Rajasthan News: जयपुर विद्युत वितरण निगम ने अपने सभी थ्री फेज (गैर कृषि) उपभोक्ताओं के खराब विद्युत मीटर बदलने में कामयाबी हासिल की है. निगम के सभी 18 सर्किलों में सभी थ्री फेज (गैर कृषि) विद्युत उपभोक्ताओं के डिफेक्टिव मीटर बदलकर उनके स्थान पर नए कार्यशील मीटर लगा दिए गए हैं. डिस्कॉम को खराब मीटर वाले उपभोक्ताओं को नियमानुसार विद्युत शुल्क में छूट नहीं देनी होगी. इन उपभोक्ताओं को अब एवरेज बिल के स्थान पर वास्तविक उपभोग के आधार पर बिल जारी किए जाएंगे.
तीन साल में कम हुए 2 लाख डिफेक्टिव मीटर
उल्लेखनीय है कि थ्री फेज (गैर कृषि), थ्री फेज (कृषि), सिंगल फेज (शहरी) तथा सिंगल फेज (ग्रामीण) के 2 लाख 20 हजार से अधिक मीटर डिफेक्टिव होने के कारण निगम को वित्तीय वर्ष 2022-23 में 9 करोड़ 40 लाख रूपए की राशि विद्युत शुल्क में छूट के रूप में उपभोक्ताओं को देनी पड़ी थी. जयपुर डिस्कॉम के प्रयासों का परिणाम है कि अब निगम के सभी सर्किलों में सिंगल फेज (शहरी एवं ग्रामीण), थ्री फेज (कृषि एवं गैर कृषि) में खराब मीटरों की संख्या घटकर मात्र 19 हजार 303 रह गई है और यह छूट वित्तीय वर्ष 2025-26 के प्रथम 6 माह में घटकर मात्र 12.50 लाख रूपए ही रह गई है.
जयपुर वितरण निगम में 4 लाख से अधिक गैर कृषि थ्री फेज उपभोक्ता हैं. विगत कुछ माह में निगम के सभी सर्किलों में अभियंताओं ने प्रयास कर 3,388 थ्री फेज गैर कृषि उपभोक्ताओं के डिफेक्टिव मीटर बदल दिए. थ्री फेज उपभोक्ता निगम के लिए अधिक विद्युत उपभोग एवं अधिक राजस्व प्रदान करने वाले उपभोक्ता की श्रेणी में आते हैं.
अब करौली भी शून्य डिफेक्टिव मीटर सर्किल
डिफेक्टिव मीटर बदलने के प्रयासों के अन्तर्गत जयपुर डिस्कॉम को मिली यह दूसरी बड़ी सफलता है. इससे पहले जून एवं जुलाई माह में 8 सर्किलों कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़, जयपुर सिटी सर्किल नॉर्थ एवं साउथ, जेपीडीसी नॉर्थ तथा दौसा सर्किल में सभी श्रेणियों में खराब मीटर बदल दिए गए थे. अब करौली सर्किल भी इस कतार में शामिल हो गया है. निगम के 9 सर्किल जीरो डिफेक्टिव मीटर हो गए हैं. इन सर्किलों में लगातार खराब मीटर को शून्य बनाए रखा जा रहा है.
क्यों जरूरी है समय पर डिफेक्टिव मीटर बदलना
मीटर के खराब रहने से डिस्कॉम के राजस्व पर प्रतिकूल असर पड़ता है. लगातार दो माह से अधिक समय तक मीटर डिफेक्टिव होने की स्थिति में डिस्कॉम को नियमानुसार उपभोक्ता को विद्युत शुल्क में 5 प्रतिशत की छूट देनी होती है. उपभोक्ता को उनके औसत उपभोग के आधार पर विद्युत बिल जारी करने पड़ते हैं.
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