
Rajasthan News: राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे (Haribhau Bagade) के कार्यकाल का एक साल पूरा हो गया है. उन्होंने इस एक वर्ष की अवधि का उत्सव उदयपुर (Udaipur) के कोटड़ा ब्लॉक के आदिवासी गांव ‘बिलवन' में मनाकर यह संकेत दिया कि वे केवल औपचारिक गवर्नर नहीं रहना चाहते, बल्कि संवैधानिक पद की गरिमा के साथ-साथ वंचित तबकों के अधिकारों के प्रति सजग और सक्रिय रहना चाहते हैं.
'इतिहास सिर्फ दिल्ली-आगरा से नहीं लिखा गया'
राज्यपाल ने वहां भील नृत्य देखा, तीर-कमान उठाया और ग्रामीणों के साथ संवाद किया. कोटड़ा में वर्षगांठ मनाने के पीछे उनका मकसद यह था कि वंचित वर्ग को मुख्यधारा में लाने की कवायद को गति दी जाए. उन्होंने इस अवसर पर राणा पुंजा, राजा डुंगरिया और राजा कमल भील को राष्ट्रीय नायक घोषित करने की मांग की और कहा कि इतिहास सिर्फ दिल्ली और आगरा से नहीं लिखा गया. भील, मीणा और गढ़वाला जैसे योद्धाओं ने भी राष्ट्र को सींचा है.
'दूरदराज के गांवों में जाकर आमजन से संवाद करने वाले पहले राज्यपाल'
जनजातीय क्षेत्रीय विकास मंत्री बाबूलाल खरड़ी ने कहा कि बागडे दूरदराज के गांवों में जाकर आमजन से संवाद करने वाले पहले राज्यपाल हैं. केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से कोटड़ा जैसे क्षेत्रों की तस्वीर बदली है. अब वहां गैस चूल्हों से खाना बन रहा है, गांव-गांव तक बिजली और सड़कों की पहुंच हुई है.
'पक्के मकान बन गए, जंगल सुरक्षित हुए'
राज्यपाल ने कोटड़ा में ग्रामीणों से आत्मीय संवाद किया. पीएम आवास योजना के लाभार्थी शिवम ने बताया कि पक्के मकान बनने से अब लकड़ी नहीं काटनी पड़ती, जिससे जंगल सुरक्षित हुए हैं. रमेश ने कहा कि कच्ची झोंपड़ी बारिश में ढह जाती थी, लेकिन अब पक्का मकान मिल गया है. विधवा रेशमी और विता देवी ने भी सरकारी योजनाओं से मिले लाभ के लिए सरकार का आभार जताया.
सुर्खियों में रहे राज्यपाल के कई बयान
महाराष्ट्र विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले बागडे का यह एक साल संवैधानिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ उनके बयानों के कारण भी चर्चित रहा. शिक्षा, इतिहास, अपराध और आदिवासी मुद्दों पर उनके बयान अक्सर सुर्खियों में रहे और सियासी बहस का विषय भी बने.
'नालंदा को जिसने जलाया वो हरामखोर था'
IGNOU जयपुर के दीक्षांत समारोह में उन्होंने कहा था कि नालंदा को जिसने जलाया, वह हरामखोर था. उन्होंने यह भी कहा कि हमें इतिहास से शर्म नहीं, चेतना लेनी चाहिए. नई शिक्षा नीति की तारीफ करते हुए उन्होंने इसे भारतीय ज्ञान परंपरा और आधुनिक दृष्टिकोण का समावेश बताया. उन्होंने शिक्षा को डिग्री नहीं, बौद्धिक क्षमता बढ़ाने का माध्यम कहा और गुरुकुल परंपरा की ओर लौटने का सुझाव भी दिया.
'बलात्कारियों को नपुंसक बनाओ, छेड़छाड़ करने वालों को चप्पल से पीटो'
भरतपुर बार एसोसिएशन के कार्यक्रम में उन्होंने बलात्कारियों को नपुंसक बनाने की सजा देने की वकालत की और एक अन्य मंच से छात्राओं से छेड़छाड़ करने वालों को चप्पलों से पीटने की सलाह दी. राज्यपाल ने उच्च शिक्षा में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कुलाधिपति के रूप में विश्वविद्यालयों के नैक एक्रीडिटेशन की दिशा में पहल की. राजस्थान विश्वविद्यालय को इस प्रयास में सफलता भी मिली. जनजातीय क्षेत्रों में उत्पादों के विपणन के माध्यम से जीवन स्तर सुधारने की योजना शुरू की.
उन्होंने जिला स्तरीय समीक्षा बैठकों, सीमावर्ती क्षेत्रों के दौरे और विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोहों को समयबद्ध रूप से आयोजित कराने पर जोर दिया. प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य स्तर पर पहली बार विषय विशेषज्ञों की राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की. सहकारिता क्षेत्र को सुदृढ़ करने की दिशा में भी राजभवन स्तर पर पहल हुई.
राज्य के प्रमुख विभागों की समीक्षा बैठकों के माध्यम से जनहित से जुड़ी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर सक्रियता दिखाई. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सर्वधर्म सद्भाव बैठक राजभवन में आयोजित की गई, जिसमें सभी धर्मों और राजनीतिक दलों से राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ एकजुट रहने का आह्वान किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक पेड़ मां के नाम' अभियान के तहत राजभवन में ‘सिंदूर' पौधा रोपित किया गया और बड़े, छायादार वृक्षों के संरक्षण की पहल भी हुई.
राजभवन में स्थापना दिवस मनाने की पहलराज्यपाल ने पाकिस्तान सीमा से सटे सभी बॉर्डर क्षेत्रों का दौरा कर स्थानीय लोगों और सैनिकों से मुलाकात की, उनकी समस्याओं के समाधान की दिशा में कार्य किया. स्वतंत्रता दिवस पर पहली बार आदिवासी उत्पादों की प्रदर्शनी आयोजित की गई. ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत' के तहत विभिन्न राज्यों के लोगों से संवाद और स्थापना दिवस मनाने की पहल भी राजभवन में की गई.
'बिजली की बचत ही बिजली का उत्पादन है'राजस्थान में वीर शिवाजी और संभाजी महाराज के जन्मोत्सव का आयोजन भी राजभवन में हुआ. पदभार ग्रहण करते समय राज्यपाल ने कहा था कि बिजली की बचत ही बिजली का उत्पादन है. उनके इस आग्रह से प्रदेशभर में कार्यालयों में दिन के उजाले में लाइटें बंद रखने की शुरुआत हुई, जिससे ऊर्जा संरक्षण की दिशा में बड़ा संदेश गया.
राज्यपाल बागडे का यह एक वर्ष जहां संवैधानिक सक्रियता का रहा, वहीं उनकी सामाजिक-सांस्कृतिक संवेदनशीलता और बेबाक बयान भी चर्चा का विषय बने रहे.
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