
Rajasthan News: पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा वुमन हॉस्पिटल उम्मेद अस्पताल (Umaid Hospital) एक बार फिर चर्चा में है. दो पाक विस्थापित मरीजों के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर इलाज नहीं करने का आरोप लगाया है. जैसलमेर से रेफर की गई महिला रहमता के परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में उसे फ्री सुविधा या सरकारी जांच नहीं हो पा रही है. वहीं, गोरी के रिश्तेदारों का आरोप है कि गौरी के नसबंदी करवाने के लिए अस्पताल में भर्ती तो कर लिया, लेकिन अब उसे छुट्टी दे रहे हैं और उसका ऑपरेशन नहीं कर रहे हैं.
'3 दिन बाद शुरू हुआ इलाज'
इन दोनों मामलों को लेकर एनडीटीवी की टीम ने रहमता और गोरी के परिवार वालों से बात करने की कोशिश की, तो रहमता का परिवार सामने नहीं आया, लेकिन गोरी के परिवार वालों ने अपनी समस्या बताई. रहमता के पति ने बताया कि वीजा खत्म होने की बात कहते हुए मेरी पत्नी का इलाज नहीं किया जा रहा था. लेकिन अस्पताल अधीक्षक के संज्ञान में मामला आने के 3 दिन बाद इलाज शुरू हो गया है. अब सारी जांचे हो रही हैं और ऑपरेशन करने की बात भी कही जा रही है.
अस्पताल अधीक्षक का बयान
अस्पताल अधीक्षक डॉ. मोहन मकवाना ने बताया कि उनके लिए नागरिकता मायने नहीं रखती. अगर भारतीय नागरिक है तो सरकार की जो पॉलिसी है, उसके अंतर्गत इलाज हो जाता है. अन्यथा उन्हें बाहर से करवाने के लिए कहा जाता है. रहमता के मामले में उन्होंने बताया कि उसकी पहले भी दो बार प्री डिलीवरी हो चुकी है, ऐसे में उसका ऑपरेशन किया जाना तय है. लेकिन चूंकि उसका वीजा एक्सपायर हो चुका है, इसलिए उसे सरकारी मदद नहीं दी जा रही है. वहीं, गोरी के केस में नसबंदी का ऑपरेशन होना है, लेकिन हीमोग्लोबिन की कमी होने के कारण से उन्हें दवाइयां लेने के लिए कहा गया है और 15 तारीख को दोबारा बुलाया गया है. उसके बाद उसकी हीमोग्लोबिन की जांच कर उसका ऑपरेशन किया जाएगा.
अस्पताल प्रशासन का दावा
अस्पताल अधीक्षक डॉ. मोहन मकवाना ने दावा किया कि अगर किसी की नागरिकता भारतीय नहीं है तो उसकी सूचना पुलिस को दे दी जाती है, लेकिन इलाज में कोई भी कोताही नहीं बरती जाती. उन्होंने कहा कि वे मरीजों के इलाज के लिए प्रतिबद्ध हैं और किसी भी स्थिति में इलाज से इनकार नहीं करते हैं.
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