कारण श्रद्धालुओं को प्राचीन मंदिर तक पहुंचने में दिक्कत आती थी. इसलिए 45 साल पहले संवत 2035 में सैंकड़ों साल पहले से प्रज्वलित धूणे के पास नीचे भी मंदिर एक और मंदिर बनाया गया था. कालका माता सेवा समिति व मां भवानी सेवा समिति सहित भामाशाहों व अन्य लोगों के व्यक्तिगत आर्थिक सहयोग से काम करवाने पर मंदिर भव्य रूप में बना है.
मन्दिर से जुड़ी है पौराणिक मान्यताएं
सुजानगढ़ से करीब 15 किलोमीटर दूर 850 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित दक्षिणमुखी काली माता का मंदिर एक ही शिला पर बना हुआ है. माना जाता है कि यह मंदिर मंत्र सिद्धि और साधना के लिए विख्यात रहा है. क्षेत्र में आसपास कई जगह खनन होता है, लेकिन इस पहाड़ी के आसपास ना तो कोई खनन होता है, ना ही इस क्षेत्र के ओरण में को लकड़ी काट कर ले जाता है.
नौ साल से चल रहा है भंडारा
मन्दिर के ठीक पास मेला ग्राउंड में पिछले 9 साल से लगातार मेघचंदन फाउंडेशन की ओर से साल में दो बार भंडारा लगाया जाता है. मेघ फाउंडेशन के गंगासिंह ने बताया कि इस साल 18 वां भंडारा लगाया गया है. गंगासिंह ने यह भी बताया कि 2014 में पूर्व न्यायाधिपति करणी सिंह के पुत्र कुलदीप सिंह ने यह भंडारा शुरू किया था. पुजारी मदनलाल शर्मा, कमलेश शर्मा, सुरेंद्र सिंह, शिवराज सिंह, सुरजीत सिंह, मूल सिंह, मुन्नालाल आदि भंडारे की व्यवस्थाएं देख रहे हैं.