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This Article is From Sep 30, 2023

NDTV Rajasthan Conclave: आखिर कैसे घर-घर तक पहुंची बीकानेरी भुजिया और पापड़? NDTV के मंच पर कारोबारियों ने बताई कहानी

पापड़ और भुजिया बीकानेर में आयुर्वेद का हिस्सा है. इन्हें बनाने के लिए जिस रॉ मटेरियल की जरूरत पड़ती है इनमें सबसे जरूरी सांझी होती है. वो पहले पाकिस्तान से इंपोर्ट होता था.

NDTV Rajasthan Conclave: आखिर कैसे घर-घर तक पहुंची बीकानेरी भुजिया और पापड़? NDTV के मंच पर कारोबारियों ने बताई कहानी

'राजस्थान मिशन 2030' को लेकर बीकानेर के लक्ष्मी निवास होटल में एनडीटीवी राजस्थान कॉन्क्लेव (NDTV Rajasthan Conclave) का आयोजन किया गया. इस कॉन्क्लेव के दूसरे सत्र में पापड़ और भुजिया व्यवसायियों से बातचीत की गई जिन्होंने बताया कि कैसे एक छोटे कुटीर उद्योग को ग्लोबल ब्रांड बनाया जा सकता है. इस मौके पर बातचीत के लिए कंचन दुजारी, मेघा, नवरतन सिंघवी अतिथि के रूप में मंच पर मौजूद रहे.

पापड़ बनाने की शुरुआत

कंचन दुजारी ने बताया कि पापड़ का बिजनेस उनके ससुर ने 50 वर्ष पहले शुरू किया था, और पिछले 12 साल से वो भी इस बिजनेस से जुड़ी हुई हैं. बीकानेर में कहा जाता है कि बिना पापड़ खाए लोगों को खाना भी हजम नहीं होता. उस वक्त कुछ ऐसा ही समय था, जब डाइजेशन के लिहाज से खाने के बाद लोग पापड़ जरूर खाते थे. शुरुआत में काफी चुनौतियां आईं, लेकिन बाद में कुटीर उद्योग से आगे बढ़ने लगे. मौसम अनुकुल हुआ. लेबर का साथ मिला, और अब ये काफी आगे बढ़ गया है. आज बीकानेरी भुजिया और बीकानेरी पापड़ काफी फेमस है. 

'इंपोर्ट ड्यूटी सबसे ज्यादा'

कॉन्क्लेव के दौरान जब व्यवसायियों से पूछा गया कि उन्हें पापड़ और भुजिया बनाने के लिए किन-किन चीजों की जरूरत पड़ती है और वे इसे कैसे अरेंज करते हैं? तो नवरतन सिंघवी ने बताया कि पापड़ और भुजिया हमारे आयुर्वेद का हिस्सा हैं. इन्हें बनाने के लिए जिस रॉ मटेरियल की जरूरत पड़ती है इनमें सबसे जरूरी सांझी होती है. वो पहले पाकिस्तान से इंपोर्ट होता था.  लेकिन जब उस पर 200 परसेंट इंपोर्ट ड्यूटी लग गई तो वहां से लेना बंद करना पड़ा. बीकानेर में अब 3 क्वालिटी की सांझी मिलती है. डिमांड बढ़ने पर उसमें भी मिलावट होने लगती है, जिससे पापड़ बनाने में हमें बहुत नुकसान होता है. हींग की बात करें तो वो अफगानिस्तान और ईरान से आती है. हिंदुस्तान के अंदर 1 ग्राम हींग पैदा नहीं होती. सारी बाहर से ही आती है. इसीलिए हमें सरकार की तरफ से राहत नहीं मिल पाती है. सिर्फ इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ रही है.

ब्रांडिंग का कितना रोल?

कॉन्क्लेव में पूछा गया कि बिजनेस में ब्रांडिंग का कितना अहम रोल रहता है? क्या ऑनलाइन डिलीवरी शुरू होने के बाद से इसके महत्व में कुछ बदलाव आया है? इस सवाल का जवाब देते हुए कंचन दुजारी ने बताया कि किसी भी बिजनेस को सक्सेसफुल होने के लिए उसके ब्रांडिंग जरूरी है. क्योंकि जब आपका प्रोडक्ट ब्रांड बन जाता है तो सेल कई गुना बढ़ जाती है. हमारा पापड़ उसी वजह से ज्यादा सेल होता है, क्योंकि उड़ीसा, दिल्ली और मध्य प्रदेश जैसी जगहों पर एक ब्रांड बन गया है. हम रोजाना 600 KG पापड़ बनाते हैं, जिनकी सेल करोड़ों में है.

सबसे बड़ी चुनौतियां क्या हैं?

किसी भी सेक्टर में नए बिजनेस की शुरुआत करते वक्त लोगों में सेल्फ कॉन्फिडेंस की सबसे ज्यादा कमी होती है. वे अपनी बात को बेहतर तरीके से लोगों के सामने नहीं रख पाते हैं. सरकार ने खुद इस चीज को समझा है और एजुकेशन सेक्टर के जरिए इस कमी को दूर करने की कोशिश की है. 12वीं तक के बच्चों के पास यदि कोई ऐसा आइडिया है जो लोगों की भलाई के लिए काम कर सकता है तो उन बच्चों को सरकार की तरफ से 50 हजार और 1 लाख रुपये के चेक भी दिए गए हैं. बस आपको अपना आइडिया प्रूव करना होता है.

क्या होता है आर्टिजन कार्ड?

मेघा दुजारी ने बताया कि सरकार हमें आर्टिजन कार्ड दे रही है. इसका मतलब ये होता है कि गवर्नमेंट हमें वेरिफाई करती है कि हम आर्टिस्ट हैं. अगर आपके पास ये कार्ड है तो इंटरनेशन लेवल पर जो आपके एग्जीबिशन होते हैं उसका आधा खर्च सरकार उठाती है, जो कि हाल ही शुरू हो चुका है, 2023 तक और ज्यादा मिल जाएगा. हमारे पास आर्टिजन कार्ड है, और MLUPY की स्कीम मिलती है. यानी की हमें पूरी सब्सिडी मिलती है. 

ऑनलाइन और ऑफलाइन? किसे चुनें 

ब्रांड बनने के बाद भरोसा बढ़ जाता है. ऑनलाइन सेक्टर मजबूत होने पर ही ऑफलाइन मॉर्केट स्ट्रांग होगा. ऐसे में अगर आप क्वालिटी पर भी खास ध्यान देते हैं तो फिर कस्टमर पैसा नहीं देखता. कस्टर को सिर्फ चीज बढ़िया चाहिए होती है, उसके लिए वो दाम ज्यादा देने में भी नहीं हिचकता. 2030 में पापड़-भुजिया व्यवहार का व्यापार बहुत आगे जाने वाला है. 

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