Rajasthan News: राजस्थान की राजधानी जयपुर में गुरुवार को एनडीटीवी का बिजनेस आइकन कॉन्क्लेव (NDTV Business Icon Conclave) आयोजित हुआ, जिसमें रेजिडेंट एडिटर हर्षा कुमारी के साथ बातचीत करते हुए UDH मंत्री झाबर सिंह खर्रा (Jhabar Singh Kharra) ने अपना सियासी अनुभव शेयर किया. उन्होंने बताया, 'मेरे पिता राजस्थान सरकार में मंत्री रहे. लेकिन मैं राजनीति में नहीं आना चाहता था. हालांकि पिता की सियासी पारी के बाद कार्यकर्ताओं की अनदेखी के चलते मुझे राजनीति में कदम रखना पड़ा.'
मंत्री खर्रा ने बताया, 'मैंने 1998 में सरकारी नौकरी छोड़ दी और वर्ष 2000 में संगठन के जरिए नई शुरुआत की. जाट बहुल सीट नहीं होने के बाद भी मैं प्रधान बना. उस वक्त मेरी पहली प्राथमिकता थी कि आम आदमी के काम आसानी से हों और उन्हें बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़े. मुझे हमेशा सीधी सपाट बात कहना पसंद था. इसीलिए मैंने कहा कि जो बार-बार दफ्तर के चक्कर लगा रहे हैं, उनसे सावधान रहो.'
'जीरो टॉलरेंस की कीमत चुकानी पड़ती है'
खर्रा ने कहा, 'जीरो टॉलरेंस की कीमत चुकानी पड़ती है. लेकिन मैं नफा नुकसान की परवाह नहीं करता. सिस्टम को ठीक करने की कोशिश है. जयपुर विकास प्राधिकरण में एसीबी की रेड के बाद पकड़े गए लोगों के साथ उनके अधिकारी को भी निलंबित किया गया है. सरकारी तंत्र में नियम कायदे बहुत साफ नहीं होते हैं. इसी वजह से परेशानी होती है. इतने सर्कुलर जारी होते हैं कि आम आदमी समझ नहीं पाता. लेकिन हम जल्द ही स्पष्ट नियम जारी करेंगे.'
विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में जयपुर मेयर सौम्या गुर्जर जी, भाजपा प्रदेश महामंत्री श्रवण बगडी जी समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति एवं विश्वविद्यालयी विद्यार्थी भी उपस्थित रहे। #JhabarSinghKharra#UDH_Minister_RajGovt
— Jhabar Singh Kharra (@officialkharra) August 29, 2024
(2/2) pic.twitter.com/FrgVrwvR7e
'गूगल नक्शे को मान्यता देकर जारी करेंगे पट्टे'
मंत्री ने बताया कि उनका फोकस अपने विभाग का काम ऑनलाइन करने पर है. पिछली सरकार में 13 लाख से अधिक पट्टे जारी हुए, जिससे सरकारी खजाने में 7 हजार करोड़ आए. लेकिन किसी भी नागरिक को 501 में पट्टा नहीं मिला. जनता का पैसा कहां गया? उसकी हम जांच करवा रहे हैं. जल्द ही गूगल के नक्शे को मान्यता देकर पट्टों के सत्यापान करेंगे.
'75 साल में पौधरोपण हुआ, लेकिन पेड़ नहीं लगे'
शहरों के विकास में 75 साल में अनियोजित काम हुआ है. इस बरसात में सारी कमियां सामने आई हैं. कहीं भी भूमि का लेवल बराबर नहीं है. हरित क्रांति की वजह से फर्टिलाइजर के अंधाधुंध उपयोग की वजह से जमीन में दीमक तंत्र को नुकसान हुआ है. 75 साल में पौधरोपण हुआ, लेकिन पेड़ नहीं लगे. इस बार अभियान कामयाब हो, इसीलिए पीएम मोदी ने उसे मां के नाम के साथ जोड़ दिया है. इसके पीछे यही सोच है.
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