NDTV Rajasthan Conclave Ajmer: राजस्थान में चुनाव से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2030 तक प्रदेश को अग्रणी राज्य बनाने के लिए राजस्थान मिशन 2030 शुरू किया है. इस मिशन के तहत प्रदेश भर से करोड़ों सुझाव लिए गए. इन सुझावों के आधार पर सरकार अपनी आगामी नीतियां तय करेगी.गहलोत सरकार की इस महत्वकांक्षी स्कीम पर एनडीटीवी राजस्थान प्रदेश के अलग-अलग जिलों में कॉन्क्लेव का आयोजन कर रही है. बीकानेर के बाद शनिवार को अजमेर एनडीटीवी के कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया. अजमेर के पुष्कर स्थित होटल प्रताप महल में शनिवार शाम शुरू हुई इस कॉन्क्लेव के दूसरे सत्र में राजस्थान की महिलाओं पर बात हुई.
इस विषय पर बात करने के लिए राजस्थान में महिलाओं के काम करने वाली तीन नामचीन कार्यकर्ताओं को बुलाया गया था. इस सेशन की गेस्ट थीं- अजमेर के हरमारा की पूर्व सरपंच नोरती बाई, महिला जन अधिकार समिति की संस्थापक इंदिरा पंचोली और आरटीआई एक्टिविस्ट सुशीला देवी. इन तीनों ने एनडीटीवी के न केवल अपनी जर्नी साझा की बल्कि समय के साथ प्रदेश में सशक्त हो रही महिलाओं की कहानी भी बताई.
पत्थर तोड़ने वाली महिला नोरती बाई, जो बाद में पढ़लिखकर न केवल सरपंच बनीं बल्कि उनके प्रयासों से राजस्थान में महिलाओं की दशा और दिशा बदल गई. नोरती बाई ने बताया कि हमने अपने जीवन में बहुत धक्के खाए. महिलाओं पर चार गुना दवाब होता है. बच्चों का, पति का, समाज का, खुद का. लेकिन इन दवाबों को झेलते हुए हमने महिलाओं को जागृत करने का काम किया. नोरती बाई ने बताया कि पढ़ाई करते-करते मैंने 40-50 गांवों का समूह बनाया. 10 हजार महिलाओं का समूह बनाया.सती प्रथा को खत्म कराया, अब यह महिलाओं की बहुत बड़ी उपलब्धि है.
2030 तक कैसी हो महिलाओं की भूमिका इस सवाल पर नोरती बाई ने कहा कि कानून तो बन जाता है, लेकिन लागू नहीं हो पाता. मिशन-2030 में मेरी मांग है कि सरकार कुछ ऐसा करें कि सरकारी तंत्र और अफसर सही ढंग से काम करने लगे. सरकारें बहुत सारी स्कीम लाती है, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से उसका लाभ लोगों को नहीं मिल पाता है. नोरती बाई ने कहा कि अभी सरकारी मोबाइल बांट रही है कि लेकिन हमारे पंचायत में अभी तक एक भी मोबाइल नहीं आया.
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सेशन की दूसरी गेस्ट महिला जन अधिकार समिति की संस्थापक इंदिरा पंचोली ने कहा कि मैंने अपनी पढ़ाई के दौरान महिलाओं की पहली नेता नोरती बाई को देखा है. वो समय था जब महिलाओं को एक दिन की मजदूरी एक रुपए मिलती थी और यह पैसा भी एक साल में एक बार मिलता था. तब नोरती बाई ने आवाज बुलंद की. कई गांवों की महिलाओं को अपने साथ जोड़ा. मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया और देश का पहला न्यूनतम आय का कानून आया. इसकी लड़ाई राजस्थान में लड़ी गई.
इंदिरा पंचोली ने आगे कहा कि सूचना का अधिकार, रोजगार का अधिकार इन कानूनों की लड़ाई में महिलाओं ने बड़ी संख्या में सहभागिता निभाई. उन्होंने मिशन 2030 के बारे में कहा कि सरकार हमारी सुनवाई करें, हमारी मांगों को देखें, यह जरूरी है. मुझे खुशी है कि राजस्थान में इस समय सबसे अधिक जनहित के कानून बन रहे हैं.
इंदिरा पंचोली ने भंवरी देवी के संघर्ष का उदाहरण देते हुए बताया कैसे उन्होंने बाल विवाह खत्म कराया. इसके खिलाफ आवाज उठाने के कारण उनका बलात्कार हुआ था. लेकिन उन्होंने जमीनी लड़ाई लड़ी. जो बाद में कोर्ट में गई और हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट होते हुए अब कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन शोषण का कानून बना.
"अधिकारी कहते थे कि यह घाघरा पलटन क्या कर पाएगी. तब हमने कहा था कि हम अनपढ़ जरूर है, गांव के हैं, लेकिन गंवार नहीं है." - सुशीला देवी, RTI, सामाजिक कार्यकर्ता, अजमेर
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लाइव इंटरव्यू यहाँ देखें: https://t.co/RYOPcDXqWy#Mission2030 pic.twitter.com/q8cGU87VGB
मिशन 2030 के बारे में सुशीला देवी ने कहा कि हमारे कर्तव्यों की शुरुआत मिशन 2030 में अपने सुझाव देने से हो गई है. महिलाओं के विकास के लिए क्या होना चाहिए. युवाओं के लिए क्या होना चाहिए. इन सब मुद्दों पर हमने सरकार को कई सुझाव दिए. इनमें से कई सुझावों को सरकार ने मान भी लिया है. अब देखना है कि घोषणा पत्र में कितनी बातें आ पाती है. क्वालिटी सर्विस की बात इंदिरा पंचोली ने भी की. उन्होंने कहा कि सरकारी अधिकारी हमारे काम में टालमटोल करें तो उनपर कार्रवाई होनी चाहिए. उसके सर्विस रिकॉर्ड में यह बात नोट होनी चाहिए. आगे जो सरकार आए वह भी इस स्कीम को लागू रखें तो नागरिकों की बहुत भलाई होगी.
सेशन की तीसरी गेस्ट RTI एक्टिविस्ट सुशीला देवी ने कहा कि आटीआई के लिए जब आंदोलन चल रहा था तब अरुणा राय ने आंदोलन शुरू किया था, तब वो आईएएस की नौकरी छोड़ कर आई थी. उनके पीछे घाघरा पलटन थी. अधिकारी कहते थे कि यह घाघरा पलटन क्या कर पाएगी. तब हमने कहा था कि हम अनपढ़ जरूर है, गांव के हैं, लेकिन गंवार नहीं है. ये घाघरा पलटन ही यह कानून बनवाएगा. जब तक यह कानून नहीं बनेगा तब तक हमलोग अडिग होकर आंदोलन करते रहे.
आईटीआई में हमारा संघर्ष 1994 से जारी है, जो जारी रहेगा. आरटीआई एक्टिविस्ट पर हमला करने वाले लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए. आरटीआई से भ्रष्टाचार सामने आता है. ऐसे में आरटीआई एक्टिविस्ट पर खतरा बढ़ जाता है. सरकार ऐसा कानून बनाए कि आरटीआई एक्टिविस्ट पर हमला नहीं हो.
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