रेलवे ने इस साल पैलेस ऑन व्हील का आगाज बुधवार (27 सितंबर) को दिल्ली के सफदरगंज रेलवे स्टेशन से किया. सफदरगंज से रवाना होकर पैलेस ऑन व्हील शुक्रवार को चितौड़गढ से उदयपुर के लिए रवाना हो गई. शनिवार को उदयपुर में स्टे के बाद यह रवाना होकर रविवार (1 अक्टूबर) सुबह जैसलमेर पहुंचेगी. बता दें कि पैलेस ऑन व्हील को 41 साल के इतिहास में पहली बार निजी हाथों में सौंप दिया गया है.
1982 में हुई थी शुरुआत
26 जनवरी 1982 को पैलेस ऑन व्हील की शुरुआत की गई थी, जिसके बाद कोरोना काल में इसे बंद कर दिया गया था. अब फिर से इस ट्रेन को शुरू किया गया है. पिछले साल सिर्फ 11 फेरों का ही संचालन किया गया. इसके बाद गत बुधवार से पैलेस ऑन व्हील का आगाज कर दिया गया है. इस साल पैलेस ऑन व्हील 31 फेरे पूरे करेगी.
पहली बार निजी हाथों में
पैलेस ऑन व्हील को 41 साल के इतिहास में पहली बार निजी हाथों में सौंप दिया गया है. इस साल क्रू कंस्ट्रक्शन कंपनी को पैलेस ऑन व्हील की कमान सौंपी गई है. इसके लिए आईआरसीटीसी व कंपनी के बीच अनुबंध हो गया है. इस साल पैलेस ऑन व्हील अपने पहले फेरे में 57 यात्रियों को लेकर रवाना हुई है. बुधवार को दिल्ली के सफदरगंज रेलवे स्टेशन से रवाना हुई पैलेस ऑन व्हील गुरुवार को जयपुर, शुक्रवार को सवाई माधोपुर व चितौड़गढ़ पहुंची. इसके बाद आज शनिवार को यह रेल उदयपुर से रवाना होने के बाद रविवार को सुबह स्वर्णनगरी पहुंचेगी. इस दौरान यात्रियों का स्वागत किया जाएगा.
इस साल कम होंगे 3 फेरे
हर साल सितंबर के पहले बुधवार को दिल्ली से रवाना होने वाली शाही रेल में इस बार 3 फेरे कम किए गए है. हालांकि पिछले साल इस रेल ने सिर्फ 11 फेरे ही किए थे. लेकिन पिछले साल विदेशी सैलानियों की कम आने से इस ट्रेन में करीब 50 प्रतिशत ही बुकिंग हो पाई थी. जिसके बाद इस साल इसे निजी कंपनी को सौंपने का निर्णय लिया गया है. पैलेस ऑन व्हील का सफर बहुत ज्यादा महंगा होने के कारण मुख्य रूप से विदेशी सैलानियों की ही पहली पसंद होती है. लेकिन पिछले कुछ सालों से विदेशी सैलानियों का ग्राफ कम हो रहा था. पहले जहां इस ट्रेन को 100 प्रतिशत बुकिंग मिल रही थी. लेकिन इसके बाद इसमें गिरावट शुरू हो गई. करीब 4 साल पहले पूरे सीजन में सिर्फ 3500 यात्रियों ने ही सफर किया. इसके बाद से यह आंकड़ा लगातार गिर ही रहा है.
4 साल पहले किए गए थे परिवर्तन
इस बार पैलेस ऑन व्हील को निजी कंपनी को सौंप दिया गया है. करीब चार साल पहले इस ट्रेन में आमूलचूल परिवर्तन किया गया था. जिसमें ट्रेन के सभी 41 बाथरूम को रिनोवेटेड करने के साथ साथ बायो टायलेट लगाए गए थे. शाही रेल के दोनों रेस्टोरेंट को नई डिजाइन से सुसज्जित करने के साथ साथ ट्रेन का फर्नीचर भी बदला गया था. इसके अलावा ट्रेन के बाहरी व अंदर की तरफ रंग रोगन करने के साथ-साथ लाइटिंग भी बदली गई है. ताकि सैलानियों को शाही रेल में शाही अंदाज के सफर का अहसास हो सके. इसके साथ ही मुख्य रूप से खाने के मैन्यू में स्थानीय प्रसिद्ध व्यंजन जोड़े गए थे.